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नेत्रहीन सपना ने बांसुरी के सुरों से भरा जीवन में रंग, प्रदेश भर में हासिल किया तीसरा स्थान - ददाहू की रहने वाली सपना ने दिव्यांगता को बांसुरी वादन से दी मात

दिव्यांग बेटी की बांसुरी में अनेक उजले राग बसते हैं. सुरों की महफिल को यह बेटी रोशन कर देती है. नाहन में चल रहे राज्य स्तरीय युवा उत्सव के दौरान बांसुरी वादन में सिरमौर जिला के ददाहू की रहने वाली सपना ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया.

sapna achieved third place in flute playing, ददाहू की रहने वाली सपना ने दिव्यांगता को बांसुरी वादन से दी मात
सपना
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Published : Dec 28, 2019, 6:49 PM IST

नाहन: इस दिव्यांग बेटी की बांसुरी में अनेक उजले राग बसते हैं. सुरों की महफिल को यह बेटी रोशन कर देती है. नाहन में चल रहे राज्य स्तरीय युवा उत्सव के दौरान बांसुरी वादन में सिरमौर जिला के ददाहू की रहने वाली सपना ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया.

बता दें कि इस युवा उत्सव में 11 जिलों के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे थे और बहुत से कलाकारों को पछाड़ सपना ने यह स्थान हासिल किया. दादी के सामने पुरस्कार मिलने से इस बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. खास बात यह रही कि जब मंच से सपना का नाम पुकारा गया तो वह अपनी दादी व अपनीअध्यापिका के हाथ थामे मंच पर पहुंची और सभी ने खड़े होकर इस बेटी की हौसला अफजाई की.

sapna achieved third place in flute playing, ददाहू की रहने वाली सपना ने दिव्यांगता को बांसुरी वादन से दी मात
पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान सपना.

ईटीवी भारत ने भी इस बेटी के हुनर को अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए तुरंत संपर्क किया तो इसको लेकर सपना भी बेहद उत्साहित नजर आई. सपना ददाहू के एक छोटे से दुकानदार मुल्तान सिंह की बेटी है और उसे बचपन से ही दिखाई नहीं देता. उसने हिम्मत न हारते हुए जहां अपनी पढ़ाई जारी रखी, वहीं संगीत से भी जुड़े रही. ईटीवी के आग्रह पर सपना ने बांसुरी बजाते हुए अपनी कला का शानदार प्रदर्शन भी किया.

वीडियो.

बातचीत करते हुए सपना ने बताया कि बांसुरी उसका प्रिय वाद्य यंत्र है और युवा उत्सव में उसने इस स्पर्धा में तीसरा स्थान पाया है. वह बहुत खुश है, क्योंकि खासकर अपनी दादी के सामने पुरस्कार पाकर उसकी हिम्मत अब और बढ़ गई है. इसके अलावा सपना और साज भी बजा लेती है.

sapna achieved third place in flute playing, ददाहू की रहने वाली सपना ने दिव्यांगता को बांसुरी वादन से दी मात
सपना अपनी दादी और संगीत अध्यापिका के साथ.

वहीं, सपना की संगीत अध्यापक शबाना सैयद ने बताया कि सपना उनके पास 1 साल से बांसुरी सीख रही है और उसमें बहुत प्रतिभा है. वे चाहती हैं कि सपना इसी तरह भविष्य में भी आगे बढ़ते हुए सफलता हासिल करें. उल्लेखनीय है कि सपना ने आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद भी मेहनत को जारी रखा और अपने परिश्रम के दम पर आज उसने एक मुकाम हासिल किया है, जोकि अन्य के लिए भी प्रेरणा है.

ये भी पढ़ें- हमीरपुर के विपिन डोगरा ने प्राइवेट नौकरी छोड़ शुरू किया खरगोश पालन, कमा रहे लाखों

नाहन: इस दिव्यांग बेटी की बांसुरी में अनेक उजले राग बसते हैं. सुरों की महफिल को यह बेटी रोशन कर देती है. नाहन में चल रहे राज्य स्तरीय युवा उत्सव के दौरान बांसुरी वादन में सिरमौर जिला के ददाहू की रहने वाली सपना ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया.

बता दें कि इस युवा उत्सव में 11 जिलों के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे थे और बहुत से कलाकारों को पछाड़ सपना ने यह स्थान हासिल किया. दादी के सामने पुरस्कार मिलने से इस बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. खास बात यह रही कि जब मंच से सपना का नाम पुकारा गया तो वह अपनी दादी व अपनीअध्यापिका के हाथ थामे मंच पर पहुंची और सभी ने खड़े होकर इस बेटी की हौसला अफजाई की.

sapna achieved third place in flute playing, ददाहू की रहने वाली सपना ने दिव्यांगता को बांसुरी वादन से दी मात
पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान सपना.

ईटीवी भारत ने भी इस बेटी के हुनर को अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए तुरंत संपर्क किया तो इसको लेकर सपना भी बेहद उत्साहित नजर आई. सपना ददाहू के एक छोटे से दुकानदार मुल्तान सिंह की बेटी है और उसे बचपन से ही दिखाई नहीं देता. उसने हिम्मत न हारते हुए जहां अपनी पढ़ाई जारी रखी, वहीं संगीत से भी जुड़े रही. ईटीवी के आग्रह पर सपना ने बांसुरी बजाते हुए अपनी कला का शानदार प्रदर्शन भी किया.

वीडियो.

बातचीत करते हुए सपना ने बताया कि बांसुरी उसका प्रिय वाद्य यंत्र है और युवा उत्सव में उसने इस स्पर्धा में तीसरा स्थान पाया है. वह बहुत खुश है, क्योंकि खासकर अपनी दादी के सामने पुरस्कार पाकर उसकी हिम्मत अब और बढ़ गई है. इसके अलावा सपना और साज भी बजा लेती है.

sapna achieved third place in flute playing, ददाहू की रहने वाली सपना ने दिव्यांगता को बांसुरी वादन से दी मात
सपना अपनी दादी और संगीत अध्यापिका के साथ.

वहीं, सपना की संगीत अध्यापक शबाना सैयद ने बताया कि सपना उनके पास 1 साल से बांसुरी सीख रही है और उसमें बहुत प्रतिभा है. वे चाहती हैं कि सपना इसी तरह भविष्य में भी आगे बढ़ते हुए सफलता हासिल करें. उल्लेखनीय है कि सपना ने आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद भी मेहनत को जारी रखा और अपने परिश्रम के दम पर आज उसने एक मुकाम हासिल किया है, जोकि अन्य के लिए भी प्रेरणा है.

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Intro:- सुरों की महफिल को रोशन कर देती है ददाहू की बेटी सपना
- दादी के सामने राज्य स्तरीय युवा उत्सव में प्रदेश भर में तीसरा स्थान पाने से फूले नहीं समाए पोती
- ईटीवी भारत से खास बातचीत में सपना ने की अपनी खुशी जाहिर
नाहन। इस दृष्टिबाधित बेटी की बांसुरी में अनेक उजले राग बसते हैं। सुरों की महफिल को यह बेटी रोशन कर देती है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब नाहन में राज्य स्तरीय युवा उत्सव के दौरान बांसुरी वादन में सिरमौर जिला के ददाहू की रहने वाली सपना ने प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल किया। बता दें कि इस युवा उत्सव में 11 जिलों के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे थे और बहुत से कलाकारों को पछाड़ सपना नहीं यह स्थान हासिल किया।


Body:दादी के सामने पुरस्कार मिलने से इस बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खास बात यह रही कि जब मंच से सपना का नाम पुकारा गया तो वह अपनी दादी व प्रशिक्षु अध्यापक के हाथ थामे मंच पर पहुंची और सभी ने खड़े होकर इस बेटी की हौसला अफजाई की। ईटीवी भारत ने भी इस बेटी के हुनर को अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए तुरंत संपर्क किया तो इसको लेकर सपना भी बेहद उत्साहित नजर आई।
सपना ददाहू के एक छोटे से दुकानदार मुल्तान सिंह की बेटी है और उसे बचपन से ही दिखाई नहीं देता। उसने हिम्मत न हारते हुए जहां अपनी पढ़ाई जारी रखी, वहीं संगीत से भी जुड़े रही। ईटीवी के आग्रह पर सपना ने बांसुरी बजाते हुए अपनी कला का शानदार प्रदर्शन भी किया।
विशेष बातचीत करते हुए सपना ने बताया कि बांसुरी उसका पिए संगीत है और युवा उत्सव में उसने इस स्पर्धा में तीसरा स्थान पाया है। वह बहुत खुश है, क्योंकि खासकर अपनी दादी के सामने पुरस्कार पाकर उसकी हिम्मत अब और पड़ गई है। इसके अलावा भी सपना और साज बजा लेती है।
बाइट 1 : सपना देवी, दृष्टिबाधित बांसुरी कलाकार
वही सपना की संगीत अध्यापक शबाना सैयद ने बताया कि सपना उनके पास 1 साल से बांसुरी सीख रही है और उसमें बहुत प्रतिभा है। वे चाहती हैं कि सपना इसी तरह भविष्य में भी आगे बढ़ते हुए सफलता हासिल करें।
बाइट 2 : शबाना सैयद, सपना की संगीत अध्यापक


Conclusion:उल्लेखनीय है कि सपना ने आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद भी मेहनत को जारी रखा और अपने परिश्रम के दम पर आज उसने एक मुकाम हासिल किया है, जोकि अन्य के लिए भी प्रेरणा का स्तोत्र है।
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