सोलन: किसानों की फसलों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है. इसके चलते किसानों की फसलों का बीमा करके उन्हें नुकसान की स्थिति में मुआवजा दिया जाता है. गेहूं की फसल पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 30 हजार और जौ की फसल पर 25 हजार प्रति हेक्टेयर का मुआवजा मिलता है.
तहसील स्तर पर होता है नुकसान का जायजा
सोलन कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर राजेश कौशिक ने बताया कि यदि किसानों की फसल को किसी तरह का नुकसान होता है तो इसका तहसील स्तर पर जायजा लिया जाता है. किसानों की फसल के नुकसान को आंका जाता है. उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल पर प्रति हेक्टेयर 30 हजार, जौ की फसल पर प्रति हेक्टेयर 25 हजार मुआवजा दिया जाता है. डॉक्टर कौशिक ने बताया कि टमाटर की फसल में एक लाख रुपए तक प्रति हेक्टर का बीमा किया जाता है. वर्ष 2020-21 में जिला सोलन की 5,100 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की खेती की गई थी. इसमें से 545 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की खेती का किसानों द्वारा बीमा करवाया गया थे जिसमें 3,547 किसान जुड़े थे.
2020 में 63 लाख रुपए से ज्यादा का भुगतान
डॉक्टर राजेश कौशिक ने बताया कि पिछले साल 12,002 प्रति हेक्टेयर की दर से 63 लाख 41 हजार 101 रुपए का भुगतान कृषि बीमा योजना कंपनी द्वारा किसानों को किया गया था. इसमें से 27 लाख रुपए का प्रीमियम किसानों द्वारा कंपनी को अदा किया गया है. उन्होंने बताया कि मक्का की फसल में भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा किसानों को मुआवजा दिया जाता है.
2016 में शुरू की गई थी फसल बीमा योजना
केंद्र सरकार द्वारा 13 जून 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई थी. इस बीमा योजना के तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिए 2 फीसदी प्रीमियम और रबी फसल के लिए 1.5 फीसदी का भुगतान किया जाता है. इस योजना में किसानों की सुविधा के लिए प्रीमियम दरों को कम रखा गया है ताकि सभी स्तर के किसान आसानी से फसल बीमा योजना का लाभ ले सकें. इस योजना में खरीफ फसलों के लिए 2 फीसदी प्रीमियम और रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी प्रीमियम और वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के बीमा के लिए 5 फीसदी प्रीमियम का भुगतान किया जाता है.
ये भी पढ़ें: कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद एक्शन मोड में DC शिमला, टीम के साथ ओल्ड बस स्टैंड का किया निरीक्षण