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आखिरकार हो गया शूलिनी मां का अपनी बहन से मिलन, कोरोना नहीं तोड़ पाया परंपरा

कोरोना काल में भी आखिरकार सोलन में मां शूलिनी का बहन दुर्गा से मिलन हो गया. कोरोना काल में इस बार प्रशासन की गाइडलाइन के हिसाब से परंपराओं को निभाया गया,लेकिन राज्य स्तरीय मेले की शुरूआत नहीं हो सकी.

Shulini mother finally got her sister Durga Milan, Corona could not break tradition
कोरोना नहीं तोड़ पाया परंपरा
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Published : Jun 19, 2020, 9:54 PM IST

सोलन : कोरोनाकाल भी शूलिनी मां का अपनी बहन से मिलन नहीं रोक पाया. देवभूमि हिमाचल में पारंपरिक एवं प्रसिद्ध मेलों में माता शूलिनी का मेला माना जाता है. बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपनी प्राचीन परंपराओं को सहजे हुए है. इस बार भले ही राज्यस्तरीय शूलिनी मेला भले ही कोरोना महामारी की भेंट चढ गया हो, लेकिन सालों से चलती आ रही देव परंपराएं और पौराणिक विधि-विधान से शुक्रवार को मां शूलिनी का अपनी बहन दुर्गा से मिलन हो ही गया.

प्रशासन ने बीती रात शहर में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे बतक कर्फ्यू लगाया था, ताकि लोग बड़ी संख्या में इक्ट्ठा ना हो, लेकिन परंपराओं को किस तरह कोरोना संकट काल में निभाया जाए इसकी जिम्मेदारी भी प्रशासन के पास थी. मां शूलिनी की प्रतिमा को परिक्रमा न करवाकर सीधा ही गंज बाजार में अपनी बहन के घर लाया गया. जहां पूरे विधि विधान से दोनों बहनों का मिलन हुआ.

वीडियो

देव पंरपरा निभाई
विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में मंदिर बंद हैं. भले ही शूलिनी माता की पालकी इस बार नहीं निकली हो, लेकिन फिर भी मां शूलिनी का अपनी बहन से मिलन हो ही गया, ये यहां की देव परंपरा रही है.

21 गांवों के लोगों ने लगाई हाजिरी
मां शूलिनी के कल्याण समिति के अध्यक्ष ठाकुर शेर सिंह ने बताया कोरोना महामारी के चलते इस बार मां शूलिनी की भले ही शोभायात्रा सक्ष्म रूप से निकली हो ,लेकिन जो हमारी परंपरा थी उसे हमने निभाया. उन्होंने बताया कि आज भी करीब 21 गांव के लोगों से 1-1 व्यक्ति ने आकर माता के चरणों मे अपनी हाजिरी लगाई. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पहले भी मां शूलिनी की कृपा शहर पर रही. उसी तरह आगे भी मां की कृपा सब पर रहेगी.

मास्क लगाकर निकले लोग

कोरोना काल में मां शूलिनी की पालकी बहन दुर्गा के घर के लिए जिस रास्ते से निकली. वहां लोग घरों और छतों से फूल बरसाकर स्वागत करते नजर आए. इसके अलावा मां शूलिनी के साथ चलने वाले चाहे पुलिस के जवान हों या फिर मंदिर समिति के अलावा 21 गांवों से आए लोग सभी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए.

प्राचीन परंपरा कायम
बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपने प्राचीन परंपरा को संजोए हुए हैं. इस मेले का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है. माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुलश्रेष्ठा देवी मानी जाती हैं. वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान है. इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाए भी मौजूद हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक हैं. अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी,लुगासना देवी,नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं.

सोलन : कोरोनाकाल भी शूलिनी मां का अपनी बहन से मिलन नहीं रोक पाया. देवभूमि हिमाचल में पारंपरिक एवं प्रसिद्ध मेलों में माता शूलिनी का मेला माना जाता है. बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपनी प्राचीन परंपराओं को सहजे हुए है. इस बार भले ही राज्यस्तरीय शूलिनी मेला भले ही कोरोना महामारी की भेंट चढ गया हो, लेकिन सालों से चलती आ रही देव परंपराएं और पौराणिक विधि-विधान से शुक्रवार को मां शूलिनी का अपनी बहन दुर्गा से मिलन हो ही गया.

प्रशासन ने बीती रात शहर में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे बतक कर्फ्यू लगाया था, ताकि लोग बड़ी संख्या में इक्ट्ठा ना हो, लेकिन परंपराओं को किस तरह कोरोना संकट काल में निभाया जाए इसकी जिम्मेदारी भी प्रशासन के पास थी. मां शूलिनी की प्रतिमा को परिक्रमा न करवाकर सीधा ही गंज बाजार में अपनी बहन के घर लाया गया. जहां पूरे विधि विधान से दोनों बहनों का मिलन हुआ.

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देव पंरपरा निभाई
विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में मंदिर बंद हैं. भले ही शूलिनी माता की पालकी इस बार नहीं निकली हो, लेकिन फिर भी मां शूलिनी का अपनी बहन से मिलन हो ही गया, ये यहां की देव परंपरा रही है.

21 गांवों के लोगों ने लगाई हाजिरी
मां शूलिनी के कल्याण समिति के अध्यक्ष ठाकुर शेर सिंह ने बताया कोरोना महामारी के चलते इस बार मां शूलिनी की भले ही शोभायात्रा सक्ष्म रूप से निकली हो ,लेकिन जो हमारी परंपरा थी उसे हमने निभाया. उन्होंने बताया कि आज भी करीब 21 गांव के लोगों से 1-1 व्यक्ति ने आकर माता के चरणों मे अपनी हाजिरी लगाई. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पहले भी मां शूलिनी की कृपा शहर पर रही. उसी तरह आगे भी मां की कृपा सब पर रहेगी.

मास्क लगाकर निकले लोग

कोरोना काल में मां शूलिनी की पालकी बहन दुर्गा के घर के लिए जिस रास्ते से निकली. वहां लोग घरों और छतों से फूल बरसाकर स्वागत करते नजर आए. इसके अलावा मां शूलिनी के साथ चलने वाले चाहे पुलिस के जवान हों या फिर मंदिर समिति के अलावा 21 गांवों से आए लोग सभी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए.

प्राचीन परंपरा कायम
बदलते परिवेश के बावजूद यह मेला अपने प्राचीन परंपरा को संजोए हुए हैं. इस मेले का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है. माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुलश्रेष्ठा देवी मानी जाती हैं. वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान है. इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाए भी मौजूद हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक हैं. अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी,लुगासना देवी,नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं.

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