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HIMACHAL: बेटे के जन्मदिन पर पिता का तोहफा: नेत्रदान की कागजी खानापूर्ति पूरी कर दिया संदेश - NAHAN NEWS HINDI

सिरमौर जिले की टिंबी पंचायत के प्रधान अनिल कुमार ने अपनी आंखें दान करने की कागजी खानापूर्ति 5 वर्षीय बेटे हार्दिक के जन्मदिन पर पिछले कल यानी 28 नवंबर को कर दी.उनके मुताबिक मन में विचार आया कि क्यों न बेटे को एक नई सोच के साथ नेक कार्य का उपहार दिया जाए. (Anil Kumar will donate eyes)

Anil Kumar will donate eyes
Anil Kumar will donate eyes
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Published : Nov 29, 2022, 10:17 AM IST

Updated : Nov 29, 2022, 11:43 AM IST

नाहन: व्यक्ति के जीवन में दृष्टि का अपना स्थान एवं महत्व है. आंखें न सिर्फ हमें रोशनी देती हैं, बल्कि हमारे मरने के बाद भी वह किसी नेत्रहीन व्यक्ति की जिंदगी में रोशनी ला सकती हैं. ऐसा ही एक नेक कार्य हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई उपमंडल के तहत टिंबी गांव के निवासी 31 वर्षीय अनिल कुमार पुत्र स्व. रघुवीर सिंह ने अपने छोटे बेटे हार्दिक चौहान के 5वें जन्मदिन पर किया है. (Anil Kumar will donate eyes)

प्रधान अनिल कुमार की सराहना: वर्तमान में टिंबी पंचायत के प्रधान अनिल कुमार ने अपनी आंखें दान करने की कागजी खानापूर्ति पूरी कर दी.अब अनिल कुमार के बाद भी उनकी आंखें दुनिया देख सकेंगी. साथ ही अन्य किसी जरूरतमंद व्यक्ति की आंखों में रोशनी लाने का काम करेंगी. दरअसल अनिल कुमार के 5 वर्षीय बेटे हार्दिक का 28 नवंबर को जन्मदिन था. वह कई दिनों से सोच रहे थे कि बेटे को 5वें जन्मदिवस पर क्या खास तोहफा दें. इसी बीच मन में विचार आया कि क्यों न बेटे को एक नई सोच के साथ नेक कार्य का उपहार दें.

पत्नी ने फैसले का स्वागत किया: उन्होंने नेत्रदान करने का मन बनाया, ताकि बेटे को भी प्रेरणा मिल सके. अनिल ने बताया कि बेटे को एक नई सोच व अलग उपहार देने के मकसद से वह आईजीएमसी शिमला से नेत्रदान करने के लिए फार्म लेकर आएं. बेटे के जन्मदिन पर इसकी सारी औपचारिकताएं पूरी करके फार्म को स्पीड पोस्ट के माध्यम से आईजीएमसी शिमला के आई बैंक के नाम भेज दिया. अनिल की धर्मपत्नी अनुराधा ने भी अपने पति के इस फैसले का स्वागत किया.

नेत्रदान को बताया सबसे बड़ा दान: इस नेक कार्य में बतौर निकटतम संबंधी के तौर पर उनकी पत्नी अनुराधा व एक अन्य गवाह किरण बाला ने भी नेत्रदान संबंधी फार्म पर हस्ताक्षर किए हैं. अनिल कहते हैं कि बहुत सारे लोग बिना आंखों के भी जिंदगी जी रहे हैं. ऐसे में मेरे जाने के बाद भी उनकी आंखें किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आएं, तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है. वैसे भी नेत्रदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है. इसी के चलते बेटे के जन्मदिन पर एक सोच व उपहार के तौर पर उन्होंने यह काम किया. (Anil Kumar will donate eyes)

क्या होता है नेत्रदान?: नेत्रदान का मतलब है मृत्यु के (what is eye donation) बाद किसी को आंखों की रोशनी देना. यह एक तरह से आंखों का दान होता है, जिससे मृत्यु के बाद किसी दूसरे नेत्रहीन व्यक्ति को देखने में मदद मिलती है. लोगों के बीच धारणा रहती है कि यह आंखों का ट्रांसप्लांट होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. यह एक कोर्निया का दान होता है. इसमें पूरी आंख को नहीं निकाला जाता है यानी आंख की बॉल को नहीं निकाला जाता है. इसमें सिर्फ ट्रांसप्लांट टीश्यू ही लिए जाते हैं. यह किसी भी डोनर की मृत्यु के बाद ही होता है.

ये भी पढ़ें: पांवटा साहिब में शिक्षक ने छात्र को मारा थप्पड़, पुलिस ने किया मामला दर्ज

नाहन: व्यक्ति के जीवन में दृष्टि का अपना स्थान एवं महत्व है. आंखें न सिर्फ हमें रोशनी देती हैं, बल्कि हमारे मरने के बाद भी वह किसी नेत्रहीन व्यक्ति की जिंदगी में रोशनी ला सकती हैं. ऐसा ही एक नेक कार्य हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई उपमंडल के तहत टिंबी गांव के निवासी 31 वर्षीय अनिल कुमार पुत्र स्व. रघुवीर सिंह ने अपने छोटे बेटे हार्दिक चौहान के 5वें जन्मदिन पर किया है. (Anil Kumar will donate eyes)

प्रधान अनिल कुमार की सराहना: वर्तमान में टिंबी पंचायत के प्रधान अनिल कुमार ने अपनी आंखें दान करने की कागजी खानापूर्ति पूरी कर दी.अब अनिल कुमार के बाद भी उनकी आंखें दुनिया देख सकेंगी. साथ ही अन्य किसी जरूरतमंद व्यक्ति की आंखों में रोशनी लाने का काम करेंगी. दरअसल अनिल कुमार के 5 वर्षीय बेटे हार्दिक का 28 नवंबर को जन्मदिन था. वह कई दिनों से सोच रहे थे कि बेटे को 5वें जन्मदिवस पर क्या खास तोहफा दें. इसी बीच मन में विचार आया कि क्यों न बेटे को एक नई सोच के साथ नेक कार्य का उपहार दें.

पत्नी ने फैसले का स्वागत किया: उन्होंने नेत्रदान करने का मन बनाया, ताकि बेटे को भी प्रेरणा मिल सके. अनिल ने बताया कि बेटे को एक नई सोच व अलग उपहार देने के मकसद से वह आईजीएमसी शिमला से नेत्रदान करने के लिए फार्म लेकर आएं. बेटे के जन्मदिन पर इसकी सारी औपचारिकताएं पूरी करके फार्म को स्पीड पोस्ट के माध्यम से आईजीएमसी शिमला के आई बैंक के नाम भेज दिया. अनिल की धर्मपत्नी अनुराधा ने भी अपने पति के इस फैसले का स्वागत किया.

नेत्रदान को बताया सबसे बड़ा दान: इस नेक कार्य में बतौर निकटतम संबंधी के तौर पर उनकी पत्नी अनुराधा व एक अन्य गवाह किरण बाला ने भी नेत्रदान संबंधी फार्म पर हस्ताक्षर किए हैं. अनिल कहते हैं कि बहुत सारे लोग बिना आंखों के भी जिंदगी जी रहे हैं. ऐसे में मेरे जाने के बाद भी उनकी आंखें किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आएं, तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है. वैसे भी नेत्रदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है. इसी के चलते बेटे के जन्मदिन पर एक सोच व उपहार के तौर पर उन्होंने यह काम किया. (Anil Kumar will donate eyes)

क्या होता है नेत्रदान?: नेत्रदान का मतलब है मृत्यु के (what is eye donation) बाद किसी को आंखों की रोशनी देना. यह एक तरह से आंखों का दान होता है, जिससे मृत्यु के बाद किसी दूसरे नेत्रहीन व्यक्ति को देखने में मदद मिलती है. लोगों के बीच धारणा रहती है कि यह आंखों का ट्रांसप्लांट होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. यह एक कोर्निया का दान होता है. इसमें पूरी आंख को नहीं निकाला जाता है यानी आंख की बॉल को नहीं निकाला जाता है. इसमें सिर्फ ट्रांसप्लांट टीश्यू ही लिए जाते हैं. यह किसी भी डोनर की मृत्यु के बाद ही होता है.

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Last Updated : Nov 29, 2022, 11:43 AM IST
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