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SPECIAL: वर्दी और फर्ज को न लगे दाग, बीमार परिवार को छोड़कर ड्यूटी पर तैनात ASI रामलाल

कोरोना वॉरियर्स में एक हैं हिमाचल पुलिस के एएसआई रामलाल, जो अपनी ड्यूटी के प्रति कर्तव्य निष्ठा का पालन करते हुए पिछले करीब 4 महीने से अपने परिवार से नहीं मिले हैं. एसआई रामलाल वर्तमान में नाहन में यातायात प्रभारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. रामलाल शिमला जिला के चौपाल के रहने वाले हैं.

special story on  ASI Ramlal himachal police
स्पेशल: वर्दी और फर्ज को न लगे दाग
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Published : Apr 21, 2020, 1:09 PM IST

नाहन: कोरोना की वजह से चल रहे लॉकडाउन में पुलिस जवान दिन रात सड़कों पर उतरकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. बेशक पुलिस जवानों के परिवार में कोई भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न हो, लेकिन वर्दी और फर्ज पर कोई दाग न लगे, इसलिए यह कोरोना योद्धा अपने परिवारों की चिंता न कर सब की सुरक्षा के लिए अपना फर्ज निभा रहे हैं. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में भी यह कोरोना योद्धा अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं.

इन्हीं कोरोना वॉरियर्स में एक हैं हिमाचल पुलिस के एएसआई रामलाल, जो अपनी ड्यूटी के प्रति कर्तव्य निष्ठा का पालन करते हुए पिछले करीब 4 महीने से अपने परिवार से नहीं मिले हैं. एसआई रामलाल वर्तमान में नाहन में यातायात प्रभारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. रामलाल शिमला जिला के चौपाल के रहने वाले हैं.

बता दें कि रामलाल के बेटे की मार्च महीने में टांग फ्रैक्चर हो गई. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग में तैनात उनकी पत्नी भी चोटिल हो गई, लेकिन रामलाल अपने कर्तव्य से बंधे रहे और लगातार ड्यूटी निभा रहे हैं. फोन पर ही वह परिवार का कुशलक्षेम पूछ लेते हैं. खुद परिवार बेशक मुश्किल में हो, लेकिन रामलाल का मानना है कि नौकरी में आते वक्त खाई सौगंध उनके कदमों को ड्यूटी पर वापस ले आती है.

वीडियो रिपोर्ट

ईटीवी भारत को जब एसआई रामलाल के इस जज्बे का पता चला तो मीडिया की सुर्खियों से दूर रहकर हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करने वाले रामलाल ने चंद शब्दों में केवल इतना ही कहा कि परिवार से पहले मुश्किल की इस घड़ी में ड्यूटी उनकी प्राथमिकता है. जनता की सुरक्षा करना ही पुलिस का फर्ज है. परिवार से फोन पर ही बातचीत हो जाती है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना करें.

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले जिला मुख्यालय नाहन में ही एक पुलिस कांस्टेबल अर्जुन चौहान ने भी उस वक्त अपनी ड्यूटी के प्रति कर्तव्य निष्ठा का उदाहरण पेश किया था, जब वह अपने नवजात शिशु की मौत के बाद उसे मिट्टी डालकर वापस अपनी ड्यूटी पर लौट आए थे. यहां तक कि वह अपनी पत्नी से भी दूर से ही मिले थे, क्योंकि अर्जुन सिरमौर जिला में मिले पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज को छोड़ने के लिए बद्दी गए थे.

ये भी पढ़ें: सिरमौर प्रशासन ने दी बड़ी राहत, काम पर लौटेंगे 5000 कामगार, 200 उद्योगों को परमिशन

नाहन: कोरोना की वजह से चल रहे लॉकडाउन में पुलिस जवान दिन रात सड़कों पर उतरकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. बेशक पुलिस जवानों के परिवार में कोई भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न हो, लेकिन वर्दी और फर्ज पर कोई दाग न लगे, इसलिए यह कोरोना योद्धा अपने परिवारों की चिंता न कर सब की सुरक्षा के लिए अपना फर्ज निभा रहे हैं. देवभूमि हिमाचल प्रदेश में भी यह कोरोना योद्धा अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं.

इन्हीं कोरोना वॉरियर्स में एक हैं हिमाचल पुलिस के एएसआई रामलाल, जो अपनी ड्यूटी के प्रति कर्तव्य निष्ठा का पालन करते हुए पिछले करीब 4 महीने से अपने परिवार से नहीं मिले हैं. एसआई रामलाल वर्तमान में नाहन में यातायात प्रभारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. रामलाल शिमला जिला के चौपाल के रहने वाले हैं.

बता दें कि रामलाल के बेटे की मार्च महीने में टांग फ्रैक्चर हो गई. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग में तैनात उनकी पत्नी भी चोटिल हो गई, लेकिन रामलाल अपने कर्तव्य से बंधे रहे और लगातार ड्यूटी निभा रहे हैं. फोन पर ही वह परिवार का कुशलक्षेम पूछ लेते हैं. खुद परिवार बेशक मुश्किल में हो, लेकिन रामलाल का मानना है कि नौकरी में आते वक्त खाई सौगंध उनके कदमों को ड्यूटी पर वापस ले आती है.

वीडियो रिपोर्ट

ईटीवी भारत को जब एसआई रामलाल के इस जज्बे का पता चला तो मीडिया की सुर्खियों से दूर रहकर हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करने वाले रामलाल ने चंद शब्दों में केवल इतना ही कहा कि परिवार से पहले मुश्किल की इस घड़ी में ड्यूटी उनकी प्राथमिकता है. जनता की सुरक्षा करना ही पुलिस का फर्ज है. परिवार से फोन पर ही बातचीत हो जाती है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना करें.

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले जिला मुख्यालय नाहन में ही एक पुलिस कांस्टेबल अर्जुन चौहान ने भी उस वक्त अपनी ड्यूटी के प्रति कर्तव्य निष्ठा का उदाहरण पेश किया था, जब वह अपने नवजात शिशु की मौत के बाद उसे मिट्टी डालकर वापस अपनी ड्यूटी पर लौट आए थे. यहां तक कि वह अपनी पत्नी से भी दूर से ही मिले थे, क्योंकि अर्जुन सिरमौर जिला में मिले पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज को छोड़ने के लिए बद्दी गए थे.

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