सोलन: कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन से बागवान और किसान परेशान हैं. इसका खासा असर प्रदेश की आर्थिकी पर पड़ा है. किसान और बागवान हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी हैं. कोरोना वायरस का असर इस कदर पड़ा है कि किसान और बागवान आने वाले दिनों में भी इस घाटे से उभर नहीं पाएंगे.
फरवरी माह शुरू होते ही प्रदेश में मटर और गोभी का सीजन शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार मटर की फसल पर लॉकडाउन का खासा असर पड़ा है. सर्दियों में अच्छी बारिश होने के कारण इस बार मटर की बंपर फसल हुई, लेकिन अच्छे दाम न मिलने के कारण किसान परेशान हैं.
प्रदेश में कर्फ्यू के चलते सब्जी मंडियां देरी से खुली. वहीं, ओलावृष्टि से आधी फसल खेतों में ही सड़ गई. बाहरी राज्यों की मंडियां भी बंद होने की वजह से समय पर खेतों से मटर का तुड़ान नहीं हो पाया. वर्तमान में किसानों के खेतों से 22 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मटर की फसल का तुड़ान हो रहा है. वहीं, बीते साल किसानों को खेतों में ही करीब 40 रुपये प्रति किलो का भाव मिला था.
सोलन की सब्जी मंडी में हर साल 10 से 15 करोड़ रुपये का मटर का कारोबार होता था, लेकिन इस बार मात्र 3 करोड़ 19 लाख का कारोबार अब तक हो पाया है. सोलन जिला में करीब 1400 हेक्टेयर के क्षेत्र में मटर की खेती होती है, जिसमें करीब 14,198 मीट्रिक टन मटर का कारोबार होता है. करीब 1 हेक्टेयर जमीन में 100 क्विंटल मटर की पैदावार होती है.
अकेले सोलन जिला में लॉकडाउन के चलते मटर की करोड़ों की फसल नष्ट हो गई. सब्जी मंडी में इस बार 7 करोड़ का कम कारोबार हुआ. मुनाफे की बात तो दूर किसानों को इस बार फसल पर खर्च की हुई लागत भी नहीं मिल पाई है.