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मृत शरीर में डॉक्टर ने फूंक दी जान, बिच्छू के काटने से हुई थी बच्चे की मौत - गिरिडीह में डॉक्टर का कमाल

गिरिडीह में एक बच्चे की जान सीपीआर तकनीक से बचायी गई है. यहां मृत घोषित किये गए बच्चे के पीछे आधा घंटा तक डॉक्टर फजल और उनकी टीम ने मेहनत की और अंततः बच्चे की शरीर में जान आ गई. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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बच्चे का इलाज करते डॉक्टर
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Published : Jun 6, 2023, 6:59 PM IST

Updated : Jun 6, 2023, 7:25 PM IST

देखें पूरी खबर

गिरिडीह: जिस बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया हो उसमें अचानक जान आ गई. यह वाक्य शायद ही किसी को हजम हो लेकिन ऐसा ही कुछ चमत्कार गिरिडीह में हुआ है. यहां बिच्छू के डंक मारने से जिस बच्चे की तबीयत पूरी तरह बिगड़ गई जिसे मृत घोषित कर दिया गया ऐसे बच्चे के शरीर में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर और उनकी टीम ने जान फूंक दी. यह सब आधे घंटे की मेहनत और कार्डियोपुलमोनरी रिस्यूसिटेशन (सीपीआर) तकनीक से संभव हो सका है. इस पूरे मामले की पुष्टि सिविल सर्जन एसपी मिश्रा ने की है.

बताया गया कि मुफ्फसिल थाना इलाके के चेंगरबासा निवासी सनू टुडू का 13 वर्षीय पुत्र अमन टुडू को बिच्छू ने डंक मारा था. डंक मारने से अमन की तबीयत खराब हो गई. परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. यहां बच्चे को वार्ड के भर्ती किया गया. यहां बच्चे को कार्डिक अरेस्ट हो गया. बच्चे ने ऑक्सीजन लेना बंद कर दिया, हृदय की गति ने भी विराम ले लिया. प्रथम दृष्टया बच्चे को मृत समझ लिया गया. इस बीच वार्ड के मरीजों को देख रहे डॉ फजल अहमद पहुंचे.

बच्चे को आईसीयू ले जाया गया. यहां आईसीयू इंचार्ज अलीजान, कर्मी बिरेंद्र कुमार, अजीत कुमार के साथ डॉ फजल ने बच्चे को सीपीआर दिया गया. आधे घंटे तक बच्चे को सीपीआर दिया गया जिसके बाद बच्चे का हार्ड बीट समझ में आने लगा. बाद में मशीन से ऑक्सीजन दिया गया जिसके बाद बच्चे की जान बची. आईसीयू इंचार्ज अलीजान ने बताया कि अभी बच्चा खुद ही ऑक्सीजन ले रहा है और पूरी तरह से सुरक्षित है.

झाडफूंक से बिगड़ी तबीयत: बच्चे के परिजन ने बताया कि मंगलवार की सुबह बच्चे को बिच्छू ने डंक मार दिया. डंक मारने से उसकी तबीयत बिगड़ी तो हमलोग झाड फूंक करवाने लगे. इसके बाद तबीयत और भी बिगड़ गई. बाद में लेदा से गाडी मांगवाकर बच्चे को सदर अस्पताल लाया गया. यहां पर पहले कहा गया कि बच्चा नहीं बचा है. इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर ने मेहनत की जिसके बाद बच्चे को बचाया जा सका. अधिवक्ता संघ के सचिव चुन्नूकांत ने कहा कि सदर अस्पताल के चिकित्सक व कर्मियों ने सेवा भाव से काम किया और बच्चे की जान बची.

टीम ने किया बेहतर काम: सिविल सर्जन: पूरे मामले पर सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने कहा कि बच्चा लगभग मृत हो चुका था लेकिन डॉ फजल और टीम ने सीपीआर तकनीक से बच्चे की जान बचायी. कहा कि डॉ फजल ने पूरी ईमानदारी से मेहनत किया जिसका परिणाम है कि बच्चा अभी सुरक्षित है.

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गिरिडीह: जिस बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया हो उसमें अचानक जान आ गई. यह वाक्य शायद ही किसी को हजम हो लेकिन ऐसा ही कुछ चमत्कार गिरिडीह में हुआ है. यहां बिच्छू के डंक मारने से जिस बच्चे की तबीयत पूरी तरह बिगड़ गई जिसे मृत घोषित कर दिया गया ऐसे बच्चे के शरीर में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर और उनकी टीम ने जान फूंक दी. यह सब आधे घंटे की मेहनत और कार्डियोपुलमोनरी रिस्यूसिटेशन (सीपीआर) तकनीक से संभव हो सका है. इस पूरे मामले की पुष्टि सिविल सर्जन एसपी मिश्रा ने की है.

बताया गया कि मुफ्फसिल थाना इलाके के चेंगरबासा निवासी सनू टुडू का 13 वर्षीय पुत्र अमन टुडू को बिच्छू ने डंक मारा था. डंक मारने से अमन की तबीयत खराब हो गई. परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. यहां बच्चे को वार्ड के भर्ती किया गया. यहां बच्चे को कार्डिक अरेस्ट हो गया. बच्चे ने ऑक्सीजन लेना बंद कर दिया, हृदय की गति ने भी विराम ले लिया. प्रथम दृष्टया बच्चे को मृत समझ लिया गया. इस बीच वार्ड के मरीजों को देख रहे डॉ फजल अहमद पहुंचे.

बच्चे को आईसीयू ले जाया गया. यहां आईसीयू इंचार्ज अलीजान, कर्मी बिरेंद्र कुमार, अजीत कुमार के साथ डॉ फजल ने बच्चे को सीपीआर दिया गया. आधे घंटे तक बच्चे को सीपीआर दिया गया जिसके बाद बच्चे का हार्ड बीट समझ में आने लगा. बाद में मशीन से ऑक्सीजन दिया गया जिसके बाद बच्चे की जान बची. आईसीयू इंचार्ज अलीजान ने बताया कि अभी बच्चा खुद ही ऑक्सीजन ले रहा है और पूरी तरह से सुरक्षित है.

झाडफूंक से बिगड़ी तबीयत: बच्चे के परिजन ने बताया कि मंगलवार की सुबह बच्चे को बिच्छू ने डंक मार दिया. डंक मारने से उसकी तबीयत बिगड़ी तो हमलोग झाड फूंक करवाने लगे. इसके बाद तबीयत और भी बिगड़ गई. बाद में लेदा से गाडी मांगवाकर बच्चे को सदर अस्पताल लाया गया. यहां पर पहले कहा गया कि बच्चा नहीं बचा है. इसके बाद अस्पताल के डॉक्टर ने मेहनत की जिसके बाद बच्चे को बचाया जा सका. अधिवक्ता संघ के सचिव चुन्नूकांत ने कहा कि सदर अस्पताल के चिकित्सक व कर्मियों ने सेवा भाव से काम किया और बच्चे की जान बची.

टीम ने किया बेहतर काम: सिविल सर्जन: पूरे मामले पर सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने कहा कि बच्चा लगभग मृत हो चुका था लेकिन डॉ फजल और टीम ने सीपीआर तकनीक से बच्चे की जान बचायी. कहा कि डॉ फजल ने पूरी ईमानदारी से मेहनत किया जिसका परिणाम है कि बच्चा अभी सुरक्षित है.

Last Updated : Jun 6, 2023, 7:25 PM IST
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