कसौली/सोलन: विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की गति को बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड ने फिर सर्वे शुरू कर दिया है. इस सेक्शन पर आरडीएसओ की टीम ने आकर सर्वे किया है. हालांकि इससे पहले भी एक बार रेल लाइन पर स्पीड को बढ़ाने के लिए के लिए सर्वे हो चुका है, लेकिन भौगौलिक स्थिति को देखते हुए बात आगे नहीं बढ़ पाई. अब फिर सर्वे किया जा रहा है, ताकि कार्य को आगे बढ़ाया जा सके.
सर्वे के लिए रेलवे बोर्ड के उच्चाधिकारियों सहित इंजीनियर की एक विशेष टीम दो दिन से आई हुई है. मंगलवार को यह टीम कालका से शिमला के लिए रवाना हुई है. इस दौरान टीम ने पड़ने वाले स्टेशनों पर रुककर विभिन्न प्रकार का डेटा एकत्र किया है. इस डेटा को एकत्र करने के बाद यह टीम रेल लाइन की स्टडी करेगी और बताएगी कि क्या इस ट्रैक पर ट्रेन की स्पीड को बढ़ाया जा सकता है या नहीं. इसकी रिपोेर्ट जल्द ही उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी.
बता दें कि कुछ दिनों पहले केंद्रीय रेल मंत्री पियूष गोयल शिमला आए थे. इस दौरान उन्होंने कालका-शिमला विश्व धरोहर के लिए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं थी. इसमें मुख्य बात इस सेक्शन पर रेल की गति को बढ़ाने के लिए थी और गति को बढ़ाने के लिए एक बार फिर सर्वे करने के लिए कहा था. इस बात को तुरंत पालना करते हुए रेलवे की रीअलाइनमेंट के लिए रिसर्च डिजाइंस एंड स्टेंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम ने सर्वे करना शुरू कर दिया है.
स्पीड बढ़ाने में ये आ रही परेशानी
यह ट्रेन समुद्र तल से 2076 मीटर ऊपर स्थित शिमला तक पहुंचती है. स्पीड बढ़ाने में गोलाई और ऊंचाई ही रोड़ा बनी है, लेकिन अब फिर से रेल मंत्री ने रीअलाइनमेंट के माध्यम से स्पीड बढ़ाने की बात कही है. आरडीएसओ की टीम अब फिर से इस सेक्शन सर्वे कर अपनी रिपोर्ट देगी. इस सेक्शन में कुछ भी मुख्य बदलाव करने के लिए रेलवे को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लेना होगा.
अभी इस स्पीड में चल रही है ट्रेनें
विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर अभी तक ट्रेनों की स्पीड 25 किलोमीटर (किमी) प्रतिघंटा है, जबकि रेल मोटर कार की स्पीड 30 किमी प्रतिघंटा है. अब रीअलाइनमेंट के लिए रेलवे को जमीन चाहिए, जिसके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार से रेल मंत्री ने गुजारिश की है. अंबाला रेल मंडल के अधिकारी रीअलाइनमेंट, इसका नक्शा आदि पर रिपोर्ट तैयार कर रेल मंत्रालय को भेजेंगे.
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117 साल पहले शुरू हुई थी ट्रेन
कालका-शिमला रेल मार्ग पर करीब 117 साल पहले दो फीट छह इंच की नेरो गेज लेन पर ट्रेन चलाई गई थी. कालका-शिमला रेलमार्ग पर 861 पुल व 103 सुरंग बनी हैं. बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है जिसकी लंबाई 1143.61 मीटर है. इस टनल को क्रॉस करने में टॉय ट्रेन ढाई मिनट का समय लेती है. यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था. अब तक ट्रेन में कालका से शिमला तक पहुंचने के लिए ट्रेन लगभग पांच घंटे का समय लेती है. इस समय को कम करने के लिए इन दिनों मंथन किया जा रहा है.
रिसर्च डिजाइंस एंड स्टेंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम ने धर्मपुर में काफी देर रूक कर विभिन्न प्रकार की जानकारी एकत्र की है. जानकारी लेने के बाद टीम कुमारहट्टी, बड़ोग, सोलन, कैथलीघाट व अन्य स्टेशनों पर भी रुककर जायजा लिया है.
क्या कहना है रेलवे अधिकारी का?
विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे अधिकारी ने बताया कि गति को बढ़ाने के लिए मंथन किया गया है. इसके बाद रेलवे की रीअलाइनमेंट के लिए रिसर्च डिजाइंस एंड स्टेंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम ने सर्वे करना शुरू कर दिया है. दो दिन तक यह सर्वे चलेगा और रेल मंत्रालय को इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएंगी.
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