बद्दी: ग्राम पंचायत मानपुरा के गांव रोतांवाला में तीन साल पहले हुई भारी बारिश के चलते नदी पर बना पुल बह गया था. इस पुल के बह जाने से गांव ठेड़ा-जामूनडोरा-बुआसनी के लोगों का शहर से संपर्क टूट गया था. यह पुल लगभग जो कि आधा दर्जन पंचायतों को जोड़ता है, लेकिन आज तक विभाग ने इसकी सुध तक नहीं ली.
लोगों ने कईं बार इसकी शिकायत पीडब्ल्यूडी विभाग को भी दी. फिर भी विभाग के आला अधिकारी अपने ऐसी दफ्तरों को छोड़कर लोगों की समस्या का हल निकालने एक बार भी नहीं पहुंचे.
1998 में बना था पुल
विभाग से परेशान गांव वासियों का कहना है कि इस पुल का निर्माण 1998 में हुआ था और तीन साल पहले हुई भारी बारिश के चलते यह पुल बह गया था. इस पुल के टूटने से आधा दर्जन से अधिक पंचायतों के लोग प्रभावित हुए थे. जिसको लेकर कईं बार विभाग को भी शिकायत दी गई, लेकिन विभाग हमेशा ही यह कहकर अपना पल्ला झाड़ता रहा कि उनके पास पुल को बनाने के लिए पर्याप्त धन नहीं है.
वाहन चालकों और मरीजों को आ रही समस्या
पुल के टूटने से वाहन चालकों और मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पैदल चलने वाले लोगों को भी काफी परेशानी उठानी पडती है. ग्रामीणों का कहना कि बरसात के दिनों में तो यहां हालत और भी खराब हो जाती है. रोतांवाला का संपर्क दूसरी पंचायतों से टूट जाता है. अगर कोई बुजुर्ग या व्यस्क व्यक्ति बीमार होता है तो उसे भी शहर तक ले जाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
पुल ना बना तो धरना प्रदर्शन करेंगे ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि अगर विभाग उनकी इस समस्या का हल नहीं निकालता है और बरसात का मौसम शुरू होने से पहले इस पुल का निर्माण नहीं किया जाता है, तो लोगों को मजबूरन धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेवारी विभाग की होगी.
मानपुरा पंचायत के प्रधान ने बताया
मानपुरा पंचायत के प्रधान नामदेव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास लोग शिकायत लेकर आए थे. जिस पर वह मौके पर भी गए. उन्होंने कहा कि यहां पर पुल न होने के कारण लोगों को काफी समस्या हो रही है. जिसके लिए वह पंचायत की तरफ से विभाग के अधिकारियों के साथ जल्द ही मिलेंगे और इस समस्या का हल जल्द निकाला जाएगा.
क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी
इस बारे में विभाग के अधिशाषी अभियंता अजय कुमार से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह समस्या उनके ध्यान में आई है. उन्होंने कहा कि जल्द ही पुल के निर्माण के लिए टैंडर लगाया जाएगा और दो-तीन महीनों के भीतर इसका कार्य शुरू करवा दिया जाएगा.
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