सोलन: हिमाचल प्रदेश में अर्की और बिलासपुर में स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट अनिश्चितकाल के लिए बंद होने से जहां एक तरफ मजदूरों के भविष्य पर तलवार लटक चुकी है तो वहीं, दूसरी तरफ ट्रक ऑपरेटर्स भी अब अपने भविष्य की चिंता को लेकर लामबंद हो चुके हैं. शुक्रवार को दाड़लाघाट में जहां आज एक तरफ ट्रक ऑपरेटरों और मजदूरों ने एक मंच पर आकर बैठक की तो वहीं, दूसरी तरफ ट्रक ऑपरेटरों ने अर्की के दाड़लाघाट में स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट के बाहर जाकर नारेबाजी की और अडानी समूह मुर्दाबाद और गो बैक के नारे भी लगाए. (Truck operators protest in Ambuja Cement Plant Darlaghat)
अडानी समूह ने दबाव में आकर लिया फैसला: वहीं इस दौरान ट्रक ऑपरेटर्स हिमाचल सरकार जिंदाबाद के नारे लगाते हुए भी नजर आए. बैठक के तुरंत बाद ट्रांसपोर्टरों ने प्लांट के गेट की तरफ निकलना शुरू किया और भारी तादाद में वहां जाकर नारेबाजी कर अपनी बात को रखा. अंबुजा दाड़लाघाट कशलोग मांगू ( ADKM ) सोसायटी के प्रधान बालक राम शर्मा ने बताया कि वह अपनी मांग को लेकर एक बैठक करने के लिए आए थे लेकिन जितने ज्यादा लोग हॉल में बैठक के दौरान मौजूद थे उससे ज्यादा लोग बाहर थे ऐसे में उन्हें प्लांट के गेट की तरफ आना पड़ा. उन्होंने कहा कि अडानी समूह ने ना जाने किसके दबाव में आकर यह फैसला लिया है, जिससे मजदूर और ट्रांसपोर्टरों के भविष्य पर तलवार लटक चुकी है. (truck operators protest in himachal) (Cement factory closed in Darlaghat)
अचानक बैठक बुला अनिश्चितकाल के लिए प्लांट किया बंद: उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को शाम 6:00 बजे कंपनी द्वारा बैठक बुलाई गई थी और कहा गया था कि कंपनी को किसी प्रकार का कोई मुनाफा नहीं हो रहा है. उसके बाद एक आदेश कंपनी की ओर से जारी किए गए और अनिश्चितकाल तक कंपनी को बंद रखने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि जब दाड़लाघाट में प्लांट की स्थापना हुई थी तो सरकार के अधीन रहकर हुई थी और कहां किसकी जमीन है, किसके ट्रक होंगे और किस की नौकरी वहां पर होगी यह सरकार ने मध्यस्था करके तय किया था. (Ambuja Cement Plant Darlaghat)
साल 2010 में भी सरकार ने की थी मध्यस्ता: उन्होंने कहा कि साल 2010 में भी यहां पर 47 दिन तक हड़ताल चली थी. लेकिन सरकार ने मध्यस्था करते हुए उस समय भी रेट को लेकर समझौते करवाए थे. उन्होंने कहा कि ऑपरेटर की तरफ से कंपनी को किसी भी तरह का काम बंद करने की चेतावनी नही दी गई है लेकिन कंपनी की तरफ से कहा गया है कि जिन लोगों की नौकरियां प्लांट में लगी है वे लोग और कोई कारोबार नहीं कर सकते हैं. बालक राम शर्मा ने कहा कि माल ढुलाई के किराए को लेकर कंपनी दबाव की राजनीति कर रही है और ₹10 से घटाकर उसे ₹6 करने की बात की जा रही है जो आज के समय में बढ़नी चाहिए थी न कि घटनी चाहिए.
बैठक सोलन में होगी तो नही होंगे शामिल: बालक राम शर्मा ने कहा कि कल सोलन में इन सब मुद्दों को लेकर बैठक के लिए जिला प्रशासन के द्वारा सोलन बुलाया गया है, लेकिन वे सभी तभी बैठक में शामिल होंगे अगर बैठक अर्की में आयोजित की जाएगी. अगर सोलन में बैठक होगी तो वे लोग बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि ट्रक ऑपरेटर की यहां 8 सभाएं है और अगर 5-5 लोग हर सभा के सोलन जाते हैं तो उसका खर्चा कौन उठाएगा, ये बड़ा सवाल है. ऐसे में प्रशासन अगर अर्की में बैठक करता है तो ही वे हिस्सा लेंगे.
बता दें कि अंबुजा सीमेंट प्लांट के मुद्दे को लेकर ट्रक ऑपरेटर और मजदूरों ने अपनी आवाज सरकार के समक्ष रखी है और सरकार पर ही इसके लिए आगामी फैसला लेने की भी बात कही है. बहरहाल आने वाले दिनों में कांग्रेस की नई नवेली सुक्खू सरकार इस फैसले को किस तरह लेती है और किस तरह से कंपनी और मजदूरों-ट्रांसपोर्टरों के बीच सामंजस्य स्थापित कर पाती है यह देखने लायक होगा.
ये भी पढ़ें: सीमेंट प्लांट बंद होने से हिमाचल में बढ़ेगी बेरोजगारी, कई परिवारों पर रोजगार का संकट