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2019 की सुर्खियां : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर छाए रहे ये दो मुद्दे

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Published : Dec 30, 2019, 4:38 PM IST

Updated : Dec 30, 2019, 5:43 PM IST

भारत में इंटर के बढ़ते चलन के साथ मार्च 2019 तक 45 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के होने का अनुमान लगाया गया है. इस दौरान बिते साल में ट्विटर, फेसबुक और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर नागरिकता संशोधन कानून तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने जैसें विषय मूख्य चर्चा का विषय रहे.

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सांकेतिक चित्र

नई दिल्ली : ट्विटर, फेसबुक और ह्वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर इस साल नागरिकता संशोधन कानून तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने जैसे विषयों पर लोगों के बीच बहस अहम रही, वहीं इन कम्पनियों को फर्जी खबरों, डेटा में सेंध तथा जवाबदेही के लिए नियम बनाने के सरकार के प्रयासों का सामना करना पड़ा.

भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ के आकलन के अनुसार भारत में मार्च 2019 तक 45 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के होने का अनुमान है और मासिक सक्रिय इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में चीन के बाद उसका दूसरा स्थान होगा.

रोचक तथ्य यह है कि इनमें से करीब 6.6 करोड़ उपभोक्ता 5 से 11 साल के बच्चे हैं, जो अपने परिवार के सदस्यों के मोबाइल, कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.

भारतीय मोबाइल फोन के माध्यम से विषयवस्तु को प्राप्त कर रहे हैं तो सामग्री का सृजन भी कर रहे हैं. मसलन टिकटॉक जैसे ऐप पर वीडियो बनाये जा रहे हैं तो अनेक ह्वाट्सऐप समूहों पर दोस्तों तथा परिजनों द्वारा साझा खबरों को प्रसारित किया जाता है. क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन सामग्री उपलब्ध होने से भी इसका प्रसार बढ़ा है.

पढ़ें : इंटरनेट सेवा बंद, जानें क्या पड़ा इसका प्रभाव

शेयरचैट के सह-संस्थापक और सीईओ अंकुश सचदेवा ने कहा कि भविष्य में 50 से 60 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 90 प्रतिशत से अधिक गैर-अंग्रेजी वाली पृष्ठभूमि से हो सकते हैं.

टिकटॉक पर अप्रैल में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कुछ दिन के लिए रोक लग गयी थी. छोटे छोटे वीडियो बनाने के लिए युवाओं में लोकप्रिय इस ऐप को भारत में ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ के लिए कथित दुरुपयोग के मामले में सरकार ने नोटिस भेजा, जिस पर कम्पनी ने जवाब दिया.

लोकसभा चुनावों को देखते हुए 2019 का साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए महत्वपूर्ण था. पहले फेसबुक पर अमेरिका में चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग होने के आरोप लगे थे. भारत सरकार ने सोशल मीडिया कम्पनियों को यहां इस तरह के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी.

पढ़ें : नागरिकता विरोध पर चौकन्नी हुई उप्र सरकार, जुमे को देखते हुए बंद की गईं कई जिलों की इंटरनेट सेवाएं

गूगल और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों ने संकल्प लिया कि वे पारदर्शिता लाने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों का विवरण देंगे. चुनाव में ईमानदारी बनाये रखने के लिए अनेक तरह के प्रयास इन कम्पनियों की ओर से किए गए.

अक्टूबर में ह्वाट्सऐप ने इजराइली निगरानी कम्पनी एनएसओ पर मुकदमा दर्ज कराया और उस पर उसके स्पाईवेयर पेगासस को खरीदने वाले लोगों को चार महाद्वीपों के करीब 1400 लोगों के फोन में सेंध लगाने में मदद करने का आरोप लगाया। इसमें निशाने पर राजनयिक, राजनीतिक असंतुष्ट लोग, पत्रकार और सैन्य तथा सरकारी अधिकारी शामिल बताए गए.

बताया जाता है कि भारत में 121 लोग इसके निशाने पर रहे. भारत में 40 करोड़ लोग ह्वाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं और 32.8 करोड़ लोग फेसबुक का उपयोग करते हैं.

भारत सरकार ने इस संदर्भ में कहा था कि वह ह्वाट्सऐप की सुरक्षा प्रणाली का ऑडिट कराना चाहती है.

हालांकि प्रदर्शनों के दौरान तेजी से सूचना के प्रसारण की वजह से सरकार ने विभिन्न मौकों पर इंटरनेट पर रोक भी लगाई.

पढ़ें : भारत में अमेजन सबसे भरोसेमंद इंटरनेट ब्रांड, देखिए टॉप 15

खबरों के अनुसार इस साल कश्मीर से लेकर असम तक और यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में 95 बार ऐसा हुआ कि इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई.

अगला साल भी कई कारणों से इस क्षेत्र में अहम रहने वाला है. जाहिर है कि सरकार इन प्लेटफॉर्मों पर और कड़ी नजर रखेगी, फिर चाहे लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा की बात हो या सरकार के खिलाफ अभिव्यक्ति का माध्यम बनने की.

नई दिल्ली : ट्विटर, फेसबुक और ह्वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर इस साल नागरिकता संशोधन कानून तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने जैसे विषयों पर लोगों के बीच बहस अहम रही, वहीं इन कम्पनियों को फर्जी खबरों, डेटा में सेंध तथा जवाबदेही के लिए नियम बनाने के सरकार के प्रयासों का सामना करना पड़ा.

भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ के आकलन के अनुसार भारत में मार्च 2019 तक 45 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के होने का अनुमान है और मासिक सक्रिय इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में चीन के बाद उसका दूसरा स्थान होगा.

रोचक तथ्य यह है कि इनमें से करीब 6.6 करोड़ उपभोक्ता 5 से 11 साल के बच्चे हैं, जो अपने परिवार के सदस्यों के मोबाइल, कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.

भारतीय मोबाइल फोन के माध्यम से विषयवस्तु को प्राप्त कर रहे हैं तो सामग्री का सृजन भी कर रहे हैं. मसलन टिकटॉक जैसे ऐप पर वीडियो बनाये जा रहे हैं तो अनेक ह्वाट्सऐप समूहों पर दोस्तों तथा परिजनों द्वारा साझा खबरों को प्रसारित किया जाता है. क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन सामग्री उपलब्ध होने से भी इसका प्रसार बढ़ा है.

पढ़ें : इंटरनेट सेवा बंद, जानें क्या पड़ा इसका प्रभाव

शेयरचैट के सह-संस्थापक और सीईओ अंकुश सचदेवा ने कहा कि भविष्य में 50 से 60 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 90 प्रतिशत से अधिक गैर-अंग्रेजी वाली पृष्ठभूमि से हो सकते हैं.

टिकटॉक पर अप्रैल में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कुछ दिन के लिए रोक लग गयी थी. छोटे छोटे वीडियो बनाने के लिए युवाओं में लोकप्रिय इस ऐप को भारत में ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ के लिए कथित दुरुपयोग के मामले में सरकार ने नोटिस भेजा, जिस पर कम्पनी ने जवाब दिया.

लोकसभा चुनावों को देखते हुए 2019 का साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए महत्वपूर्ण था. पहले फेसबुक पर अमेरिका में चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग होने के आरोप लगे थे. भारत सरकार ने सोशल मीडिया कम्पनियों को यहां इस तरह के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी.

पढ़ें : नागरिकता विरोध पर चौकन्नी हुई उप्र सरकार, जुमे को देखते हुए बंद की गईं कई जिलों की इंटरनेट सेवाएं

गूगल और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों ने संकल्प लिया कि वे पारदर्शिता लाने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों का विवरण देंगे. चुनाव में ईमानदारी बनाये रखने के लिए अनेक तरह के प्रयास इन कम्पनियों की ओर से किए गए.

अक्टूबर में ह्वाट्सऐप ने इजराइली निगरानी कम्पनी एनएसओ पर मुकदमा दर्ज कराया और उस पर उसके स्पाईवेयर पेगासस को खरीदने वाले लोगों को चार महाद्वीपों के करीब 1400 लोगों के फोन में सेंध लगाने में मदद करने का आरोप लगाया। इसमें निशाने पर राजनयिक, राजनीतिक असंतुष्ट लोग, पत्रकार और सैन्य तथा सरकारी अधिकारी शामिल बताए गए.

बताया जाता है कि भारत में 121 लोग इसके निशाने पर रहे. भारत में 40 करोड़ लोग ह्वाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं और 32.8 करोड़ लोग फेसबुक का उपयोग करते हैं.

भारत सरकार ने इस संदर्भ में कहा था कि वह ह्वाट्सऐप की सुरक्षा प्रणाली का ऑडिट कराना चाहती है.

हालांकि प्रदर्शनों के दौरान तेजी से सूचना के प्रसारण की वजह से सरकार ने विभिन्न मौकों पर इंटरनेट पर रोक भी लगाई.

पढ़ें : भारत में अमेजन सबसे भरोसेमंद इंटरनेट ब्रांड, देखिए टॉप 15

खबरों के अनुसार इस साल कश्मीर से लेकर असम तक और यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में 95 बार ऐसा हुआ कि इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई.

अगला साल भी कई कारणों से इस क्षेत्र में अहम रहने वाला है. जाहिर है कि सरकार इन प्लेटफॉर्मों पर और कड़ी नजर रखेगी, फिर चाहे लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा की बात हो या सरकार के खिलाफ अभिव्यक्ति का माध्यम बनने की.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 19:47 HRS IST




             
  • इस साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नागरिकता विधेयक, अनुच्छेद 370 को लेकर छायी रही बहस



नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) ट्विटर, फेसबुक और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर इस साल नागरिकता संशोधन कानून तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने जैसे विषयों पर लोगों के बीच बहस अहम रही, वहीं इन कंपनियों को फर्जी खबरों, डेटा में सेंध तथा जवाबदेही के लिए नियम बनाने के सरकार के प्रयासों का सामना करना पड़ा।



भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ के आकलन के अनुसार भारत में मार्च 2019 तक 45 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के होने का अनुमान है और मासिक सक्रिय इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में चीन के बाद उसका दूसरा स्थान होगा।



रोचक तथ्य यह है कि इनमें से करीब 6.6 करोड़ उपभोक्ता 5 से 11 साल के बच्चे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों के मोबाइल, कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।



भारतीय मोबाइल फोन के माध्यम से विषयवस्तु को प्राप्त कर रहे हैं तो सामग्री का सृजन भी कर रहे हैं। मसलन टिकटॉक जैसे ऐप पर वीडियो बनाये जा रहे हैं तो अनेक वॉट्सऐप समूहों पर दोस्तों तथा परिजनों द्वारा साझा खबरों को प्रसारित किया जाता है।



क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन सामग्री उपलब्ध होने से भी इसका प्रसार बढ़ा है।



शेयरचैट के सह-संस्थापक और सीईओ अंकुश सचदेवा ने कहा कि भविष्य में 50 से 60 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 90 प्रतिशत से अधिक गैर-अंग्रेजी वाली पृष्ठभूमि से हो सकते हैं।



टिकटॉक पर अप्रैल में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कुछ दिन के लिए रोक लग गयी थी। छोटे छोटे वीडियो बनाने के लिए युवाओं में लोकप्रिय इस ऐप को भारत में ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ के लिए कथित दुरुपयोग के मामले में सरकार ने नोटिस भेजा जिस पर कंपनी ने जवाब दिया।



लोकसभा चुनावों को देखते हुए 2019 का साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए महत्वपूर्ण था। पहले फेसबुक पर अमेरिका में चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग होने के आरोप लगे थे। भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को यहां इस तरह के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।



गूगल और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों ने संकल्प लिया कि वे पारदर्शिता लाने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों का विवरण देंगे। चुनाव में ईमानदारी बनाये रखने के लिए अनेक तरह के प्रयास इन कंपनियों की ओर से किये गये।



अक्टूबर में वॉट्सऐप ने इस्राइली निगरानी कंपनी एनएसओ पर मुकदमा दर्ज कराया और उस पर उसके स्पाईवेयर पेगासस को खरीदने वाले लोगों को चार महाद्वीपों के करीब 1400 लोगों के फोन में सेंध लगाने में मदद करने का आरोप लगाया। इसमें निशाने पर राजनयिक, राजनीतिक असंतुष्ट लोग, पत्रकार और सैन्य तथा सरकारी अधिकारी शामिल बताये गये।



भारत में बताया जाता है कि 121 लोग इसके निशाने पर रहे। भारत में 40 करोड़ लोग वॉट्स्ऐप का इस्तेमाल करते हैं और 32.8 करोड़ लोग फेसबुक का उपयोग करते हैं।



भारत सरकार ने इस संदर्भ में कहा था कि वह वॉट्सऐप की सुरक्षा प्रणाली का ऑडिट कराना चाहती है।



हालांकि प्रदर्शनों के दौरान तेजी से सूचना के प्रसारण की वजह से सरकार ने विभिन्न मौकों पर इंटरनेट पर रोक भी लगाई।



खबरों के अनुसार इस साल कश्मीर से लेकर असम तक और यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में 95 बार ऐसा हुआ कि इंटरनेट पर रोक लगा दी गयी।



अगला साल भी कई कारणों से इस क्षेत्र में अहम रहने वाला है। जाहिर है कि सरकार इन प्लेटफॉर्मों पर और कड़ी नजर रखेगी, फिर चाहे लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा की बात हो या सरकार के खिलाफ अभिव्यक्ति का माध्यम बनने की।


Conclusion:
Last Updated : Dec 30, 2019, 5:43 PM IST
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