सोलन: वेस्ट टू बेस्ट के कई तरह के उदाहरण आपने देखे होंगे, लेकिन सोलन के जीवानंद शर्मा ने इसका बेहतरीन उदाहरण पेश दिखाया है. दरअसल, जीवानंद शर्मा सोलन में बीएसएनएल विभाग से रिटायर हो चुके हैं और अब अपनी कलाकारी को वह अलग-अलग तरीकों से सबके सामने रख रहे हैं. नारियल से चाय के कप,पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाले शंख, नमकीन बिस्किट के लिए छोटे छोटे डब्बे इन दोनों जीवानंद शर्मा द्वारा बनाए जा रहे हैं. जिसे लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं. लिहाजा बाज़ारों में नारियल से बने कप की कीमत 500 से 600 रुपये हैं, लेकिन जीवानंद शर्मा इन्हें 300 से 400 रुपये में बेच देते हैं
दरअसल, जीवानंद शर्मा का कहना है कि मंदिरों में जो नारियल चढ़ने के बाद सिर्फ प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं. उन पर वह कलाकारी करते हैं. उनका कहना है कि भले ही कलाकारी करने में उन्हें समय जरूर लगता है, लेकिन उनकी जो रुचि इस काम को करने में है,वह अलग है. वहीं, नारियल से बने उत्पादों से जो आमदनी होती है. उसे वह सिर्फ धर्म-कर्म के कार्यों में ही इस्तेमाल करते हैं अन्य किसी भी काम में उन पैसों का इस्तेमाल जीवानंद शर्मा द्वारा नहीं किया जाता है.
![Solan Artist Jivanand Sharma](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-09-2023/19536607_thum-2.jpg)
जीवानंद शर्मा बताते हैं कि वे साल 2020 में BSNL विभाग से रिटायर हुए थे. जिसके बाद वह एक दिन ऐसे ही शिमला घूमने चले गए. वहां पर उनके एक दोस्त की बेटी बाजार से नारियल से बने कप लेकर आई और जब उसकी कीमत पूछी गई तो 500 से 600 बताई गई. ऐसे में उन्होंने मजाक में ही कह दिया कि वह भी ऐसे कपों को बना देंगे. उसके बाद से उन्होंने यह कप बनाने का सिलसिला शुरू किया और आज लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं. वोकल फॉर लोकल का नारा जो सरकार देश-प्रदेश में दे रही है कहीं ना कहीं यह उस बात को भी सार्थक कर रही है,जीवानंद शर्मा ने कहा है कि यदि कोई युवा उनसे कार्य सीखना चाहते हैं तो वह उसे भी यह कार्य सीखा सकते हैं.
![Solan Artist Jivanand Sharma](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-09-2023/19536607_thum-1.jpg)
जीवानंद शर्मा ने कहा कि वह इसके अलावा अन्य कोई उत्पाद भी लकड़ियों के बनाते हैं. चाहे उसमें पूजा के मंदिर हो,गिफ्ट करने के लिए कोई भी लकड़ी का वस्तु हो या फिर अन्य कोई घर में इस्तेमाल होने वाली वस्तु हो. वे हर चीज को लकड़ी के माध्यम से बना लेते हैं, लेकिन उनकी ज्यादा रुचि नारियल से बनने वाले कपों में है. क्योंकि वह बताते हैं कि वह दिन में सिर्फ दो ही कप तैयार कर पाते हैं. क्योंकि इसमें समय बहुत लगता है और इसे फाइनल टच देने में उन्हें पूरा दिन लग जाता है.
![Solan Artist Jivanand Sharma](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-09-2023/19536607_thum-3.jpg)
बता दें, जीवानंद शर्मा अभी इन कपों और उत्पादों को कहीं दुकान या मेलों में नही बेचते हैं, लेकिन अगर कभी शिमला या सोलन के बाजारों की तरफ वे निकलते हैं तो अक्सर इन कपों को साथ ले जाते है, और लोग इसे पसंद करके खरीद भी लेते है. बहरहाल सरकार और प्रशासन को भी ऐसे लोगों को आगे लाना चाहिए ताकि वोकल फ़ॉर लोकल का नारा जमीनी स्तर पर सार्थक हो सके, ताकि आज जो युवा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं या फिर कोई अपना कारोबार करना चाहते हैं तो उनके लिए भी यह हाथों से बनने वाली कलाकारी आमदनी का जरिया बन सकती है.
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