सोलन: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों सेब सीजन चल रहा है. किलो के हिसाब से सरकार ने सेब को बेचने की व्यवस्था इस बार सेब मंडियों में की है. सब्जी मंडी सोलन की सेब मंडी में भी हर साल करोड़ों का व्यापार किया जाता है. वहीं, अभी तक सेब मंडी सोलन और परवाणू में 9 लाख सेब की पेटियां पहुंच चुकी हैं. जिसके माध्यम से 1 अरब 17 करोड़ का व्यापार सेब का हो चुका है. इन दिनों मंडियों में कोटखाई, कोटगढ़, रोहड़ू, करसोग और शिमला क्षेत्र का सेब पहुंच रहा है.
वहीं, सेब सीजन के दौरान सेब के व्यापारी आढ़तियों और बागवानों के साथ धोखाधड़ी न कर पाए इसको लेकर भी सरकार और प्रशासन ने व्यवस्था की है कि हर सेब व्यापारी का पंजीकरण होगा, ताकि उसका पूरा पता प्रशासन और सरकार के पास हो, क्योंकि यदि सेब व्यापारी आढ़ती और बागवानों के साथ धोखाधड़ी करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
सब्जी मंडी सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में आपदा का दौर चल रहा है और सबसे ज्यादा परेशान किसान बागवान हो रहे हैं, क्योंकि सड़कें बंद हैं. ऐसे में वह अपने फल और सब्जियां मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सेब सीजन भी इन दिनों चल रहा है. ऐसे में सोलन व परवाणू सेब मंडी में करीब 9 लाख पेटियां पहुंच चुकी हैं. जिसके माध्यम से मंडी में अब तक एक अरब 17 करोड़ का व्यापार किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि इस बार व्यापार स्थिर रहने वाला है, क्योंकि बारिश होने से सेब का सीजन बाधित हुआ है और फसलें खराब हुई हैं. ऐसे में सेब की डिमांड ज्यादा है तो बागवानों को भी इसके दाम बढ़िया मिलने वाले हैं.
सब्जी मंडी सोलन के सचिव रविन्द्र शर्मा ने बताया कि मंडियों में सेब खरीदने के लिए आने वाले सभी खरीदारों को अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाना होगा. गैर पंजीकृत खरीदारों पर FIR दर्ज होगी. संबंधित आढ़ती पर भी कार्रवाई होगी. उन्होंने बागवानों से भी अपील की है कि रजिस्टर्ड आढ़ती और व्यापारियों को ही अपना सेब बेचें, ताकि वे लोग धोखाधड़ी का शिकार ना हो सकें.
बता दें कि हर साल बाहरी राज्यों से आने वाले खरीदार सेब खरीदने के बाद पेमेंट नहीं करते हैं. जिससे आढ़तियों और बागवानों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचता है. सेब सीजन के दौरान हर साल महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश बिहार और राजस्थान सहित अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में सेब खरीदार हिमाचल की मंडियों में सेब खरीदने के लिए पहुंचते हैं.
शुरुआत में तो यह खरीदार आढ़तियों को नियमित पैसा भेजते हैं. जिससे बागवानों को भी पेमेंट मिल जाती है, लेकिन अचानक सेब के कई ट्रक खरीद कर यह लोग गायब हो जाते हैं. ऐसे में आढ़ती और मंडी समिति के पास खरीदारों का कोई रिकार्ड न होने से बागवानों का पैसा डूब जाता है. इसी को देखते हुए सरकार ने अब यह फैसला लिया है कि सेब का व्यापार करने वाले सभी व्यापारियों का पंजीकरण किया जाएगा.