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रहस्य: यहां है अद्भुत चौमुखा शिवलिंग मंदिर, जानें पूरा इतिहास और रोचक तथ्य - chaumukha temple

मान्यता है कि चौमुखा शिव मंदिर का निर्माण कार्य पाण्डवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान विश्वकर्मा की देख रेख में किया गया था. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उत्तरी भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसके शिवलिंग के चार मुख हैं. पांडवों द्वारा एक ही शिला से इस शिवलिंग का निर्माण किया गया था. जो आज भी चौमुखा गांव में मौजूद है और जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है.

Special Story on Chaumukha Temple of Una, उत्तरी भारत का एक मात्र अदभुत शिवलिंग मंदिर
चौमुखा मंदिर, ऊना
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Published : Dec 4, 2019, 2:33 PM IST

ऊना: हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि के नाम से जाना है. यहां बड़ी संख्या में मंदिर मौजूद हैं. जो लोगों की आस्था व श्रद्धा के प्रतीक हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर ऊना जिला की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में मौजूद है.

इस मंदिर का निर्माण कार्य पाण्डवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान विश्वकर्मा की देख रेख में किया गया था. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उत्तर भारत का पहला ऐसा मंदिर है जिसमें विराजमान शिवलिंग के चार मुख हैं. मान्यता है कि पांडवों द्वारा एक ही शिला से इस शिवलिंग का निर्माण किया गया था. जो आज भी चौमुखा गांव में मौजूद है और जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है.

वीडियो.

सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर शीश नवाते हैं और अपनी मनोकनाओं को पूर्ण करते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का निर्माण एक ही शिला से किया गया है. माना जाता है कि अज्ञावास के दौरान पांडवों, विश्वकर्मा व श्री कृष्ण जी की देख रेख में इस मंदिर का निर्माण किया गया था. यह मंदिर सोलाहसिंगी धार पर स्थित है. जहां से ऊना जिले में मौजूद गोविंद सागर झील का सुंदर नजारा देखने को मिलता है. वहीं, इस मंदिर के प्रांगण में बरगद का काफी पुराना पेड़ अभी भी मौजूद है.

वहीं, मंदिर के पुजारी किशोरी लाल शर्मा की मानें तो इस मंदिर का निर्माण पांच हजार वर्ष पूर्व पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण की देख रेख में किया गया था. यह उतरी भारत का एक मात्र ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसका शिवलिंग चार मुखों वाला हैं, यही नहीं इस मंदिर के चारों तरफ दरवाजों का निर्माण भी किया गया था.

ये दरवाजे सोने की धातु से बनाये गए थे. कुछ समय पश्चात लुटेरों ने इन दरवाजों को चुरा लिया, लेकिन लुटेरे जब इन दरवाजों को चुराकर ले जा रहे थे, तो अचानक इन दरवाजों का वजन अत्याधिक बढ़ गया. जिसे वे उठाने में असमर्थ रहे तो उन्होंने इन दरवाजों को साथ लगते हमीरपुर जिले के राजनौंण में फेंक दिया. थोड़ी देर बाद दरवाजे पत्थर में तबदील हो गए.

इस राजनौंण का निर्माण भी पांडवों द्वारा ही किया गया था. जो आज भी यहां पर मौजूद है. जो लोगों की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है. इस मंदिर के प्रांगण में एक बहुत लंबी गुफा का भी निर्माण किया गया था. जिसका उपयोग लोगों द्वारा पहले आने जाने के लिए किया जाता था, लेकिन समय में परिवर्तन होने के साथ साथ ही इस गुफा को बंद कर दिया गया, लेकिन मौजूदा समय में केवल गुफा का थोड़ा सा हिस्सा ही दिखाई देता है. इस मंदिर में सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही, तीन लाख छात्रों के आधार कार्ड नहीं हुए अपडेट

ऊना: हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि के नाम से जाना है. यहां बड़ी संख्या में मंदिर मौजूद हैं. जो लोगों की आस्था व श्रद्धा के प्रतीक हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर ऊना जिला की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में मौजूद है.

इस मंदिर का निर्माण कार्य पाण्डवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान विश्वकर्मा की देख रेख में किया गया था. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उत्तर भारत का पहला ऐसा मंदिर है जिसमें विराजमान शिवलिंग के चार मुख हैं. मान्यता है कि पांडवों द्वारा एक ही शिला से इस शिवलिंग का निर्माण किया गया था. जो आज भी चौमुखा गांव में मौजूद है और जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है.

वीडियो.

सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर शीश नवाते हैं और अपनी मनोकनाओं को पूर्ण करते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का निर्माण एक ही शिला से किया गया है. माना जाता है कि अज्ञावास के दौरान पांडवों, विश्वकर्मा व श्री कृष्ण जी की देख रेख में इस मंदिर का निर्माण किया गया था. यह मंदिर सोलाहसिंगी धार पर स्थित है. जहां से ऊना जिले में मौजूद गोविंद सागर झील का सुंदर नजारा देखने को मिलता है. वहीं, इस मंदिर के प्रांगण में बरगद का काफी पुराना पेड़ अभी भी मौजूद है.

वहीं, मंदिर के पुजारी किशोरी लाल शर्मा की मानें तो इस मंदिर का निर्माण पांच हजार वर्ष पूर्व पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण की देख रेख में किया गया था. यह उतरी भारत का एक मात्र ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसका शिवलिंग चार मुखों वाला हैं, यही नहीं इस मंदिर के चारों तरफ दरवाजों का निर्माण भी किया गया था.

ये दरवाजे सोने की धातु से बनाये गए थे. कुछ समय पश्चात लुटेरों ने इन दरवाजों को चुरा लिया, लेकिन लुटेरे जब इन दरवाजों को चुराकर ले जा रहे थे, तो अचानक इन दरवाजों का वजन अत्याधिक बढ़ गया. जिसे वे उठाने में असमर्थ रहे तो उन्होंने इन दरवाजों को साथ लगते हमीरपुर जिले के राजनौंण में फेंक दिया. थोड़ी देर बाद दरवाजे पत्थर में तबदील हो गए.

इस राजनौंण का निर्माण भी पांडवों द्वारा ही किया गया था. जो आज भी यहां पर मौजूद है. जो लोगों की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है. इस मंदिर के प्रांगण में एक बहुत लंबी गुफा का भी निर्माण किया गया था. जिसका उपयोग लोगों द्वारा पहले आने जाने के लिए किया जाता था, लेकिन समय में परिवर्तन होने के साथ साथ ही इस गुफा को बंद कर दिया गया, लेकिन मौजूदा समय में केवल गुफा का थोड़ा सा हिस्सा ही दिखाई देता है. इस मंदिर में सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं.

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Intro:स्लग--उत्तरी भारत का एक मात्र अदभुत शिवलिंग मंदिर, शिवलिंग में मौजूद हैं चार मुख , पांडवों ने किया था विश्वकर्मा की देख रेख में मंदिर का निर्माण कार्य, श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है चमुखा मंदिर, पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो सकता है मंदिर।


Body:एंकर-- हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि के नाम से जाना है। यहां बड़ी संख्या में मंदिर मौजूद हैं। जो लोगों की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक हैं। ऐसा ही एक मंदिर ऊना जिला की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में मौजूद है। इस मंदिर का निर्माण कार्य पाण्डवों द्वारा अज्ञात वास के दौरान विश्वकर्मा की देख रेख में किया गया था। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उत्तरी भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है , जिसके शिवलिंग के चार मुख हैं। तत्काल पांडवों द्वारा एक ही शिला से इस शिवलिंग का निर्माण किया गया था। जो आज भी चौमुखा गांव में मौजूद है और जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है। सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर शीश नवाते हैं और अपनी मनोकनाओं को पूर्ण करते हैं।

वी ओ 1-- हिमाचल प्रदेश में सैंकड़ों की संख्या में छोटे- बड़े मंदिर मौजूद हैं। जो लोगों की श्रद्धा व आस्था के प्रतीक हैं। ऐसा ही एक मंदिर ऊना जिला की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के गांव चौमुखा में मौजूद है। इसी मंदिर के नाम से स्थानीय गांव का नाम चमुखा पड़ा। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का निर्माण एक ही शिला से किया गया है। यह उत्तरी भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसके शिवलिंग के चार मुख विराजमान हैं। माना जाता है कि अज्ञात वास के दौरान पांडवों, विश्वकर्मा व श्री कृष्ण जी की देख रेख में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हिमाचल के ही नही बल्कि पंजाब व हरियाणा राज्यों के श्रद्धालु भी शीश नवाने पहुंचते हैं। यहां पर शीश नवाने के पश्चात श्रद्धालु ज्वालामुखी मंदिर पहुंचते हैं। यह मंदिर सोलाहसिंगी धार पर स्थित है। जहां से ऊना जिले में मौजूद गोविंद सागर झील का सुंदर नजारा देखने को मिलता है। वहीं इस मंदिर के प्रांगण में बरगद का काफी पुराना पेड़ अभी भी मौजूद है।

वहीं मंदिर के पुजारी किशोरी लाल शर्मा की माने तो इस मंदिर का निर्माण पांच हजार वर्ष पूर्व पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण की देख रेख में किया गया था । यह उतरी भारत का एक मात्र ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसका शिवलिंग चार मुखों वाला हैं , यही नही इस मंदिर के चारों तरफ दरवाजों का निर्माण भी किया गया था। ये दरबाजे सोने की धातू से बनाये गए थे। कुछ समय पश्चात लुटेरों ने इन दरबाजों को चुरा लिया । लेकिन लूटेरे जब इन दरबाजों को चुराकर ले जा रहे थे, तो आचानक इन दरबाजों का बजन अत्याधिक बढ़ गया। जिसे वे उठाने में असमर्थ रहे तो उन्होंने इन दरबाजों को साथ लगते हमीरपुर जिले के राजनौंण में फेंक दिया। थोड़ी देर बाद दरबाजे पत्थर में तबदील हो गए। इस राजनौंण का निर्माण भी पांडवों द्वारा ही किया गया था। जो आज भी यहां पर मौजूद है। जो लोगों की श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है।

इस मंदिर के प्रांगण में एक बहुत लंबी गुफा का भी निर्माण किया गया था। जिसका उपयोग लोगों द्वारा पहले आने जाने के लिए किया जाता था। लेकिन समय में परिवर्तन होने के साथ साथ ही इस गुफा को बंद कर दिया गया। लेकिन मौजूदा समय में केवल गुफा का थोड़ा सा हिस्सा ही दिखाई देता है। इस मंदिर में सैंकडों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं।


बाइट-- किशोरी लाल शर्मा ( मंदिर , पुजारी )
ADHBHUT TEMPLE -3


बाइट-- स्वरूप चंद शर्मा ( स्थानीय निवासी )
ADHBHUT TEMPLE- 4





Conclusion:
वहीं श्रद्धालु मनजीत सिंह का कहना है कि यह मंदिर बहुत ही अदभुत है । प्रदेश सरकार इस मंदिर के जीर्णोद्धार की तरफ ध्यान आकर्षित करे तो यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं विकसित हो सकती है। जिससे स्थानीय लोगों को घर द्वार रोजगार के साधन उपलब्ध होंगें।

बाइट-- मनजीत सिंह ( श्रद्धालु)
ADHBHUT TEMPLE -5
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