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स्पेशल स्टोरी: कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल, आज हुआ खंडहर में तब्दील - पच्छाद

हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती. सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है.

कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल
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Published : Aug 4, 2019, 12:04 AM IST

नाहन: समय के इस दौर में हिमाचल प्रदेश प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है, लेकिन जिस शख्स ने हिमाचल को गति व प्रगति का सपना देखने के लायक बनाया, उन्हीं के घर में वक्त की रफ्तार थमी हुई है. जी हां डॉ. वाईएस परमार के घर में प्रवेश करें तो उदासी घेर लेती है. जिस घर में हर घड़ी हिमाचल निर्माता का दिल धड़कता रहा, उस घर में घड़ी की सुइयां अरसे से ठहरी हुई हैं.

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कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती. सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है.

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कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी
बता दें कि हिमाचल निर्माता डॉ. परमार चनालग के ही रहने वाले थे. उनका पैतृक आवास, जहां वह प्रदेश के लिए योजनाएं बनाते थे, आज भी मौजूद है. हालांकि आवास की हालत काफी दयनीय है, लेकिन अभी भी वहां पर अनेक ऐसी वस्तुएं हैं, जोकि ऐतिहासिक महत्व रखती हैं. कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी. 4 अगस्त को डॉ. परमार का यहीं जन्म हुआ था और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो यहां अक्सर समय बिताते थे. लोगों की मानें तो हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है.

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इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत
बागथन निवासी रवि ठाकुर का कहना है कि हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है और यहां पर सरकार को कोई संग्रहालय या समारक बनाना चाहिए, ताकि डॉ. परमार की यादें सुरक्षित रह सकें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बात से रूबरू हो सके कि हिमाचल निर्माता कैसे रहते थे. हिमाचल की राजनीति कभी यहीं से शुरू हुई थी, लेकिन आज कोई भी इस स्थान की सुध नहीं ले रहा है. पच्छाद निवासी राजन पुंडीर का भी कहना है कि सिरमौर के इस सपूत के आवास को संग्रहलय या फिर यहां पर समारक बनाना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके. आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए है.

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उल्लेखनीय है कि डॉ. परमार का घर आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए हैं. सरकार को इसे विकसित करना की आवश्यता है, ताकि पर्यटकों के साथ-साथ भावी पीढ़ी के भी उनके बारे में जानने का अवसर मिल सके.

कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

ये भी पढ़ें- बिजली को लेकर इन दो राज्यों में रार, हो सकती है बत्ती गुल

नाहन: समय के इस दौर में हिमाचल प्रदेश प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है, लेकिन जिस शख्स ने हिमाचल को गति व प्रगति का सपना देखने के लायक बनाया, उन्हीं के घर में वक्त की रफ्तार थमी हुई है. जी हां डॉ. वाईएस परमार के घर में प्रवेश करें तो उदासी घेर लेती है. जिस घर में हर घड़ी हिमाचल निर्माता का दिल धड़कता रहा, उस घर में घड़ी की सुइयां अरसे से ठहरी हुई हैं.

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कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती. सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है.

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कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी
बता दें कि हिमाचल निर्माता डॉ. परमार चनालग के ही रहने वाले थे. उनका पैतृक आवास, जहां वह प्रदेश के लिए योजनाएं बनाते थे, आज भी मौजूद है. हालांकि आवास की हालत काफी दयनीय है, लेकिन अभी भी वहां पर अनेक ऐसी वस्तुएं हैं, जोकि ऐतिहासिक महत्व रखती हैं. कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी. 4 अगस्त को डॉ. परमार का यहीं जन्म हुआ था और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो यहां अक्सर समय बिताते थे. लोगों की मानें तो हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है.

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कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत
बागथन निवासी रवि ठाकुर का कहना है कि हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है और यहां पर सरकार को कोई संग्रहालय या समारक बनाना चाहिए, ताकि डॉ. परमार की यादें सुरक्षित रह सकें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बात से रूबरू हो सके कि हिमाचल निर्माता कैसे रहते थे. हिमाचल की राजनीति कभी यहीं से शुरू हुई थी, लेकिन आज कोई भी इस स्थान की सुध नहीं ले रहा है. पच्छाद निवासी राजन पुंडीर का भी कहना है कि सिरमौर के इस सपूत के आवास को संग्रहलय या फिर यहां पर समारक बनाना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके. आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए है.

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कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

उल्लेखनीय है कि डॉ. परमार का घर आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए हैं. सरकार को इसे विकसित करना की आवश्यता है, ताकि पर्यटकों के साथ-साथ भावी पीढ़ी के भी उनके बारे में जानने का अवसर मिल सके.

कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

ये भी पढ़ें- बिजली को लेकर इन दो राज्यों में रार, हो सकती है बत्ती गुल

Intro:नोट : कृपया ये स्पेशल स्टोरी है, लिहाजा इसका पैकेज डेस्क पर ही तैयार करें, इसको लेकर बिनीत सर से बात हुई थी जी।


-हिमाचल निर्माता डा. वाई एस परमार की जयंती पर स्पेशल स्टोरी 
-यही से कभी शुरू हुई थी हिमाचल की राजनीति, अब भी कई ऐतिहासिक चीजें मौजूद 
नाहन। डॉ. यशवंत सिंह परमार....। देवभूमि हिमाचल और इनका नाम एक-दूसरे के पर्याय हैं। समय के इस दौर में हिमाचल प्रदेश प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है, लेकिन जिस शख्स ने हिमाचल को गति व प्रगति का सपना देखने के लायक बनाया, उन्हीं के घर में वक्त की रफ्तार थमी हुई है। 


Body:दरअसल डॉ. वाईएस परमार के घर में प्रवेश करें तो उदासी घेर लेती है। जिस घर में हर घड़ी हिमाचल निर्माता का दिल धड़कता रहा, उस घर में घड़ी की सुइयां अरसे से ठहरी हुई हैं। हिमाचल प्रदेश की गति-प्रगति को संभव बनाने वाले हिमाचल निर्माता के घर व गांव को चढ़ते सूरज की तरह सलाम करने वाला कोई नहीं है। हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते है, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती। सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है। 
बता दें कि हिमाचल निर्माता डा. चनालग के ही रहने वाले थे। उनका पैतृक आवास, जहां वह प्रदेश के लिए योजनाएं बनाते थे, आज भी मौजूद है। हालांकि आवास की हालत काफी दयनीय ह,ै लेकिन अभी भी वहां पर अनेक ऐसी वस्तुएं हैं, जोकि ऐतिहासिक महत्व रखती हैं। कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी। 4 अगस्त को डा. परमार की यही जन्म हुआ था और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो यहां अक्सर समय बिताते थे। लोगों की मानें तो हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है। 
बागथन निवासी रवि ठाकुर का कहना है कि हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है और यहां पर सरकार को कोई संग्रहालय या समारक बनाना चाहिए, ताकि डा. परमार की यादें सुरक्षित रह सकें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बात से रूबरू हो सके कि हिमाचल निर्माता कैसे रहते थे। हिमाचल की राजनीति कभी यही से शुरू हुई थी, लेकिन आज कोई भी इस स्थान की सुध नहीं ले रहा है। 
बाइट 1: रवि ठाकुर, बागथन निवासी 

वहीं पच्छाद निवासी राजन पुंडीर का भी कहना है कि सिरमौर के इस सपूत के आवास को संग्रहलय या फिर यहां पर समारक बनाना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके।
बाइट 2: राजन पुंडीर, पच्छाद निवासी 


Conclusion:उल्लेखनीय है कि डॉ. परमार का घर आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए है। सरकार को इसे विकसित करना की आवश्यता है, ताकि पर्यटकों  के साथ-साथ भावी पीढ़ी के भी उनके बारे में जानने का अवसर मिल सके।
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