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साइबर अपराधियों का नया हथियार बना टिक-टॉक, लिंक भेज धोखा दे रहे हैकर्स

भारत सरकार द्वारा टिक-टॉक सहित 59 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. कभी लोगों का मंनोरंजन करने वाला एप अब धोखाधड़ी करने का एक साधन बन चुका है. साइबर क्रिमिनल लोगों के पास टिक-टॉक डाउनलोड करने के लिए लिंक वाट्सएप पर लिंक भेज रहे हैं और मालवेयर के माध्यम से मोबाइल में मौजूद जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.

टिक-टॉक
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Published : Jul 12, 2020, 7:03 AM IST

जयपुर : टिक-टॉक ने हम में से काफी लोगों का मनोरंजन किया होगा, लेकिन अब यह धोखाधड़ी करने का एक साधन बन चुका है, जिन लोगों को इस एप की लत लग गई है, वह इसे हर तरह के अवैध तरीके से डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं. एप डाउनलोड करने की इस ख्वाहिश के परिणाम स्वरूप साइबर अपराधियों ने स्थिति का लाभ उठाया और अब लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है.

कई लोग टिक-टॉक APK को ऑनलाइन सर्च कर प्रतिबंधित एप डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं. APK फाइल एक ऐसी फाइल है जिसके द्वारा आप किसी भी एप डाउनलोड कर सकते हैं.

साइबर क्रिमिनल इसी बात का लाभ लेकर कई लोगों को एसएमएस के माध्यम से भेजे गए एपीके लिंक द्वारा धोखा दिया है.

दरअसल, वाट्सएप पर एक मैसेज वायरल हुआ था, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति लिंक से एप डाउनलोड करता है ,तो वह फिर से टिक-टॉक का इस्तेमाल कर सकेगा.

टिक-टॉक बना हैकर्स का नया साइबर हथियार

ईटीवी भारत ने इस तरह के लिंक पर जागरूकता फैलाने कोशिश कर रहा है, ताकि लोग इसके पीछे की सच्चाई को जान सकें. इस लिंक पर क्लिक करने के बाद, संपर्क सूची के सभी नंबर तुरंत साइबर क्राइम को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं और कॉन्टेक्ट लिस्ट पर पहुंच आसान हो जाती है,जबकि लिंक से एप डाउनलोड करने वाला व्यक्ति निराश हो जाएगा क्योंकि यह उन्हें कई ऑनलाइन विज्ञापनों की ओर ले जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि कई लोगों ने अपने डेटा गोपनीयता पर समझौता करते हैं, क्योंकि यह लिंक वास्तव में मैलवेयर हैं, जो आपके फोन से डेटा फिशिंग में उपयोग किया जाते हैं. साइबर अपराधी आपके फोन में मैलवेयर डाउनलोड करने के लिए व्यसन कारक का उपयोग कर रहे हैं.

टिक-टॉक बना हैकर्स का नया साइबर हथियार
टिक-टॉक बना हैकर्स का नया साइबर हथियार

फेक टिक-टॉक डाउनलोड

  • साइबर क्रिमिनल एसएमएस लिंक और वाट्सएप लिंक भेजकर टिक-टॉक एप डाउनलोड करने को कहते हैं.
  • लिंक पर क्लिक करते ही मालवेयर फोन से जानकारी डाउनलोड कर लेता है.
  • फोन में मौजूद कॉन्टेक्ट नंबर्स को लिंक भेजने वाला शख्स ट्रांस्फर कर लेता है.
  • इसके अलावा वह फोन में सेव पासवर्ड तक अपनी पहुंच बना लेता है.

क्या करें

  • हमेशा लिंक में भेजी गई वेबसाइट की स्पेलिंग को चेक करें.
  • फोन में मौजूद सॉफ्टवेयर के माध्यम से लगातार मालवेयर को चेक करें.

क्या न करें

  • प्रतिबंधित एप से संबंधित एसएमएस और वाट्सएप से बचें.
  • किसी भी अटैचमेंट को न खोलें, जिसमें कहा गया हो कि सरकार की निगरानी से बचने में यह आपकी मदद करेगा.
  • सरकार द्वारा प्रतिबंधित एप्स को डाउनलोड न करें. यह गैर कानूनी है.

विशेषज्ञों का क्या कहना है

  • जागरुकता ही सुरक्षित रहने का एक मात्र विकल्प है.
  • कॉन्टेक्ट लिस्ट प्राप्त करके हैकर्स अन्य लोगों को भी हानि पहुंचा सकता है.
  • किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें जो आपसे प्रतिबंधित एप्स का एक्सेस देने का वादा करे.

जयपुर : टिक-टॉक ने हम में से काफी लोगों का मनोरंजन किया होगा, लेकिन अब यह धोखाधड़ी करने का एक साधन बन चुका है, जिन लोगों को इस एप की लत लग गई है, वह इसे हर तरह के अवैध तरीके से डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं. एप डाउनलोड करने की इस ख्वाहिश के परिणाम स्वरूप साइबर अपराधियों ने स्थिति का लाभ उठाया और अब लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है.

कई लोग टिक-टॉक APK को ऑनलाइन सर्च कर प्रतिबंधित एप डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं. APK फाइल एक ऐसी फाइल है जिसके द्वारा आप किसी भी एप डाउनलोड कर सकते हैं.

साइबर क्रिमिनल इसी बात का लाभ लेकर कई लोगों को एसएमएस के माध्यम से भेजे गए एपीके लिंक द्वारा धोखा दिया है.

दरअसल, वाट्सएप पर एक मैसेज वायरल हुआ था, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति लिंक से एप डाउनलोड करता है ,तो वह फिर से टिक-टॉक का इस्तेमाल कर सकेगा.

टिक-टॉक बना हैकर्स का नया साइबर हथियार

ईटीवी भारत ने इस तरह के लिंक पर जागरूकता फैलाने कोशिश कर रहा है, ताकि लोग इसके पीछे की सच्चाई को जान सकें. इस लिंक पर क्लिक करने के बाद, संपर्क सूची के सभी नंबर तुरंत साइबर क्राइम को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं और कॉन्टेक्ट लिस्ट पर पहुंच आसान हो जाती है,जबकि लिंक से एप डाउनलोड करने वाला व्यक्ति निराश हो जाएगा क्योंकि यह उन्हें कई ऑनलाइन विज्ञापनों की ओर ले जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि कई लोगों ने अपने डेटा गोपनीयता पर समझौता करते हैं, क्योंकि यह लिंक वास्तव में मैलवेयर हैं, जो आपके फोन से डेटा फिशिंग में उपयोग किया जाते हैं. साइबर अपराधी आपके फोन में मैलवेयर डाउनलोड करने के लिए व्यसन कारक का उपयोग कर रहे हैं.

टिक-टॉक बना हैकर्स का नया साइबर हथियार
टिक-टॉक बना हैकर्स का नया साइबर हथियार

फेक टिक-टॉक डाउनलोड

  • साइबर क्रिमिनल एसएमएस लिंक और वाट्सएप लिंक भेजकर टिक-टॉक एप डाउनलोड करने को कहते हैं.
  • लिंक पर क्लिक करते ही मालवेयर फोन से जानकारी डाउनलोड कर लेता है.
  • फोन में मौजूद कॉन्टेक्ट नंबर्स को लिंक भेजने वाला शख्स ट्रांस्फर कर लेता है.
  • इसके अलावा वह फोन में सेव पासवर्ड तक अपनी पहुंच बना लेता है.

क्या करें

  • हमेशा लिंक में भेजी गई वेबसाइट की स्पेलिंग को चेक करें.
  • फोन में मौजूद सॉफ्टवेयर के माध्यम से लगातार मालवेयर को चेक करें.

क्या न करें

  • प्रतिबंधित एप से संबंधित एसएमएस और वाट्सएप से बचें.
  • किसी भी अटैचमेंट को न खोलें, जिसमें कहा गया हो कि सरकार की निगरानी से बचने में यह आपकी मदद करेगा.
  • सरकार द्वारा प्रतिबंधित एप्स को डाउनलोड न करें. यह गैर कानूनी है.

विशेषज्ञों का क्या कहना है

  • जागरुकता ही सुरक्षित रहने का एक मात्र विकल्प है.
  • कॉन्टेक्ट लिस्ट प्राप्त करके हैकर्स अन्य लोगों को भी हानि पहुंचा सकता है.
  • किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें जो आपसे प्रतिबंधित एप्स का एक्सेस देने का वादा करे.
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