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भाई बहन के प्यार का अटूट बंधन, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

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Published : Aug 3, 2020, 8:17 AM IST

Updated : Aug 3, 2020, 9:41 AM IST

आज भाई-बहन के अटूट प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार है. ईटीवी भारत के जरिए पंडित राजेश दुबे ने रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त बताया है. इसके साथ ही रक्षाबंधन के अवसर पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को राखी चढ़ेगी, इससे पहले मंदिर को राखियों से सजाया गया है. दूसरी तरफ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने देशवासियों को रक्षाबंधन की बधाई दी है. पढ़ें ईटीवी भारत की यह खबर...

raksha bandhan amid lockdown restrictions
रक्षाबंधन का त्योहार

नई दिल्ली : रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है. बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उसके सुखी जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई बदले में बहन को उपहार भेंट करते हैं. सनातन धर्म में यह मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य शुभ समय अर्थात शुभ मुहूर्त किया जाता है. इसलिए राखी पर भी शुभ मुहूर्त का विचार किया जाता है. ईटीवी भारत के जरिए पंडित राजेश दुबे ने रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त बताया है.

रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को ढेर सारी शुभकामनाएं दी हैं.

Raksha Bandhan
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी ट्वीट कर रक्षाबंधन की बधाईयां
Raksha Bandhan india
राष्ट्रपति ने दी देशवासियों को रक्षा बंधन की बधाई

पंडित राजेश दुबे का कहना है कि रक्षाबंधन का दिन सावन सोमवार का दिन है और उस दिन भद्रा भी है. प्रात:काल भद्रा होने के कारण सूर्य उदय से कुछ समय पहले तक यानी एक पहर तक रक्षाबंधन नहीं मनेगा और उसके बाद 7:30 से 9:00 के बीच शुभ का चौघड़िया रहेगा, उसमें रक्षाबंधन मना सकते हैं.

जानिए रक्षाबंधन त्योहार पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

10:30 बजे से लेकर रात्रि 7:30 बजे तक लगातार शुभ योग है और उस शुभ योग में यदि आप रक्षाबंधन मना रहे हैं तो बड़ा ही शुभ फल देने वाला है. विशेष तौर पर अभिजीत मुहूर्त और प्रदोष काल में रक्षाबंधन मनाया जाए भाई बहनों में प्रगाढ़ प्रेम बढ़ेगा और यह मुहूर्त सुख शांति देने वाला रहेगा. इसलिए 10:30 बजे से लेकर 12:30 बजे दिन में यदि देखा जाए तो महूर्त सबसे अधिक विशेष है.

इसी प्रकार शाम का 4:30 से लेकर साढे 7 के बीच में जो समय है, कहा जा सकता है कि प्रदोष दोष काल है और उसके साथी गोधूलि काल है, इसमें रक्षाबंधन बांधने से अमृत फल प्राप्त होते हैं.

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का त्योहार है, लेकिन इस साल कोरोना संकट ने सभी त्योहारों के रंग फीके कर दिए हैं. वहीं कही-कही पर लॉकडाउन की वजह से भी बाजारों में कम रौनक नजर आ रही है.

महाकालेश्वर मंदिर से होगी राखी की शुरुआत
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में परंपरागत रूप से पूजन-अर्चना, आरती कर भगवान महाकाल को सबसे पहले भस्मारती में राखी बांधी जाएगी, इसके लिए बाबा के दरबार को इस बार हैंडमेड फूलों और राखियों से सजाया गया है. इस बार कोरोना संकट के कारण भगवान को सवा लाख की जगह प्रतीकात्मक रूप से 11 हजार लड्‌डुओं का ही भोग लगाया जाएगा.

रक्षाबंधन के त्योहार में महाकाल को बंधेगी राखी

उज्जैन विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में राखी के एक दिन पहले ही सज गया है, रंग बिरंगी राखियों से महाकाल मंदिर का गर्भ गृह और नंदी गृह को सजाया गया है. बाबा के दरबार में खूबसूरत अलग-अलग रंगों की राखियां लगाई गई हैं. सोमवार भस्म आरती के बाद 11 हजार लड्डू के भोग के साथ भगवान महाकाल को राखी बांधी जाएगी.

महाकाल मंदिर के पुजारी यश गुरु ने बताया, इस बार कोरोना वायरस का प्रकोप चल रहा है, ऐसे में अधिक संख्या में लड्‌डुओं का निर्माण करना और इन्हें मंदिर में दिनभर वितरण करना संभव नहीं हो सकेगा. ऐसे में आम जन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि इस बार पूजन-अर्चन तो पंरपरा अनुसार ही किया जाएगा, भगवान को सबसे पहले राखी चढ़ाई जाएगी तथा 11 हजार लड्‌डुओं का महाभोग लगाया जाएग.

रक्षाबंधन में हिमाचल प्रदेश की अनूठी परंपरा
हिमाचल प्रदेश कुल्लू के प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली के कुछ गांव में रक्षाबंधन से लेकर दशहरा तक राखी को लेकर जीजा साली के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो जाती है. यहां साली और भाभी को राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है. ताकि भाभी अपने देवर और साली अपने जीजा की कलाई पर बांधी गई राखी को तोड़ सकें.

रक्षाबंधन में हिमाचल प्रदेश की अनूठी परंपरा

इसमें अगर साली ने अपने जीजा की राखी को दशहरे से पहले तोड़ दिया तो साली की जीत हो जाती है. अगर साली राखी को नहीं तोड़ पाई तो ऐसे में यह जीत जीजा की मानी जाती है और इस जीत को लेकर घर में जश्न भी मनाया जाता है.

कई दशकों से चली आ रही जीजा साली की राखी तोड़ने की अनूठी परंपरा यहां निरंतर जारी है. स्थानीय लोगों के अनुसार मनाली क्षेत्र में करीब दो दशक पहले केवल पुरोहित ही लोगों को राखी बांधते थे, लेकिन अब बहनें अपने भाई को राखी बांधने के लिए उनके घर जाती हैं और वह इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करती हैं.

उझी घाटी के स्थानीय लोगों ने बताया कि बहन की ओर से जो भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है उस डोर को दशहरे तक संभाल कर रखना होता है. अगर इससे पहले उनकी भाभी या साली ने राखी तोड़ दी तो पुरुष की हार मानी जाती है.

ग्रामीणों का इस अनूठी परंपरा के पीछे एक तर्क यह भी है कि पुरुष को रक्षा के सारे सूत्र आने चाहिए. अगर पुरुष अपने राखी को दशहरे तक बचाने में कामयाब होता है. तो वह अपनी बहन व समाज की रक्षा करने में भी सक्षम है और ऐसे में हंसी मजाक के बीच इस अनूठी परंपरा का आज भी उझी घाटी के ग्रामीण इलाकों में निर्वहन किया जाता है.

उत्तराखंड के नैनीताल में फौजियों के लिए भेजी गई राखियां
भाई-बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन में आज यह राखियां एलओसी ( LOC ) और एलएसी( LAC) में तैनात फौजी भाइयों के हाथों में बांधी जाएंगी. उत्तराखंड के नैनीताल की दीप्ति ने हस्त निर्मित राखियां भारत-चीन सीमा और भारत-पाकिस्तान सीमा पर देश की सुरक्षा में तैनात फौजी भाइयों के लिए भेजी हैं. दीप्ति ने बताया कि रक्षाबंधन के त्योहार के दिन भी कई भाई ऐसे हैं जो अपने घर नहीं आ पाते हैं. इसलिए उन्होंने देश की निस्वार्थ सेवा कर रहे सैनिक भाइयों के लिए अपने हाथों से राखी बनाकर भेजी हैं. दीप्ति के द्वारा इन राखियों को फौजी भाइयों तक भेजने से पहले पूरी तरह सैनिटाइज भी कराया गया, ताकि किसी को कोरोना संक्रमण न हो.

नैनीताल में तैयार सेनिकों के लिए होम मेड राखी

देहरादून के बाजारों में बायकॉट चाइना
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रक्षाबंधन के त्योहार पर भारत-चीन विवाद, कोविड-19 और आत्मनिर्भर भारत की अनोखी पहल देखने को मिली. दून की महिलाओं ने तीन सूत्रीय उद्देश्यों को आत्मनिर्भर राखी के जरिए साकार किया. देहरादून के बाजारों से चाइनीज राखियां गायब हैं. इस बार होम मेड राखियां ज्यादा देखने को मिल रही हैं. इस रक्षाबंधन इसे आत्मनिर्भर भारत से जोड़कर देखा जा रहा है. देहरादून में एक महिला समूह से ईटीवी भारत की टीम ने बात की. इस दौरान महिलाओं ने बताया कि उन्होंने इस बार चीनी सामान का बहिष्कार करते हुए खुद राखी तैयार की है. साथ ही पीएम के 'आत्मनिर्भर भारत' के जरिए सभी को जागरूक करने के लिए होममेड राखी बनाई है.

बनाई गई हेंडमेड राखियां

अंशिता शर्मा ने बताया कि उन्होंने और उनकी साथी महिलाओं ने घर में पड़ी बिना उपयोग वाली वस्तुओं से राखियां तैयार की हैं, जो कि दिखने में बेहद सुंदर और आकर्षक भी हैं. अंशिता ने कहा कि कोरोना वायरस का सूत्रधार चाइना है. इसलिए उन्होंने इस बार चाइना के सामानों का बहिष्कार किया है और देश की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए घर में ही राखी तैयार की है.

जानिए क्यों बनाया जाता है रक्षाबंधन का त्योहार

इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन
शास्त्रों के अनुसार एक बार देवासुर संग्राम हुआ. उस संग्राम में देवताओं की पराजय हो गई. तब इंद्र देव गुरु बृहस्पति के पास गए और उन्हें अपनी पराजय के बारे में बताया. साथ ही इंद्र ने कहा कि इस पराजय का बदला लेने के लिए हमें युद्ध तो करना ही होगा. यह बात इंद्राणी ने सुन ली. तब इंद्राणी ने कहा कि वह आप सभी के लिए एक रक्षा सूत्र तैयार करेंगी, जिसे विधि-विधान से ब्राह्मणों के द्वारा बंधवा लें. इसके बाद सभी देवताओं ने रक्षा सूत्र बांधा और विजय प्राप्त की. तभी से बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधन का प्रचलन हो गया.

रक्षा सूत्र बांधने की विधि
ज्योतिषाचार्य पंडित देवेंद्र आचार्य के अनुसार बहनों को रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांधने के दौरान विशेष आरती करनी चाहिए. रोली चंदन और अक्षत लगाकर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए. साथ ही भाई का मुंह मीठा भी करवाना चाहिए.

नई दिल्ली : रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है. बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उसके सुखी जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई बदले में बहन को उपहार भेंट करते हैं. सनातन धर्म में यह मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य शुभ समय अर्थात शुभ मुहूर्त किया जाता है. इसलिए राखी पर भी शुभ मुहूर्त का विचार किया जाता है. ईटीवी भारत के जरिए पंडित राजेश दुबे ने रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त बताया है.

रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को ढेर सारी शुभकामनाएं दी हैं.

Raksha Bandhan
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी ट्वीट कर रक्षाबंधन की बधाईयां
Raksha Bandhan india
राष्ट्रपति ने दी देशवासियों को रक्षा बंधन की बधाई

पंडित राजेश दुबे का कहना है कि रक्षाबंधन का दिन सावन सोमवार का दिन है और उस दिन भद्रा भी है. प्रात:काल भद्रा होने के कारण सूर्य उदय से कुछ समय पहले तक यानी एक पहर तक रक्षाबंधन नहीं मनेगा और उसके बाद 7:30 से 9:00 के बीच शुभ का चौघड़िया रहेगा, उसमें रक्षाबंधन मना सकते हैं.

जानिए रक्षाबंधन त्योहार पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

10:30 बजे से लेकर रात्रि 7:30 बजे तक लगातार शुभ योग है और उस शुभ योग में यदि आप रक्षाबंधन मना रहे हैं तो बड़ा ही शुभ फल देने वाला है. विशेष तौर पर अभिजीत मुहूर्त और प्रदोष काल में रक्षाबंधन मनाया जाए भाई बहनों में प्रगाढ़ प्रेम बढ़ेगा और यह मुहूर्त सुख शांति देने वाला रहेगा. इसलिए 10:30 बजे से लेकर 12:30 बजे दिन में यदि देखा जाए तो महूर्त सबसे अधिक विशेष है.

इसी प्रकार शाम का 4:30 से लेकर साढे 7 के बीच में जो समय है, कहा जा सकता है कि प्रदोष दोष काल है और उसके साथी गोधूलि काल है, इसमें रक्षाबंधन बांधने से अमृत फल प्राप्त होते हैं.

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का त्योहार है, लेकिन इस साल कोरोना संकट ने सभी त्योहारों के रंग फीके कर दिए हैं. वहीं कही-कही पर लॉकडाउन की वजह से भी बाजारों में कम रौनक नजर आ रही है.

महाकालेश्वर मंदिर से होगी राखी की शुरुआत
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में परंपरागत रूप से पूजन-अर्चना, आरती कर भगवान महाकाल को सबसे पहले भस्मारती में राखी बांधी जाएगी, इसके लिए बाबा के दरबार को इस बार हैंडमेड फूलों और राखियों से सजाया गया है. इस बार कोरोना संकट के कारण भगवान को सवा लाख की जगह प्रतीकात्मक रूप से 11 हजार लड्‌डुओं का ही भोग लगाया जाएगा.

रक्षाबंधन के त्योहार में महाकाल को बंधेगी राखी

उज्जैन विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में राखी के एक दिन पहले ही सज गया है, रंग बिरंगी राखियों से महाकाल मंदिर का गर्भ गृह और नंदी गृह को सजाया गया है. बाबा के दरबार में खूबसूरत अलग-अलग रंगों की राखियां लगाई गई हैं. सोमवार भस्म आरती के बाद 11 हजार लड्डू के भोग के साथ भगवान महाकाल को राखी बांधी जाएगी.

महाकाल मंदिर के पुजारी यश गुरु ने बताया, इस बार कोरोना वायरस का प्रकोप चल रहा है, ऐसे में अधिक संख्या में लड्‌डुओं का निर्माण करना और इन्हें मंदिर में दिनभर वितरण करना संभव नहीं हो सकेगा. ऐसे में आम जन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि इस बार पूजन-अर्चन तो पंरपरा अनुसार ही किया जाएगा, भगवान को सबसे पहले राखी चढ़ाई जाएगी तथा 11 हजार लड्‌डुओं का महाभोग लगाया जाएग.

रक्षाबंधन में हिमाचल प्रदेश की अनूठी परंपरा
हिमाचल प्रदेश कुल्लू के प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली के कुछ गांव में रक्षाबंधन से लेकर दशहरा तक राखी को लेकर जीजा साली के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो जाती है. यहां साली और भाभी को राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है. ताकि भाभी अपने देवर और साली अपने जीजा की कलाई पर बांधी गई राखी को तोड़ सकें.

रक्षाबंधन में हिमाचल प्रदेश की अनूठी परंपरा

इसमें अगर साली ने अपने जीजा की राखी को दशहरे से पहले तोड़ दिया तो साली की जीत हो जाती है. अगर साली राखी को नहीं तोड़ पाई तो ऐसे में यह जीत जीजा की मानी जाती है और इस जीत को लेकर घर में जश्न भी मनाया जाता है.

कई दशकों से चली आ रही जीजा साली की राखी तोड़ने की अनूठी परंपरा यहां निरंतर जारी है. स्थानीय लोगों के अनुसार मनाली क्षेत्र में करीब दो दशक पहले केवल पुरोहित ही लोगों को राखी बांधते थे, लेकिन अब बहनें अपने भाई को राखी बांधने के लिए उनके घर जाती हैं और वह इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करती हैं.

उझी घाटी के स्थानीय लोगों ने बताया कि बहन की ओर से जो भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है उस डोर को दशहरे तक संभाल कर रखना होता है. अगर इससे पहले उनकी भाभी या साली ने राखी तोड़ दी तो पुरुष की हार मानी जाती है.

ग्रामीणों का इस अनूठी परंपरा के पीछे एक तर्क यह भी है कि पुरुष को रक्षा के सारे सूत्र आने चाहिए. अगर पुरुष अपने राखी को दशहरे तक बचाने में कामयाब होता है. तो वह अपनी बहन व समाज की रक्षा करने में भी सक्षम है और ऐसे में हंसी मजाक के बीच इस अनूठी परंपरा का आज भी उझी घाटी के ग्रामीण इलाकों में निर्वहन किया जाता है.

उत्तराखंड के नैनीताल में फौजियों के लिए भेजी गई राखियां
भाई-बहन के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन में आज यह राखियां एलओसी ( LOC ) और एलएसी( LAC) में तैनात फौजी भाइयों के हाथों में बांधी जाएंगी. उत्तराखंड के नैनीताल की दीप्ति ने हस्त निर्मित राखियां भारत-चीन सीमा और भारत-पाकिस्तान सीमा पर देश की सुरक्षा में तैनात फौजी भाइयों के लिए भेजी हैं. दीप्ति ने बताया कि रक्षाबंधन के त्योहार के दिन भी कई भाई ऐसे हैं जो अपने घर नहीं आ पाते हैं. इसलिए उन्होंने देश की निस्वार्थ सेवा कर रहे सैनिक भाइयों के लिए अपने हाथों से राखी बनाकर भेजी हैं. दीप्ति के द्वारा इन राखियों को फौजी भाइयों तक भेजने से पहले पूरी तरह सैनिटाइज भी कराया गया, ताकि किसी को कोरोना संक्रमण न हो.

नैनीताल में तैयार सेनिकों के लिए होम मेड राखी

देहरादून के बाजारों में बायकॉट चाइना
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रक्षाबंधन के त्योहार पर भारत-चीन विवाद, कोविड-19 और आत्मनिर्भर भारत की अनोखी पहल देखने को मिली. दून की महिलाओं ने तीन सूत्रीय उद्देश्यों को आत्मनिर्भर राखी के जरिए साकार किया. देहरादून के बाजारों से चाइनीज राखियां गायब हैं. इस बार होम मेड राखियां ज्यादा देखने को मिल रही हैं. इस रक्षाबंधन इसे आत्मनिर्भर भारत से जोड़कर देखा जा रहा है. देहरादून में एक महिला समूह से ईटीवी भारत की टीम ने बात की. इस दौरान महिलाओं ने बताया कि उन्होंने इस बार चीनी सामान का बहिष्कार करते हुए खुद राखी तैयार की है. साथ ही पीएम के 'आत्मनिर्भर भारत' के जरिए सभी को जागरूक करने के लिए होममेड राखी बनाई है.

बनाई गई हेंडमेड राखियां

अंशिता शर्मा ने बताया कि उन्होंने और उनकी साथी महिलाओं ने घर में पड़ी बिना उपयोग वाली वस्तुओं से राखियां तैयार की हैं, जो कि दिखने में बेहद सुंदर और आकर्षक भी हैं. अंशिता ने कहा कि कोरोना वायरस का सूत्रधार चाइना है. इसलिए उन्होंने इस बार चाइना के सामानों का बहिष्कार किया है और देश की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए घर में ही राखी तैयार की है.

जानिए क्यों बनाया जाता है रक्षाबंधन का त्योहार

इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन
शास्त्रों के अनुसार एक बार देवासुर संग्राम हुआ. उस संग्राम में देवताओं की पराजय हो गई. तब इंद्र देव गुरु बृहस्पति के पास गए और उन्हें अपनी पराजय के बारे में बताया. साथ ही इंद्र ने कहा कि इस पराजय का बदला लेने के लिए हमें युद्ध तो करना ही होगा. यह बात इंद्राणी ने सुन ली. तब इंद्राणी ने कहा कि वह आप सभी के लिए एक रक्षा सूत्र तैयार करेंगी, जिसे विधि-विधान से ब्राह्मणों के द्वारा बंधवा लें. इसके बाद सभी देवताओं ने रक्षा सूत्र बांधा और विजय प्राप्त की. तभी से बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधन का प्रचलन हो गया.

रक्षा सूत्र बांधने की विधि
ज्योतिषाचार्य पंडित देवेंद्र आचार्य के अनुसार बहनों को रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांधने के दौरान विशेष आरती करनी चाहिए. रोली चंदन और अक्षत लगाकर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए. साथ ही भाई का मुंह मीठा भी करवाना चाहिए.

Last Updated : Aug 3, 2020, 9:41 AM IST
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