ऊनाः बिजली बोर्ड ने अप्रैल 2018 से मार्च 2020 तक के ऑडिट के बाद हजारों रुपये में एरियर बिल निकाले जाने का ऐलान उपभोक्ताओं में काफी रोष है. हालत यह है कि हर महीने बिजली का बिल देने के बावजूद लोगों को हजारों रुपये के बिल एरियर के नाम पर थमा दिए गए हैं, जिसके बाद लोगों में बिजली बोर्ड के प्रति काफी रोष व्याप्त है.
कांग्रेसी विधायक संग उपभोक्ताओं ने एसडीओ कार्यालय पर बोला हल्ला
सोमवार को ऐसे ही उपभोक्ताओं ने ऊना सदर के कांग्रेस विधायक सतपाल सिंह रायजादा को साथ लेकर बिजली बोर्ड के एसडीओ कार्यालय पर हल्ला बोला. बिजली बोर्ड का तर्क है कि अप्रैल 2018 से मार्च 2020 तक का कुछ लोगों के मीटर डेड, डीफेक्टिव और बर्न स्टेट में रहे हैं.
जनवरी 2021 में बिजली बोर्ड की ओर से करवाए गए ऑडिट के दौरान ऐसे ही विद्युत उपभोक्ताओं से एवरेज के आधार पर उस समय की रिकवरी की जा रही है. एक तरफ बिजली उपभोक्ताओं ने बोर्ड के इस निर्णय पर नाराजगी जताई है वहीं ,विधायक सतपाल सिंह रायजादा ने भी इसे धांधली करार देते हुए इन परिस्थिति में लोगों की जेब पर डाका डालने की हरकत बताया है.
हजारों रुपये के बिल से उपभोक्ता परेशान
बिजली बोर्ड की ओर से विद्युत उपभोक्ताओं को ऑडिट आधार पर रिकवरी के नाम पर थमाए गए हजारों रुपये के बिल परेशानी का सबब बन चुके हैं. उपभोक्ताओं का कहना है कि वह हर महीने बिजली बिल की अदायगी करते हैं, इसके बावजूद बोर्ड की ओर से इतनी बड़ी राशि के बिल आना उनकी समझ से बाहर है. उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली विभाग ऑडिट का सहारा लेकर उनकी जेब पर सीधे डाका डाल रहा है.
रिकवरी को उपभोक्ताओं पर थोपना सरासर गलत
अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2020 तक की रिकवरी उपभोक्ताओं पर थोपना सरासर गलत है. उनका कहना है कि जब से बिजली बोर्ड ने नए बिजली के मीटर उनके घर में लगे हैं, तब से बिजली के बिल पहले की तुलना में 3 से 4 गुना तक ज्यादा आने लगा है. कुछ उपभोक्ताओं का कहना था कि बेतहाशा बिल ठीक करवाने के बावजूद बिजली बोर्ड की ओर से आगामी दिनों में पहले की काटी गई राशि को जमा करके वसूला जा रहा है.
बिजली बोर्ड धांधली करके लोगों की जेबों में डाल रहा डाका
ऊना सदर के कांग्रेस विधायक सतपाल सिंह रायजादा ने कहा है कि बिजली बोर्ड धांधली करके विकट परिस्थितियों में भी लोगों की जेब पर डाका डाल रहा है. उन्होंने कहा कि जब लोग हर माह बिजली के बिल जमा करवा रहे हैं तो फिर बिजली बोर्ड कैसे 2 साल पुराने ऑडिट के आधार पर लोगों से अवैध रिकवरी कर सकता है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार को ऐसी परिस्थिति में जहां लोगों को सहारा देना चाहिए लोगों की जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम करना चाहिए. वहीं, विभागों के माध्यम से लोगों की जेब काटी जा रही हैं. सरकार और बिजली बोर्ड के इस फैसले को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा.
बोर्ड के नियमानुसार बिल के आधार पर कर रहा उपभोक्ताओं से रिकवरी
बिजली बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2020 तक कुछ लोगों के बिजली मीटर डे डिफेक्टिव रहे हैं या बर्न्ट स्टेट में रहे हैं. बिजली बोर्ड ने जनवरी 2021 में करवाए गए ऑडिट के दौरान इन्हीं लोगों की देनदारी बिजली बोर्ड के प्रति निकली है. बोर्ड के नियमानुसार अब बिल के आधार पर ऐसे उपभोक्ताओं से पेंडिंग पड़े बिलों की रिकवरी की जा रही है.
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