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आज खुल गए मां चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट, कोरोना संक्रमण के खत्म होने की हुई कामना

70 दिन के बाद मां चिंतपूर्णी के कपाट खोल दिए गए हैं. सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशासन द्वारा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी तैयार की गई है. इसी के तहत श्रद्धालुओं को मंदिर में केवल मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने की अनुमति रहेगी. इसके अतिरिक्त मंदिर में होने वाले हवन यज्ञ में भाग लेने पर श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध रहेगा.

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Published : Jul 1, 2021, 6:04 PM IST

चिंतपूर्णी/ऊना: कोरोना वायरस के चलते ठप हुई व्यवस्थाओं के तहत प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों के कपाट आज करीब 70 दिन बाद खोले गए. इसी के चलते उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता चिंतपूर्णी का दरबार भी श्रद्धालुओं के लिए वीरवार को ही खुल पाया. हालांकि इस दौरान भी श्रद्धालुओं को केवल मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने का ही अवसर मिल पाएगा. मंदिर में होने वाले हवन-यज्ञ, लंगर-भंडारे, जगराता-कीर्तन और सत्संग आदि पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

70 दिन बाद खुला चिंतपूर्णी मंदिर

माता के मंदिर के कपाट खुलने का पुजारी वर्ग ने भी स्वागत किया है. पुजारी वर्ग ने मां के करोड़ों भक्तों को 70 दिन के बाद मंदिर खुलने की हार्दिक बधाई दी और गाइडलाइंस का पालन करते हुए ही मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने का आह्वान किया. साथ ही साथ माता के पुजारियों ने जल्द से जल्द संक्रमण के खत्म होने की प्रार्थना की. मंदिर के पुजारी अजय कालिया ने श्रद्धालुओं से नियमित रूप से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के मानक का पालन करने की भी अपील की.

कीर्तन और भंडारे पर रहेगा प्रतिबंध

डीसी ऊना राघव शर्मा ने कहा कि 70 दिन के बाद माता चिंतपूर्णी के कपाट खोले गए हैं. सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशासन द्वारा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी तैयार की गई है. इसी के तहत श्रद्धालुओं को मंदिर में केवल मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने की अनुमति रहेगी. इसके अतिरिक्त मंदिर में होने वाले हवन यज्ञ में भाग लेने पर श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध रहेगा. आगामी आदेशों तक मंदिर और मंदिर परिसर के आसपास लंगर-भंडारे, जगराते, कीर्तन और सत्संग करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

वीडियो.

ये भी पढ़ें: हिमाचल की 'थप्पड़बाज पुलिस', शिमला में पर्यटक के साथ की मारपीट

चिंतपूर्णी/ऊना: कोरोना वायरस के चलते ठप हुई व्यवस्थाओं के तहत प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों के कपाट आज करीब 70 दिन बाद खोले गए. इसी के चलते उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता चिंतपूर्णी का दरबार भी श्रद्धालुओं के लिए वीरवार को ही खुल पाया. हालांकि इस दौरान भी श्रद्धालुओं को केवल मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने का ही अवसर मिल पाएगा. मंदिर में होने वाले हवन-यज्ञ, लंगर-भंडारे, जगराता-कीर्तन और सत्संग आदि पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

70 दिन बाद खुला चिंतपूर्णी मंदिर

माता के मंदिर के कपाट खुलने का पुजारी वर्ग ने भी स्वागत किया है. पुजारी वर्ग ने मां के करोड़ों भक्तों को 70 दिन के बाद मंदिर खुलने की हार्दिक बधाई दी और गाइडलाइंस का पालन करते हुए ही मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने का आह्वान किया. साथ ही साथ माता के पुजारियों ने जल्द से जल्द संक्रमण के खत्म होने की प्रार्थना की. मंदिर के पुजारी अजय कालिया ने श्रद्धालुओं से नियमित रूप से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के मानक का पालन करने की भी अपील की.

कीर्तन और भंडारे पर रहेगा प्रतिबंध

डीसी ऊना राघव शर्मा ने कहा कि 70 दिन के बाद माता चिंतपूर्णी के कपाट खोले गए हैं. सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशासन द्वारा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी तैयार की गई है. इसी के तहत श्रद्धालुओं को मंदिर में केवल मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने की अनुमति रहेगी. इसके अतिरिक्त मंदिर में होने वाले हवन यज्ञ में भाग लेने पर श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध रहेगा. आगामी आदेशों तक मंदिर और मंदिर परिसर के आसपास लंगर-भंडारे, जगराते, कीर्तन और सत्संग करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

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