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बुजुर्गों पर असरदार मॉडर्ना कोविड-19 टीका, मिला इम्यून रिस्पॉन्स

कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. दरअसल, एनआईएआईडी और मॉडर्ना द्वारा विकसित टीके एमआरएनए-1273 का प्रथम चरण का परीक्षण किया गया. इसमें यह बात सामने आई कि बुजुर्गों में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखने को मिली. जानें, टीके की प्रभावशीलता को लेकर अनुसंधानकर्ताओं ने क्या कुछ कहा...

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वृद्ध व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई
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Published : Sep 30, 2020, 8:34 PM IST

बोस्टन : यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डीजिजेज (एनआईएआईडी) और अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना के अनुसंधानकर्ताओं ने मिलकर अनुसंधानात्मक टीके के प्रथम चरण का परीक्षण किया.

अनुसंधानात्मक टीके के प्रथम चरण के परीक्षण में यह बात सामने आयी कि इससे वृद्धों में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई.

'न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार प्रायोगिक टीके एमआरएनए-1273 को परीक्षण में शामिल व्यक्तियों ने अच्छी तरह से सहन किया.

एनआईएआईडी के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, वृद्ध व्यक्तियों पर कोविड-19 की जटिलताओं का अधिक खतरा रहता है और यह टीकाकरण के लिए महत्वपूर्ण हिस्सा है.

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह टीका इस वर्ग के लोगों पर किस तरह का प्रभाव डालता है, यह इसकी सुरक्षा एवं प्रभावकारिता का पता लगाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है.

पढ़ें : चीनी कंपनी का दावा, 2021 की शुरुआत में आएगी कोरोना वैक्सीन

प्रथम चरण का परीक्षण 16 मार्च 2020 को शुरू हुआ था और इसमें वृद्धों को पंजीकृत करने के लिए बाद में करीब एक महीना और बढ़ा दिया गया था.

वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके तहत परीक्षण में 40 स्वस्थ स्वयंसेवकों को पंजीकृत किया गया. इनमें 20 की आयु 56 से 70 वर्ष और 20 की आयु 71 वर्ष या उससे अधिक थी.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि टीके को इस आयु वर्ग के स्वयंसेवकों द्वारा अच्छी तरह से सहन किया गया, हालांकि कुछ में टीके लगने के बाद बुखार या थकान जैसे प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले. वैज्ञानिकों के अनुसार जिन्हें टीके लगाए गए, उनमें कोरोना वायरस एसएआरएस-सीओपी-2 के प्रति अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई.

बोस्टन : यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डीजिजेज (एनआईएआईडी) और अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना के अनुसंधानकर्ताओं ने मिलकर अनुसंधानात्मक टीके के प्रथम चरण का परीक्षण किया.

अनुसंधानात्मक टीके के प्रथम चरण के परीक्षण में यह बात सामने आयी कि इससे वृद्धों में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई.

'न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार प्रायोगिक टीके एमआरएनए-1273 को परीक्षण में शामिल व्यक्तियों ने अच्छी तरह से सहन किया.

एनआईएआईडी के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, वृद्ध व्यक्तियों पर कोविड-19 की जटिलताओं का अधिक खतरा रहता है और यह टीकाकरण के लिए महत्वपूर्ण हिस्सा है.

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह टीका इस वर्ग के लोगों पर किस तरह का प्रभाव डालता है, यह इसकी सुरक्षा एवं प्रभावकारिता का पता लगाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है.

पढ़ें : चीनी कंपनी का दावा, 2021 की शुरुआत में आएगी कोरोना वैक्सीन

प्रथम चरण का परीक्षण 16 मार्च 2020 को शुरू हुआ था और इसमें वृद्धों को पंजीकृत करने के लिए बाद में करीब एक महीना और बढ़ा दिया गया था.

वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके तहत परीक्षण में 40 स्वस्थ स्वयंसेवकों को पंजीकृत किया गया. इनमें 20 की आयु 56 से 70 वर्ष और 20 की आयु 71 वर्ष या उससे अधिक थी.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि टीके को इस आयु वर्ग के स्वयंसेवकों द्वारा अच्छी तरह से सहन किया गया, हालांकि कुछ में टीके लगने के बाद बुखार या थकान जैसे प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले. वैज्ञानिकों के अनुसार जिन्हें टीके लगाए गए, उनमें कोरोना वायरस एसएआरएस-सीओपी-2 के प्रति अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई.

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