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प्राकृतिक खेती ने बदला दिव्यांग रमन कुमार का जीवन: प्राकृतिक खेती से कमा रहे सालाना 4 लाख

ऊना जिले के हरोली के भदसाली गांव में एक दिव्यांग किसान ने कामयाबी की नई मिसाल कायम की है. दिव्यांग होने के बाबजूद रमन कुमार प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और सालान 4 लाख रुपये आमदनी कमा रहे हैं. उन्होंने कुछ लोगों को रोजगार भी दिया है.

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Published : Apr 10, 2023, 1:44 PM IST

Divyang farmer Raman Kumar doing natural farming
दिव्यांग किसान रमन कुमार हरोली में कर रहे प्राकृतिक खेती
दिव्यांगता को हराकर सफतला की ओर एक कदम

ऊना: दिव्यांगता हर किसी के लिए अभिशाप नहीं हो सकती. यह बात साबित कर दिखाई है ऊना जिले के हरोली उपमंडल के तहत पड़ते भदसाली गांव के दिव्यांग किसान रमन कुमार ने. दिव्यांग होने के बाबजूद रमन कुमार ने प्रगतिशील किसान बनकर लोगों के लिए मिसाल पेश की है. रमन कुमार ने दिव्यांग होने के बावजूद खेती बाड़ी को अपनाया. रमन कुमार ने प्राकृतिक खेती को अपनाकर न केवल खुद को स्थापित किया,बल्कि कुछ लोगों को रोजगार भी दिया.

farmer Raman Kumar doing natural farming in Una
खेतों में प्राकृतिक खेती करते लोग

दिव्यांगता को हराकर सफतला की ओर एक कदम: छोटी उम्र में एक हादसे के चलते दिव्यांग होने वाले रमन कुमार ने शिक्षा के साथ-साथ खेती बाड़ी में अपने माता-पिता का हाथ बढ़ाना शुरू किया. आज वह प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में स्थापित किसान के रूप में प्रतिवर्ष करीब 4 लाख रुपए अर्जित कर रहे हैं. रमन का कहना है कि जब उन्होंने खेती बाड़ी का कार्य शुरू किया तो वह केमिकल युक्त खेती करते थे, जिससे फसलों की पैदावार में कमी होने के साथ-साथ खेतों की मिट्टी भी खराब हो रही थी. खेतों में रसायनों का ज्यादा प्रयोग करने से मिट्टी की गुणवता लगभग समाप्त हो गई थी. सामान्य सी वर्षा में भी फसल पानी को नहीं सोख पाती थी, जिससे खेतों में पानी इकट्ठा रहता था और फसलें खराब हो जाती थीं.

25 बीघा जमीन पर शुरू की थी प्राकृतिक खेती: रमन कुमार कहते हैं कि रसायन युक्त खेती से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर रूख किया और पालमपुर में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 25 बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया, जिससे खेतों की मिट्टी उपजाऊ होने लगी और फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हो गई. वहीं ,कृषि करने की लागत में भी कमी आई है. वर्तमान में रमन कुमार प्याज, फुलगोभी, बन्दगोभी, ब्रोकली, बैंगन, बैंगनी, टमाटर, गेंदा, शिमला मिर्च व हरी मिर्च की पनीरी भी प्राकृतिक खेती की विधि से तैयार कर रहे हैं.

हरोली में 2 हजार किसानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती: वहीं, कृषि विभाग में खंड तकनीकी प्रबंधक के पद पर हरोली ब्लॉक में कार्यरत अंकुश कुमार शर्मा का कहना है कि वर्ष 2018 में जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में प्रेरित करने के लिए 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करवाया गया था. उन्होंने बताया कि हरोली ब्लॉक में आज के समय में 2 हजार के करीब किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, जिनमें 2 कनाल से लेकर 60 कनाल तक भूमि पर प्राकृतिक खेती कर किसानों को अच्छी पैदावार और अच्छा मुनाफा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अन्य किसानों को भी प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में लाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: ऊना में किसान मेले का आयोजन, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को जल संचय और संरक्षण के दिए टिप्स

दिव्यांगता को हराकर सफतला की ओर एक कदम

ऊना: दिव्यांगता हर किसी के लिए अभिशाप नहीं हो सकती. यह बात साबित कर दिखाई है ऊना जिले के हरोली उपमंडल के तहत पड़ते भदसाली गांव के दिव्यांग किसान रमन कुमार ने. दिव्यांग होने के बाबजूद रमन कुमार ने प्रगतिशील किसान बनकर लोगों के लिए मिसाल पेश की है. रमन कुमार ने दिव्यांग होने के बावजूद खेती बाड़ी को अपनाया. रमन कुमार ने प्राकृतिक खेती को अपनाकर न केवल खुद को स्थापित किया,बल्कि कुछ लोगों को रोजगार भी दिया.

farmer Raman Kumar doing natural farming in Una
खेतों में प्राकृतिक खेती करते लोग

दिव्यांगता को हराकर सफतला की ओर एक कदम: छोटी उम्र में एक हादसे के चलते दिव्यांग होने वाले रमन कुमार ने शिक्षा के साथ-साथ खेती बाड़ी में अपने माता-पिता का हाथ बढ़ाना शुरू किया. आज वह प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में स्थापित किसान के रूप में प्रतिवर्ष करीब 4 लाख रुपए अर्जित कर रहे हैं. रमन का कहना है कि जब उन्होंने खेती बाड़ी का कार्य शुरू किया तो वह केमिकल युक्त खेती करते थे, जिससे फसलों की पैदावार में कमी होने के साथ-साथ खेतों की मिट्टी भी खराब हो रही थी. खेतों में रसायनों का ज्यादा प्रयोग करने से मिट्टी की गुणवता लगभग समाप्त हो गई थी. सामान्य सी वर्षा में भी फसल पानी को नहीं सोख पाती थी, जिससे खेतों में पानी इकट्ठा रहता था और फसलें खराब हो जाती थीं.

25 बीघा जमीन पर शुरू की थी प्राकृतिक खेती: रमन कुमार कहते हैं कि रसायन युक्त खेती से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर रूख किया और पालमपुर में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 25 बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया, जिससे खेतों की मिट्टी उपजाऊ होने लगी और फसल की पैदावार में बढ़ोतरी हो गई. वहीं ,कृषि करने की लागत में भी कमी आई है. वर्तमान में रमन कुमार प्याज, फुलगोभी, बन्दगोभी, ब्रोकली, बैंगन, बैंगनी, टमाटर, गेंदा, शिमला मिर्च व हरी मिर्च की पनीरी भी प्राकृतिक खेती की विधि से तैयार कर रहे हैं.

हरोली में 2 हजार किसानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती: वहीं, कृषि विभाग में खंड तकनीकी प्रबंधक के पद पर हरोली ब्लॉक में कार्यरत अंकुश कुमार शर्मा का कहना है कि वर्ष 2018 में जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में प्रेरित करने के लिए 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करवाया गया था. उन्होंने बताया कि हरोली ब्लॉक में आज के समय में 2 हजार के करीब किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, जिनमें 2 कनाल से लेकर 60 कनाल तक भूमि पर प्राकृतिक खेती कर किसानों को अच्छी पैदावार और अच्छा मुनाफा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अन्य किसानों को भी प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में लाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है.

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