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शिलाई: लोटा लूण की प्रथा खत्म करने को लेकर युवाओं की पहल, लोगों को कर रहे जागरूक - पंचायत चुनाव न्यूज

झकंडों पंचायत में कुछ युवाओं ने 'लोटा लूण' इस प्रथा को खत्म करने की मुहिम छेड़ रखी है. घर-घर जाकर लोगों को इस बारे में अवगत करवाया जा रहा है. लोगों को बताया जा रहा है कि इस बार पंचायत चुनाव में शराब वितरित नहीं की जाएगी और ना ही किसी तरह का लोटा लूण किया जाएगा.

Youth making people aware
युवा लोगों को कर रहे जागरूक
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Published : Oct 5, 2020, 3:56 PM IST

शिलाई: प्रदेश में पंचायती राज चुनाव में कुछ महीनों का समय बाकी है. चुनाव को लेकर सरकार की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन सिरमौर जिला के उपमंडल शिलाई की 29 पंचायतों में से कई पंचायतों में भावी उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी दावेदारी प्रधान पद के लिये जता दी है.

विकास खंड की 15 ऐसी पंचायतें हैं, जिनमें प्रधान पद के उम्मीदवार पंचायत के लोगों को लाखों का भोज खिलाकर लोगों से संपर्क बनाकर अपने पक्ष में कर रहे हैं. वहीं, झकंडों पंचायत में कुछ युवाओं ने इस प्रथा को खत्म करने की मुहिम छेड़ रखी है. घर-घर जाकर लोगों को इस बारे में अवगत करवाया जा रहा है. लोगों को बताया जा रहा है कि इस बार पंचायत चुनाव में शराब वितरित नहीं की जाएगी और ना ही किसी तरह का लोटा लूण किया जाएगा.

वीडियो.

उल्लेखनीय है कि क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में पंचायती राज चुनाव जीतने के लिये साम, दाम, दंड, भेद सहित लोटा लूण का इस्तेमाल किया जाता है. बुद्धिजीवी बतातें है कि क्षेत्र मे धीरे धीरे कुरीति पांव पसार रही है. पिछ्ले इलेक्शन मे द्राबिल, मिल्ला, बाली कोटी, लोजा -मानल, रास्त व अन्य ऐसी पंचायते रहीं, जिनमें चुनाव के खर्चे 25 लाख से लेकर 1 करोड़ तक आए हैं.

पिछले चुनाव में एक उम्मीदवार ने एक वोटर को वोट के बदले पुश्तैनी भूमि की रजिस्ट्री दे डाली. इनकी तर्ज पर अब बाकी पंचायतों मे भी इलेक्शन में दावते व पैसा बांटने की होड़ लगी रहती है. चुनाव जीतने के बाद प्रधान इलेक्शन में खर्च हुए पैसों को एकत्रित करने के लिए मनरेगा व अन्य मदों के मस्ट्रोल के अंदर फंसे रहते हैं. विकास योजनाओं के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग होता है. क्षेत्र की वर्तमान हालात को देखते हुए कुछ परिवारों द्वारा इलेक्शन को महंगा बनाया जा रहा है, जिससे आम आदमी अपनी दावेदारी न रख सकें.

ये भी पढ़ें: कोरोना की जंग में आयुष किट प्लस बन रही मददगार, सिरमौर में 1400 से अधिक वितरित

शिलाई: प्रदेश में पंचायती राज चुनाव में कुछ महीनों का समय बाकी है. चुनाव को लेकर सरकार की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन सिरमौर जिला के उपमंडल शिलाई की 29 पंचायतों में से कई पंचायतों में भावी उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी दावेदारी प्रधान पद के लिये जता दी है.

विकास खंड की 15 ऐसी पंचायतें हैं, जिनमें प्रधान पद के उम्मीदवार पंचायत के लोगों को लाखों का भोज खिलाकर लोगों से संपर्क बनाकर अपने पक्ष में कर रहे हैं. वहीं, झकंडों पंचायत में कुछ युवाओं ने इस प्रथा को खत्म करने की मुहिम छेड़ रखी है. घर-घर जाकर लोगों को इस बारे में अवगत करवाया जा रहा है. लोगों को बताया जा रहा है कि इस बार पंचायत चुनाव में शराब वितरित नहीं की जाएगी और ना ही किसी तरह का लोटा लूण किया जाएगा.

वीडियो.

उल्लेखनीय है कि क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में पंचायती राज चुनाव जीतने के लिये साम, दाम, दंड, भेद सहित लोटा लूण का इस्तेमाल किया जाता है. बुद्धिजीवी बतातें है कि क्षेत्र मे धीरे धीरे कुरीति पांव पसार रही है. पिछ्ले इलेक्शन मे द्राबिल, मिल्ला, बाली कोटी, लोजा -मानल, रास्त व अन्य ऐसी पंचायते रहीं, जिनमें चुनाव के खर्चे 25 लाख से लेकर 1 करोड़ तक आए हैं.

पिछले चुनाव में एक उम्मीदवार ने एक वोटर को वोट के बदले पुश्तैनी भूमि की रजिस्ट्री दे डाली. इनकी तर्ज पर अब बाकी पंचायतों मे भी इलेक्शन में दावते व पैसा बांटने की होड़ लगी रहती है. चुनाव जीतने के बाद प्रधान इलेक्शन में खर्च हुए पैसों को एकत्रित करने के लिए मनरेगा व अन्य मदों के मस्ट्रोल के अंदर फंसे रहते हैं. विकास योजनाओं के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग होता है. क्षेत्र की वर्तमान हालात को देखते हुए कुछ परिवारों द्वारा इलेक्शन को महंगा बनाया जा रहा है, जिससे आम आदमी अपनी दावेदारी न रख सकें.

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