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ऊना: कोरोना के दौर में दो हजार से ज्यादा बच्चों ने निजी छोड़ सरकारी स्कूलों में लिया प्रवेश

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Published : Sep 29, 2020, 7:09 PM IST

प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस होने के कारण परिजन अब सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे है यही वजह है कि अब तक दो हजार से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल को छोड़कर निजी स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ाई शुरू कर दी है. शिक्षा विभाग ऊना में तैनात उपनिदेशक उच्चतर शिक्षा पीसी राणा ने कहा कि अलग-अलग कक्षाओं में निजी स्कूलों को छोड़कर आए दो हजार 427 से भी ज्यादा विद्यार्थी अब तक सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले चुके हैं.

more than two thousand children left private and took admission in government schools during corona period in una
फोटो.

ऊना: कोरोना के चलते आम जनता परेशान है जिंदगी पटरी पर आने को अभी समय लगेगा, लेकिन ऐसे में बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है. प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस होने के कारण परिजन अब सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे है यही वजह है कि अब तक दो हजार से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल को छोड़कर निजी स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ाई शुरू कर दी है.

परिवारों के लिए कोरोना ने आर्थिक संकट पैदा कर दिया है. इसके चलते कई निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना पड़ा है. छठी से लेकर जमा दो तक के विद्यार्थियों को मजबूरन सरकारी स्कूलों का रुख करना पड़ा है.

वीडियो.

इससे पता चलता है कि अभिभावकों पर कोरोना ने किस कद्र कहर बरपाया है. शिक्षा विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार छठी से जमा दो तक 2 हजार से भी ज्यादा विद्यार्थी निजी स्कूल छोड़ने को मजबूर हुए हैं. कोरोना संकट काल में काम धंधे बंद हो गए हैं. इस कारण निजी स्कूलों की फीस चुकाना आम परिवार के बस की बात नहीं रही.

निम्न और मध्य वर्गीय परिवारों पर कोरोना का सबसे ज्यादा असर पड़ा है. मध्य वर्ग के बच्चे ही निजी छोड़ सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले रहे हैं. शिक्षा विभाग ऊना में तैनात उपनिदेशक उच्चतर शिक्षा पीसी राणा ने कहा कि अलग-अलग कक्षाओं में निजी स्कूलों को छोड़कर आए दो हजार 427 से भी ज्यादा विद्यार्थी अब तक सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले चुके हैं.

सरकारी स्कूलों में मिल रहे लाभ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई लगभग निशुल्क है. साथ ही निशुल्क पुस्तकें, वर्दी, निर्धन छात्रों को आर्थिक मदद के साथ-साथ दोपहर का भोजन भी मिल रहा है. बसों का कोई खर्च नहीं, योग्य अध्यापकों का स्टाफ होने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का लाभ विद्यार्थियों को दिया जा रहा है. निजी स्कूलों के समक्ष कोरोना के साथ आर्थिक संकट भी कोरोना संकट में निजी स्कूलों को भी आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.

स्टाफ की सैलरी से लेकर अन्य खर्च उठाने के लिए विद्यार्थियों से मासिक फीस चार्ज करना उनकी मजबूरी है. ऐसे में कम आमदनी वाले अभिभावकों को सरकारी स्कूलों का विकल्प बेहतर नजर आ रहा है. अधिकारी की मानें तो सरकारी स्कूल में बच्चों को ऑनलाइन भी पढ़ाया जा रहा है.

ऊना: कोरोना के चलते आम जनता परेशान है जिंदगी पटरी पर आने को अभी समय लगेगा, लेकिन ऐसे में बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है. प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस होने के कारण परिजन अब सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे है यही वजह है कि अब तक दो हजार से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल को छोड़कर निजी स्कूल में दाखिला लेकर पढ़ाई शुरू कर दी है.

परिवारों के लिए कोरोना ने आर्थिक संकट पैदा कर दिया है. इसके चलते कई निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना पड़ा है. छठी से लेकर जमा दो तक के विद्यार्थियों को मजबूरन सरकारी स्कूलों का रुख करना पड़ा है.

वीडियो.

इससे पता चलता है कि अभिभावकों पर कोरोना ने किस कद्र कहर बरपाया है. शिक्षा विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार छठी से जमा दो तक 2 हजार से भी ज्यादा विद्यार्थी निजी स्कूल छोड़ने को मजबूर हुए हैं. कोरोना संकट काल में काम धंधे बंद हो गए हैं. इस कारण निजी स्कूलों की फीस चुकाना आम परिवार के बस की बात नहीं रही.

निम्न और मध्य वर्गीय परिवारों पर कोरोना का सबसे ज्यादा असर पड़ा है. मध्य वर्ग के बच्चे ही निजी छोड़ सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले रहे हैं. शिक्षा विभाग ऊना में तैनात उपनिदेशक उच्चतर शिक्षा पीसी राणा ने कहा कि अलग-अलग कक्षाओं में निजी स्कूलों को छोड़कर आए दो हजार 427 से भी ज्यादा विद्यार्थी अब तक सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले चुके हैं.

सरकारी स्कूलों में मिल रहे लाभ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई लगभग निशुल्क है. साथ ही निशुल्क पुस्तकें, वर्दी, निर्धन छात्रों को आर्थिक मदद के साथ-साथ दोपहर का भोजन भी मिल रहा है. बसों का कोई खर्च नहीं, योग्य अध्यापकों का स्टाफ होने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का लाभ विद्यार्थियों को दिया जा रहा है. निजी स्कूलों के समक्ष कोरोना के साथ आर्थिक संकट भी कोरोना संकट में निजी स्कूलों को भी आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.

स्टाफ की सैलरी से लेकर अन्य खर्च उठाने के लिए विद्यार्थियों से मासिक फीस चार्ज करना उनकी मजबूरी है. ऐसे में कम आमदनी वाले अभिभावकों को सरकारी स्कूलों का विकल्प बेहतर नजर आ रहा है. अधिकारी की मानें तो सरकारी स्कूल में बच्चों को ऑनलाइन भी पढ़ाया जा रहा है.

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