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कोरोना काल में सोलन जिला के 70 हजार लोगों को मिला रोजगार: डीसी सोलन

कोरोना वायरस के कारण लगाए गए क‌र्फ्यू एवं लॉकडाउन में जिला सोलन में भी कई लोग घर लौटे थे. खाली हाथ लौटे इन लोगों के लिए मनरेगा योजना वरदान बनी है. योजना के तहत जहां लोगों को रोजगार मिला है, वहीं गांवों में विकास की रफ्तार भी बढ़ी है. डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि

DC Solan kc chaman on MGNREGA scheme
फोटो.
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Published : Dec 12, 2020, 5:28 PM IST

सोलन: देवभूमि हिमाचल निरंतर प्रगति की राह पर अग्रसर होता जा रहा है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की बात की जाए तो सबसे पहले नाम ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को देखने का मनरेगा नजर आता है.

मनरेगा हर उस व्यक्ति की आस है जो घर बैठे ही घर के आस-पास रोजगार पाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं वहीं, जिस तरह से इस बार कोरोना की वजह से हर एक व्यक्ति के जीवन पर असर पड़ा है कहीं ना कहीं इन सबके बीच मनरेगा उन लोगों के लिए संजीवनी साबित हुआ है. जिन लोगों ने कोरोना वायरस बीच अपना रोजगार गंवाया हो.

कोरोना वायरस के कारण लगाए गए क‌र्फ्यू एवं लॉकडाउन में जिला सोलन में भी कई लोग घर लौटे थे. खाली हाथ लौटे इन लोगों के लिए मनरेगा योजना वरदान बनी है. योजना के तहत जहां लोगों को रोजगार मिला है, वहीं गांवों में विकास की रफ्तार भी बढ़ी है.

वीडियो.

विभिन्न प्रदेशों से लौटे ये लोग अब मनरेगा में रोजगार प्राप्त कर अपने गांव की सूरत निखारकर अपने परिवार का भी पालन-पोषण कर रहे हैं. कामगारों को मनरेगा से काम के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है. इच्छुक कामगारों को रोजगार के तौर-तरीके भी बताए जा रहे हैं. इससे एक तरफ जहां घर लौटे लोगों को काम मिल रहा है वहीं दम तोड़ रही मनरेगा को संजीवनी मिली है. लॉकडाउन के समय में जिला में चार गुणा से अधिक श्रमिक बढ़े हैं.

प्राकृतिक जल स्त्रोतों और खराब हो चुकी सड़कों को हो रहा संवारने का कार्य

पहचान खो चुके मृतप्राय: पोखरों की जीवंतता लौट रही है. नालों व प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है. इतना ही नहीं, नालियों के निर्माण सहित सुस्त पड़ी 'नल जल योजना' के कार्य में भी रफ्तार दिख रही है. बहुत सी ग्रामीण सड़कें जो जर्जर हो चुकी थीं, चकाचक हो रही हैं.

कुल मिलाकर इस वैश्विक महामारी में भय के बीच गांव की नित नई तस्वीर सामने आ रही है. सैकड़ों पुरुष व महिला कामगारों को रोजगार के साथ रोजी रोटी कमाने का जरिया मिला है.

प्रदेश की इकोनॉमी में जिला नंबर वन

डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि जिला सोलन औद्योगिक क्षेत्र होने के साथ-साथ ऑफ सीजनल वेजिटेबल और फूलों की खेती के लिए भी जाना जाता है. प्रदेश में इकोनामी के नजरिए से भी जिला नंबर वन पर है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल मद लोगों ने अपने घरों का रुख किया ऐसे में अपना रोजगार गवा चुके लोगों के लिए जिला सोलन में मनरेगा संजीवनी साबित हुई है.

उन्होंने कहा कि अगर बात की जाए तो नवंबर माह में ही जिला सोलन में 2108 मस्ट्रॉल जारी किए गए हैं जिसमें करीब 21 से 22000 लोगों को रोजगार मिला है. उन्होंने कहा कि पिछले 5-6 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक साथ इतने मस्ट्रॉल जारी किए गए हो.

मनरेगा के तहत अब तक जिला के करीब 55% लोग पा चुके हैं रोजगार

डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि अब तक जिला में करीब 55% लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिल चुका है. उन्होंने बताया कि अब तक कोरोना काल के बीच करीब 65 से 70000 लोग मनरेगा के तहत लाभान्वित होकर रोजगार पा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि आगे भी इसी तरह जिला सोलन में ग्रामीण क्षेत्रों की तकदीर बदलने के लिए कार्य किया जाएगा. जिला में हर हाथ को काम मिले, इस उद्देश्य से जिले की सभी पंचायतों में प्रशासन द्वारा मनरेगा के कार्य शुरू किए गए हैं.

सोलन: देवभूमि हिमाचल निरंतर प्रगति की राह पर अग्रसर होता जा रहा है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की बात की जाए तो सबसे पहले नाम ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को देखने का मनरेगा नजर आता है.

मनरेगा हर उस व्यक्ति की आस है जो घर बैठे ही घर के आस-पास रोजगार पाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं वहीं, जिस तरह से इस बार कोरोना की वजह से हर एक व्यक्ति के जीवन पर असर पड़ा है कहीं ना कहीं इन सबके बीच मनरेगा उन लोगों के लिए संजीवनी साबित हुआ है. जिन लोगों ने कोरोना वायरस बीच अपना रोजगार गंवाया हो.

कोरोना वायरस के कारण लगाए गए क‌र्फ्यू एवं लॉकडाउन में जिला सोलन में भी कई लोग घर लौटे थे. खाली हाथ लौटे इन लोगों के लिए मनरेगा योजना वरदान बनी है. योजना के तहत जहां लोगों को रोजगार मिला है, वहीं गांवों में विकास की रफ्तार भी बढ़ी है.

वीडियो.

विभिन्न प्रदेशों से लौटे ये लोग अब मनरेगा में रोजगार प्राप्त कर अपने गांव की सूरत निखारकर अपने परिवार का भी पालन-पोषण कर रहे हैं. कामगारों को मनरेगा से काम के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है. इच्छुक कामगारों को रोजगार के तौर-तरीके भी बताए जा रहे हैं. इससे एक तरफ जहां घर लौटे लोगों को काम मिल रहा है वहीं दम तोड़ रही मनरेगा को संजीवनी मिली है. लॉकडाउन के समय में जिला में चार गुणा से अधिक श्रमिक बढ़े हैं.

प्राकृतिक जल स्त्रोतों और खराब हो चुकी सड़कों को हो रहा संवारने का कार्य

पहचान खो चुके मृतप्राय: पोखरों की जीवंतता लौट रही है. नालों व प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है. इतना ही नहीं, नालियों के निर्माण सहित सुस्त पड़ी 'नल जल योजना' के कार्य में भी रफ्तार दिख रही है. बहुत सी ग्रामीण सड़कें जो जर्जर हो चुकी थीं, चकाचक हो रही हैं.

कुल मिलाकर इस वैश्विक महामारी में भय के बीच गांव की नित नई तस्वीर सामने आ रही है. सैकड़ों पुरुष व महिला कामगारों को रोजगार के साथ रोजी रोटी कमाने का जरिया मिला है.

प्रदेश की इकोनॉमी में जिला नंबर वन

डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि जिला सोलन औद्योगिक क्षेत्र होने के साथ-साथ ऑफ सीजनल वेजिटेबल और फूलों की खेती के लिए भी जाना जाता है. प्रदेश में इकोनामी के नजरिए से भी जिला नंबर वन पर है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल मद लोगों ने अपने घरों का रुख किया ऐसे में अपना रोजगार गवा चुके लोगों के लिए जिला सोलन में मनरेगा संजीवनी साबित हुई है.

उन्होंने कहा कि अगर बात की जाए तो नवंबर माह में ही जिला सोलन में 2108 मस्ट्रॉल जारी किए गए हैं जिसमें करीब 21 से 22000 लोगों को रोजगार मिला है. उन्होंने कहा कि पिछले 5-6 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक साथ इतने मस्ट्रॉल जारी किए गए हो.

मनरेगा के तहत अब तक जिला के करीब 55% लोग पा चुके हैं रोजगार

डीसी सोलन केसी चमन ने बताया कि अब तक जिला में करीब 55% लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिल चुका है. उन्होंने बताया कि अब तक कोरोना काल के बीच करीब 65 से 70000 लोग मनरेगा के तहत लाभान्वित होकर रोजगार पा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि आगे भी इसी तरह जिला सोलन में ग्रामीण क्षेत्रों की तकदीर बदलने के लिए कार्य किया जाएगा. जिला में हर हाथ को काम मिले, इस उद्देश्य से जिले की सभी पंचायतों में प्रशासन द्वारा मनरेगा के कार्य शुरू किए गए हैं.

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