पांवटा साहिब : भारत को आजाद हुए 70 साल हो चुके हैं. साल दर साल हम इस बात का जश्न भी मनाते चले आते हैं. इतना ही नहीं, हिमाचल सरकार ने दो साल का जश्न भी भव्य तरीके से मनाया था.
गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम जयराम ठाकुर की जमकर पीठ-थपथपाई. हर नेता हिमाचल के विकास की गाथा सुना रहा था. लेकिन उपमंडल पांवटा साहिब से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिससे सरकार के दावों पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.
पांवटा साहिब के मानल गांव में एक विधवा महिला आज भी सरकारी सुविधा से वंचित है. मौजूदा समय में इस परिवार के पास घर के नाम एक टूटी हुई छत के सहारे वाला मिट्टी का घर है. जिसकी छत तूफान चलते ही उड़ जाती है. पानी लाने के लिए घर से 2 किलो मीटर दूर जाना पड़ता है.
साथ ही इलाके में बिजली के खंबे तो नजर आते हैं, लेकिन इस परिवार के पास बिजली सेवा नहीं पहुंची है. शाम ढलते ही पूरा परिवार अंधेरे के आगोश में डूब जाता है. इस पर परिवार की तीन बेटियां और एक बेटा घर में बिजली न होने के कारण डिब्बी जलाकर पढ़ने को मजबूर हैं. तीन बेटियों वाले इस परिवार के पास शौचालय तक नहीं है.
पीड़ित महिला दुर्गा देवी ने बताया कि 24/07/2016 को उनके परिवार का नाम बीपीएल की सूची में दर्ज किया गया था. इसके बावजूद भी आज दिन तक उन्हें सरकार या प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार का सहायता नहीं मिल पाई है. परिवार की सबसे बड़ी बेटी तारा देवी बारहवीं, रवीना दसवीं, पूजा देवी नवमी में और पुत्र मनोज दसवीं में पढ़ता है.
मानल गांव के निवासी और प्रदेश के एंटी करप्शन क्राइम कंट्रोल फोर्स के चीफ नाथूराम चौहान ने सरकार और प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नेताओं की लापरवाही की वजह से आज कई परिवार आदिमानव की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं. स्थानीय नेता और प्रशासन की लापरवाही की वजह से आज भी लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
नाथूराम ने बताया कि वह खुद महिला के सहायता करने के लिए आगे आएंगे. साथ ही जब तक इस परिवार को बिजली पानी, घर और शौचालय नहीं मिल जाता तब तक वह उनके लिए इन सब चीजों का अस्थाई तौप प्रबंध करेंगे.