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महात्मा गांधी का झारखंड से था विशेष लगाव, 1925 में आए थे हजारीबाग

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Published : Sep 19, 2019, 7:05 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 3:55 AM IST

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसी ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 34वीं कड़ी.

महात्मा गांधी की फाइल फोटो

हजारीबाग: हजार बागों के शहर हजारीबाग को प्रकृति ने बेशुमार तोहफा दिया है. इसकी खूबसूरती ने अंग्रेजों को भी आकर्षित किया है. एक तरफ इसकी खूबसूरती अनमोल है तो दूसरी ओर हजारीबाग का ऐतिहासिक महत्व भी है.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी हजारीबाग ने अपनी ओर आकर्षित किया है. इसके कारण ही उन्होंने हजारीबाग आकर इस शहर को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया. ईटीवी भारत आज आपको महात्मा गांधी और हजारीबाग से जुड़े उन पन्नों से रूबरू कराएगा, जिसे देखकर आपको यकीन हो जाएगा कि हजारीबाग बेहद खास शहर है.

वर्ष 2019 बेहद खास है. इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. ऐसे में महात्मा गांधी से जुड़ी कई रोचक बातें ईटीवी भारत आपको बता रहा है. झारखंड के हजारीबाग शहर से महात्मा गांधी का विशेष लगाव रहा है.

सबसे पहले महात्मा गांधी 18 सितंबर 1925 में हजारीबाग आए थे. महात्मा गांधी मांडू होते हुए हजारीबाग पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने संत कोलंबस कॉलेज के व्लिटले हॉल में भाषण दिया था.

गांधी की 150वीं जयंती पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इस हॉल में उन्होंने अशिक्षा, छुआछूत, पर्दा प्रथा, विधवा विवाह, हरिजन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद की थी. गांधी की अगुआई करने में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें सरस्वती देवी, त्रिवेणी प्रसाद और बाबू राम नारायण सिंह प्रमुख थे. हजारीबाग आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था.

घने जंगलों से आच्छादित और कुदरती सौंदर्य के धनी इस शहर पर अंग्रेजों की शुरू से ही नजर रही है थी, जिसका परिणाम हजारीबाग का केंद्रीय कारागर भी रहा है. इसी शहर की सरजमीं पर राष्ट्रपिता ने 18 सितंबर 1925 को मटवारी मैदान में स्वतंत्रता सेनानियों को संबोधित भी किया था, जिसे आज गांधी मैदान के रूप में जाना जाता है.

उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उन्होंने आवाज तो बुलंद की ही थी साथ ही साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया था. बापू का पहला भाषण संत कोलंबस कॉलेज के व्हिटले हॉल में हुआ था.

इसके पश्चात उन्होंने कर्जन मैदान में आम सभा को संबोधित किया था. बापू शहर के प्रतिष्ठित सूरत बाबू के निवास पर रात्रि विश्राम करते थे. हजारीबाग के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर विकास कुमार बताते हैं कि महात्मा गांधी ने हजारीबाग में आकर लोगों को संबोधित किया था और कई बिंदुओं पर चर्चा की थी जिनका आज इतिहास के पन्नों में जिक्र है.

हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर रमेश सरण का मानना है कि गांधी व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि एक विचारधारा है.

गांधी की 150वीं जयंती पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय में चिंतन शिविर चल रहा है, जिसमें महात्मा गांधी और कई स्वतंत्र सेनानियों के अनुयाई पहुंचकर उनके आदर्शों पर चर्चा करते हैं और उन पर अमल करने की बात करते हैं.

उनका मानना है कि हजारीबाग इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जगाया था और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की वकालत की थी.

देश के जाने-माने स्वतंत्रा सेनानी स्वर्गीय रामनारायण सिंह से महात्मा गांधी का विशेष लगाव था. आज उनके पोते प्रोफेसर प्रमोद सिंह के पास महात्मा गांधी से जुड़ी ऐसी यादें हैं, जो हजारीबाग के प्रति उनके लगाव को जाहिर करती हैं.

महात्मा गांधी स्वर्गीय राम नारायण सिंह को कई बार खत भी लिखते थे. उस खत में आजादी और समाज की कुरीतियों का जिक्र होता था. इतना ही नहीं जब राम नारायण सिंह की पत्नी का देहांत हुआ तो उस दुख के समय में भी महात्मा गांधी ने अपनी संवेदना पत्र के जरिए भेजी थी.

आज ईटीवी भारत भी उस पत्र को आपके सामने रख रहा है. जो इस बात की पुष्टि करता है कि गांधी और राम नारायण सिंह के घनिष्ठ संबंध थे. उनके पोते भी कहते हैं कि अब यादें पन्नों में दफन हैं और वे पन्ने हजारीबाग से महात्मा गांधी के संबंध को बयां करते हैं.

महात्मा गांधी की अस्थियां भी हजारीबाग लाई गईं थीं. उनकी अस्थियों को यहां के कुमार टोली क्षेत्र में रखा गया था, जहां गांधी के अनुयायियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की थी. आज उस जगह पर गांधी स्मारक बना है. यहां गांधी जयंती एवं पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इतना ही नहीं जब भी कोई आंदोलन शुरू होता है तो हजारीबाग के लोग सबसे पहले गांधी स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं तब आंदोलन में करते हैं.

हजारीबाग: हजार बागों के शहर हजारीबाग को प्रकृति ने बेशुमार तोहफा दिया है. इसकी खूबसूरती ने अंग्रेजों को भी आकर्षित किया है. एक तरफ इसकी खूबसूरती अनमोल है तो दूसरी ओर हजारीबाग का ऐतिहासिक महत्व भी है.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी हजारीबाग ने अपनी ओर आकर्षित किया है. इसके कारण ही उन्होंने हजारीबाग आकर इस शहर को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया. ईटीवी भारत आज आपको महात्मा गांधी और हजारीबाग से जुड़े उन पन्नों से रूबरू कराएगा, जिसे देखकर आपको यकीन हो जाएगा कि हजारीबाग बेहद खास शहर है.

वर्ष 2019 बेहद खास है. इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. ऐसे में महात्मा गांधी से जुड़ी कई रोचक बातें ईटीवी भारत आपको बता रहा है. झारखंड के हजारीबाग शहर से महात्मा गांधी का विशेष लगाव रहा है.

सबसे पहले महात्मा गांधी 18 सितंबर 1925 में हजारीबाग आए थे. महात्मा गांधी मांडू होते हुए हजारीबाग पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने संत कोलंबस कॉलेज के व्लिटले हॉल में भाषण दिया था.

गांधी की 150वीं जयंती पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इस हॉल में उन्होंने अशिक्षा, छुआछूत, पर्दा प्रथा, विधवा विवाह, हरिजन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद की थी. गांधी की अगुआई करने में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें सरस्वती देवी, त्रिवेणी प्रसाद और बाबू राम नारायण सिंह प्रमुख थे. हजारीबाग आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था.

घने जंगलों से आच्छादित और कुदरती सौंदर्य के धनी इस शहर पर अंग्रेजों की शुरू से ही नजर रही है थी, जिसका परिणाम हजारीबाग का केंद्रीय कारागर भी रहा है. इसी शहर की सरजमीं पर राष्ट्रपिता ने 18 सितंबर 1925 को मटवारी मैदान में स्वतंत्रता सेनानियों को संबोधित भी किया था, जिसे आज गांधी मैदान के रूप में जाना जाता है.

उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उन्होंने आवाज तो बुलंद की ही थी साथ ही साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया था. बापू का पहला भाषण संत कोलंबस कॉलेज के व्हिटले हॉल में हुआ था.

इसके पश्चात उन्होंने कर्जन मैदान में आम सभा को संबोधित किया था. बापू शहर के प्रतिष्ठित सूरत बाबू के निवास पर रात्रि विश्राम करते थे. हजारीबाग के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर विकास कुमार बताते हैं कि महात्मा गांधी ने हजारीबाग में आकर लोगों को संबोधित किया था और कई बिंदुओं पर चर्चा की थी जिनका आज इतिहास के पन्नों में जिक्र है.

हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर रमेश सरण का मानना है कि गांधी व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि एक विचारधारा है.

गांधी की 150वीं जयंती पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय में चिंतन शिविर चल रहा है, जिसमें महात्मा गांधी और कई स्वतंत्र सेनानियों के अनुयाई पहुंचकर उनके आदर्शों पर चर्चा करते हैं और उन पर अमल करने की बात करते हैं.

उनका मानना है कि हजारीबाग इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जगाया था और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की वकालत की थी.

देश के जाने-माने स्वतंत्रा सेनानी स्वर्गीय रामनारायण सिंह से महात्मा गांधी का विशेष लगाव था. आज उनके पोते प्रोफेसर प्रमोद सिंह के पास महात्मा गांधी से जुड़ी ऐसी यादें हैं, जो हजारीबाग के प्रति उनके लगाव को जाहिर करती हैं.

महात्मा गांधी स्वर्गीय राम नारायण सिंह को कई बार खत भी लिखते थे. उस खत में आजादी और समाज की कुरीतियों का जिक्र होता था. इतना ही नहीं जब राम नारायण सिंह की पत्नी का देहांत हुआ तो उस दुख के समय में भी महात्मा गांधी ने अपनी संवेदना पत्र के जरिए भेजी थी.

आज ईटीवी भारत भी उस पत्र को आपके सामने रख रहा है. जो इस बात की पुष्टि करता है कि गांधी और राम नारायण सिंह के घनिष्ठ संबंध थे. उनके पोते भी कहते हैं कि अब यादें पन्नों में दफन हैं और वे पन्ने हजारीबाग से महात्मा गांधी के संबंध को बयां करते हैं.

महात्मा गांधी की अस्थियां भी हजारीबाग लाई गईं थीं. उनकी अस्थियों को यहां के कुमार टोली क्षेत्र में रखा गया था, जहां गांधी के अनुयायियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की थी. आज उस जगह पर गांधी स्मारक बना है. यहां गांधी जयंती एवं पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इतना ही नहीं जब भी कोई आंदोलन शुरू होता है तो हजारीबाग के लोग सबसे पहले गांधी स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं तब आंदोलन में करते हैं.

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Last Updated : Oct 1, 2019, 3:55 AM IST
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