हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी से संक्रमण, मौतें और रिकवरी की खबरों से संबंधित जानकारियां रोजना ही देखने को मिलती हैं. ऐसे में इससे बचने के लिए साफ सफाई और अन्य सावधानियां बरतने के अलावा कुछ अन्य जानकारी भी है, जिसके बारे में जागरूक होना सबके लिए बेहद जरूरी है. आए दिन हम अखबार, सोशल मीडिया, टेलीविजन या किसी जानकार व्यक्ति को कहते सुनते हैं, मास्क पहनें, साफ-सफाई रखें इत्यादि. इन सबके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यह है कि, एक बार संक्रमण से मुक्त हो जाने पर भी क्या आप और हम सुरक्षित हैं?
ऐसे सवाल संभवतः सबके दिमाग में आए होंगे, खासतौर पर उन लोगों के, जो इस संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं.
हाल ही में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का निधन हुआ है. जानकारी के मुताबिक उन्हें कोरोना संक्रमण था और वे इससे उबर भी चुके थे. हालांकि, उनकी मौत कोरोना संक्रमण से नहीं हुई, बल्कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ के साथ-साथ कुछ अन्य परेशानियां भी थीं.
मुंबई में कोरोना से रिकवर होने के बाद मौत
इससे पहले मुंबई में एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया था और उसका कस्तूरबा अस्पताल में इलाज चला था, रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद शख्स की मौत हो गई.
हेमीबेन की हुई थी मौत
सूरत से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां सरकारी अस्पताल से 70 वर्षीय कोरोना मरीज हेमीबेन चोवतिया को डिस्चार्ज किया गया. अस्पताल से छुट्टी के वक्त बताया गया था कि रिकवरी हो गई है. हालांकि उन्हें हाइपरटेंशन की शिकायत थी. घर पहुंचने के कुछ ही घंटों बाद हेमीबेन की मौत हो गई.
चर्चा का विषय रही यह मौत
एक अन्य मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था, जब अहमदाबाद में 67 वर्षीय छगन मकवाना की मौत हो गई. कोरोना से रिकवर होने और अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद अचानक बस स्टॉप पर मकवाना की मौत हो गई.
ऐसे न जाने कितने मामले हैं, जहां कोरोना से रिकवर होने के बावजूद लोगों को फिर संक्रमण हो गया या कोरोना से रिकवरी के बाद भी संक्रमण के चलते उनकी मौत हो गई.
ऐसे में यह बात बहुत जरूरी हो जाती है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी कितना सावधान रहने की जरूरत है.
दरअसल जितनी चिंता और डर कोरोना संक्रमण से पहले थी, उतनी ही कोरोना के बाद भी देखी जा रही है. डॉक्टरों की मानें, तो कई बार ऐसा होता है कि कोविड से रिकवर हो चुके मरीजों के लंग्स में फाइब्रोसिस बनने लगता है. इससे सांस लेने में दिक्कत होती है.
मंत्रालय की मानें, तो कोरोना संक्रमण से उबर जाने का मतलब यह बिल्कुल नहीं कि अब किसी तरह का खतरा नहीं है. वायरस ने शरीर में जितना नुकसान किया, उससे उबरने में व्यक्ति को समय लगता है.
वैसे ही कई डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना से लड़ने के लिए शरीर एंटीबॉडी बनाता है. वहीं, कई मामलों में देखा गया कि ठीक होने वाले कुछ लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं बन रही है. ऐसे मामलों में संक्रमण का खतरा दोबारा होने की काफी आशंकाएं होती हैं.
विशेषज्ञों की मानें, तो देश और दुनिया में अभी तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई है, जिससे यह पता चल सके कि फिर से संक्रमण की गुंजाइश नहीं है. इसलिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है.
वहीं ह्रदय, किडनी और सांस की बीमारी वाले मरीजों को अपनी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है.