नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर होने वाली भव्य परेड की असली जान होता है मार्चिंग दस्ता, इन्हें बैंड की धुनों पर लयबद्ध तरीके से कदमताल करते देख हर किसी का सिर गर्व से तन जाता है. परेड को भव्य बनाने के पीछे होती है इन कैडेट्स की कड़ी मेहनत और बेहतर करने का जुनून.
इस बार गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर वायुसेना की 144 सदस्यीय टुकड़ी का नेतृत्व करने वाले फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रीकांत शर्मा को लगातार दूसरे साल यह गौरव हासिल होने जा रहा है. वह कहते हैं यहां 'आत्मसंतुष्टि की कोई गुंजाइश नहीं' है और परेड के दौरान उनका खुद से ही इस बात के लिये मुकाबला है कि 'यह प्रदर्शन पिछले बार की तुलना में कहीं बेहतर हो.'
वायुसेना के 27 वर्षीय इस अधिकारी ने गर्वीले ओज के साथ कहा कि उन्होंने और उनके दस्ते ने दिल्ली की भीषण सर्दी में कड़ा अभ्यास किया है जिससे 'सटीक लयबद्धता' लाई जा सके.
शर्मा ने बताया, 'लेकिन राजपथ पर अभ्यास के दौरान एक-दूसरे को देखकर हमें जो 'जोश' मिलता है उसके सामने यह कुछ भी नहीं और खास तौर पर तब जब सुबह की सैर के लिये यहां आने वाले लोग हमें देखने के लिये सड़क किनारे खड़े होते हैं तो ठंड के बावजूद हमें बेहद ऊर्जा मिलती है.'
जयपुर के रहने वाले शर्मा एनसीसी कैडेट रहे हैं.
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सुपर डिमोना, पीसी-7,किरण एमके-3, हॉक और सुखोई एसयू-30 जैसे विमानों को उड़ा चुके शर्मा ने कहा कि वह 'जोश में हैं.'
अधिकारियों ने कहा कि वायुसेना को 2011,2012 और 2013 सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दस्ते का खिताब मिल चुका है.
इस पारंपरिक परेड के दौरान सिग्नल कोर के पुरुषों के दस्ते का नेतृत्व कैप्टन तानिया शेरगिल करेंगी. तानिया ने कहा कि यह 'यह बेहद सम्मान और गर्व तथा उपलब्धि व योग्यता की भावना' का अहसास कराती है.
यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली की भीषण ठंड ने दस्ते के सदस्यों का उत्साह कम किया, उन्होंने कहा, 'नहीं. राजपथ पर ऊर्जा का स्तर इतना ऊंचा होता है और हम 'फौजी' एक दूसरे से 'जोश' महसूस करते हैं और साझी दिल की धड़कन के साथ कदमताल करते हैं.'
नौसेना के दस्ते में शामिल महिला अधिकारी भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनकर उत्साहित हैं.
हैदराबाद की रहने वाली सब लेफ्टिनेंट एम स्पंदना रेड्डी (24) ने गर्व के साथ बताया, 'यह हमारे लिये गर्व की बात है. एक नौसैनिक अधिकारी और एक भारतीय के तौर पर भी, राजपथ पर पारंपरिक परेड के दौरान मार्च करने का मौका हमारे अंदर असाधारण जोश भर देता है.'
विभिन्न दस्तों का नेतृत्व करने वालों का कहना है कि विभिन्न रेजीमेंटों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला 'जय हिंद' जैसा नारा और 'जो बोले सो निहाल' जैसे युद्ध घोष पहले से ही उत्साहपूर्ण माहौल में और रोमांच भर देते हैं.
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उन्होंने कहा, 'और हां, दिल्ली में दिसंबर में भीषण ठंड थी और हम ज्यादा गर्म कपड़ों के बिना सर्द हवाओं और कोहरे में अभ्यास करते थे लेकिन यकीन मानिए हमें एक दूसरे को देखकर जो 'जोश' आता था वह असाधारण था और हमें गर्म और सजग रखने के लिये पर्याप्त भी.'