सोलन: देशभर में चल रहे कोरोना वारयस के खतरे के चलते लॉकडाउन में समाजिक दूरी बनाकर लोग कई तरह के रचनात्मक कार्य कर रहे है. ऐसा ही कार्य धर्मपुर क्षेत्र के सुक्खी जोहड़ी के कमलेश कुमार ने भी अपने बेटे शुभम के साथ मिलकर मिट्टी में दबकर लुप्त हो चुकी पुरानी पेयजल बावड़ी का संवर्धन किया और अब वह पानी से लबालब भर गई है.
धर्मपुर से सनावर रोड़ पर सुक्खी जोहड़ी के समीप एक पुरानी बावड़ी मिट्टी में दब चुकी थी, लेकिन अब वह दोबारा पानी से भर गई है. बावड़ी के साथ ही एक छोटी सी दुकान चलाने वाले सुक्खी जोहड़ी के कमलेश और उनके बेटे शुभम ने लॉक डाउन में दुकान बंद होने पर खाली समय का ऐसा सदुपयोग किया और इसका लाभ गर्मियों में होने वाली पेयजल किल्लत का समाधान होकर मिलेगा.
शुभम ने बताया कि यह बावड़ी से सड़क से नीचे होने के कारण मिट्टी, पत्थरों से दबने व गाद भरने के कारण लुप्त हो गई थी. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण दुकान व स्कूल बंद हो गए. बेटा नौवीं कक्षा में पढ़ता है. शुभम ने अपने पिता से कहा कि क्यों न दबी हुई बावड़ी को संवारा जाए. उसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दोनों पिता पुत्र ने बावड़ी के ऊपर पड़ी मिटटी व पत्थरों को हटाई व पत्थरों से बनी शानदार बावड़ी अब फिर से दिखनी शुरू हो गई.
दोनों ने बावड़ी में जमी हुई गाद व ऊगी हुई घास को नष्ट किया. अब बावड़ी स्वच्छ पेयजल से भर गई है. उनके इस प्रयास की प्रधान ने भी सराहना की है. इस बात से प्रेरित होकर अब अन्य गांव वासी भी अपने अपने घरों के नजदीक मौजूद प्राकृतिक स्त्रोंतों को दुरूस्त करने में लगे हैं. कोई रामायण और महाभारत देख रहा कोई कर रहा सामाजिक कार्यलंबे समय से लोग रामायण और महाभारत देखकर समय बिता रहे थे, लेकिन अब लोग सामाजिक दूरी का पालन करते हुए अपने जरूरी कार्यों व प्राकृतिक स्त्रोतों की तरफ ध्यान देने में लग गए हैं.
गौर हो कि पहाड़ी क्षेत्र में ऐसे अनेक स्रोत हैं और गर्मियों में पानी की कमी का भी कई स्थानों पर सामना करना पड़ता है. ऐसे में यह सही समय है जब हम गर्मियों से निपटने की तैयारी कर सकते हैं. पेयजल किल्लत की भी कम होगी समस्या शुभम ने बताया कि गर्मियों में आने वाली पेयजल किल्लत भी अब इस बावड़ी के फिर से भरने के बाद आसपास के परिवारों को नही सताएगी.
शुभम का कहना है कि सरकार ने कोरोना महामारी के कारण हम सभी की सुरक्षा के लिए लॉक डाउन लगाया है. इसलिए लोगों को बाहरी क्षेत्रों में व्यर्थ न घूमकर अपने घरों के आसपास ही रचनात्मक कार्य करने चाहिए. शुभम ने बताया कि उनके माता पिता की मदद से जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से घर के साथ बनी बावड़ी का संवर्धन करने के लिए दोनों पिता पुत्र रोजाना कुछ समय इस कार्य को करते थे.
बेटे ने पढ़ाई करने के बाद अपने पिता के साथ मिट्टी व पत्थर उठाकर हाथ बंटाया और उनकी हिम्मत से आज लुप्त हुई बावड़ी फिर से पानी से संचित हो गई है. उन्होंने प्रशासन से भी मांग की कि बावड़ी की मुरम्मत करवाएं तो यह वर्ष भर पानी से भरी रहेगी.
क्या कहते हैं पंचायत प्रतिनिधि
गुल्हाड़ी के पंचायत उप प्रधान संजय ठाकुर और वार्ड सदस्य ने कहा कि क्षेत्र में ग्रामीण अपने स्तर पर पहरा रख रहे हैं. यहां सामाजिक दूरी के लिए लोगों को समय समय पर जागरूक किया जा रहा है. कुछ लोग प्राकृतिक स्रोतों को संवारने में लगे हैं. गांव वासियों को खाने की कमी नहीं होने दी जा रही है. इसके लिए समय समय पर प्रशासन के अधिकारियों को सूचित किया जाता है.
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