पांवटा साहिब: देश भर में जहां महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है, वहीं उत्तर भारत का इकलौता गांधी मंदिर सिस्टम के अनदेखी की मार झेल रहा है. प्रशासन की तरफ से आज तक इस मंदिर में कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा है, लेकिन स्थानीय पंचायत व स्कूली बच्चों ने राष्ट्रपिता को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की
अमबोया में 50 के दशक में बने इस मंदिर पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. स्थानीय लोगों की माने तो आज तक कोई भी अधिकारी या नेता इस मंदिर में माथा टेकने तक नहीं आए. जानकारी के अनुसार अमबोया का गांधी मंदिर उत्तरी भारत का एकमात्र गांधी मंदिर है. इतिहास के प्रवक्ता प्रकाश शर्मा ने 3 वर्ष के शौध के भीतर यह पाया है, कि अमबोया का गांधी मंदिर 50 के दशक में बना देश का दूसरा गांधी मंदिर है.
बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद देशभर में उनके मंदिर बनाने की मुहिम भी चली थी. उस मुहिम के दौरान देशभर में सैकड़ों मंदिर बनाए गए थे, लेकिन कुछ सालों बाद देशभर में महात्मा गांधी के गिने-चुने मंदिर ही शेष रह गए. जिनमें से बचे हुए तीन मंदिरों में से एक मंदिर पौंटा साहिब विकासखंड के अमबोया गांव में स्थित है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह मंदिर आकार में भले ही छोटा है, लेकिन मंदिर निर्माण का उद्देश्य समाज को नेकी की राह दिखाना है. यह अनूठा मंदिर लगातार सरकारी उपेक्षाओं का शिकार हो रहा है. राष्ट्रपिता के बलिदान और उनकी शिक्षाओं के स्मारक पर उनके जन्मदिन या बलिदान दिवस पर भी कोई नेता या अधिकारी पुष्प तक चढ़ाने यहां नहीं आता हालांकि गांधी जयंती के अवसर पर स्थानीय पंचायत व स्कूली बच्चों ने राष्ट्रपिता को जरूर याद किया.