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जदयू कार्यालय पहुंचकर गुप्तेश्वर पांडे ने सीएम नीतीश से की मुलाकात - gupteshwar pandey

बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू कार्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश से मुलाकात की. कयास लगाए जा रहे हैं कि गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू में शामिल हो सकते हैं. कुछ ही देर में यह स्पष्ट हो जाएगा.

Gupteshwar Pandey
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे
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Published : Sep 26, 2020, 1:30 PM IST

Updated : Sep 26, 2020, 2:08 PM IST

पटना : पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू कार्यालय पहुंचे हैं. जहां उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की. कयास लगाया जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू में शामिल होंगे. बता दें कुछ दिन पहले ही गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लिया था. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वह कोई पार्टी ज्वाइन करेंगे.

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का कहना है कि उनके द्वारा अभी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला करना बाकी है. उन्होंने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का कोई फायदा नहीं उठाया है.

उन्होंने बुधवार को कहा था कि मैंने व्यक्तिगत क्षमता पर वीआरएस लिया है और मैं अपने गृह जिले बक्सर सहित राज्यभर से आने वाले लोगों से मिल रहा हूं. मैं वर्षों से कम्युनिटी पुलिसिंग के माध्यम से उनसे जुड़ा हूं. वह मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं, लेकिन मैंने चुनाव लड़ने या किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने का अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.

पांडेय ने कहा, 'मैं चतरा जिले (अब झारखंड में) में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग के बाद से कम्यूनिटी पुलिसिंग से जुड़ा हुआ हूं. मैं बिहार और झारखंड में 50 से अधिक मुठभेड़ों में शामिल था. उन मुठभेड़ों के बाद कम्यूनिटी पुलिसिंग का अनुसरण कर बेगुसराय में 1993 और 1994 में अपराध दर न्यूनतम स्तर पर था.'

शिवसेना के आरोपों पर गुप्तेश्वर का जवाब
इस मामले में उनका कहना है कि सुशांत की रहस्यमय मौत के मामले में पटना में एफआईआर दर्ज करना गैरकानूनी नहीं था. यह सुप्रीम कोर्ट (एससी) में सिद्ध हो चुका है. मैंने सुशांत मामले में सीबीआई से सिफारिश की है, जो मेरी तरफ से आखिरी प्रयास था. मैंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि उनके बूढ़े और लाचार पिता पटना में रहते हैं और वह मुंबई पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थे.'

पढ़ें - बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने लिया वीआरएस, लड़ सकते हैं विधानसभा चुनाव

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाने के बाद रिया चक्रवर्ती पर टिप्पणी की थी. मैंने ध्यान दिलाया कि वह सुशांत मामले में कथित आपराधिक आरोपों का सामना कर रही हैं. जो पहले से ही आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है, उसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को दोष नहीं देना चाहिए.

पटना : पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू कार्यालय पहुंचे हैं. जहां उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की. कयास लगाया जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू में शामिल होंगे. बता दें कुछ दिन पहले ही गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लिया था. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वह कोई पार्टी ज्वाइन करेंगे.

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का कहना है कि उनके द्वारा अभी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला करना बाकी है. उन्होंने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का कोई फायदा नहीं उठाया है.

उन्होंने बुधवार को कहा था कि मैंने व्यक्तिगत क्षमता पर वीआरएस लिया है और मैं अपने गृह जिले बक्सर सहित राज्यभर से आने वाले लोगों से मिल रहा हूं. मैं वर्षों से कम्युनिटी पुलिसिंग के माध्यम से उनसे जुड़ा हूं. वह मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं, लेकिन मैंने चुनाव लड़ने या किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने का अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.

पांडेय ने कहा, 'मैं चतरा जिले (अब झारखंड में) में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग के बाद से कम्यूनिटी पुलिसिंग से जुड़ा हुआ हूं. मैं बिहार और झारखंड में 50 से अधिक मुठभेड़ों में शामिल था. उन मुठभेड़ों के बाद कम्यूनिटी पुलिसिंग का अनुसरण कर बेगुसराय में 1993 और 1994 में अपराध दर न्यूनतम स्तर पर था.'

शिवसेना के आरोपों पर गुप्तेश्वर का जवाब
इस मामले में उनका कहना है कि सुशांत की रहस्यमय मौत के मामले में पटना में एफआईआर दर्ज करना गैरकानूनी नहीं था. यह सुप्रीम कोर्ट (एससी) में सिद्ध हो चुका है. मैंने सुशांत मामले में सीबीआई से सिफारिश की है, जो मेरी तरफ से आखिरी प्रयास था. मैंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि उनके बूढ़े और लाचार पिता पटना में रहते हैं और वह मुंबई पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थे.'

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उन्होंने आगे कहा, 'मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाने के बाद रिया चक्रवर्ती पर टिप्पणी की थी. मैंने ध्यान दिलाया कि वह सुशांत मामले में कथित आपराधिक आरोपों का सामना कर रही हैं. जो पहले से ही आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है, उसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को दोष नहीं देना चाहिए.

Last Updated : Sep 26, 2020, 2:08 PM IST
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