नाहन: हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी पवित्र एवं प्राकृतिक झील रेणुका जी की सुंदरता को बरकरार रखने और इसके संरक्षण को लेकर सिरमौर जिला प्रशासन वन्य प्राणी विभाग के साथ मिलकर एक रिसर्च कर रहा है. इसके माध्यम से झील के एक बड़े हिस्से में फैली गाद से किस तरह से छुटकारा पाया जाए, इसको लेकर विस्तृत रूप से स्टडी की जा रही है. बता दें कि लगातार झील में आ रही गाद की वजह से इसका आकार भी हर वर्ष घटता जा रहा है, जो चिंता का बड़ा विषय बना हुआ है.
डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि वर्तमान में देखा जा रहा है कि रेणुका जी झील का काफी हिस्सा उत्तर पूर्वी की तरफ से गाद में समाता जा रहा है. हर साल बढ़ती गाद की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से किस तरह से परमानेंट समाधान किया जाए, इस बात पर विस्तृत रूप से चर्चा चल रही है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि गाद को निकालते समय झील को कोई नुक्सान न पहुंचे और न ही इसके पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं को कोई हानि हो, इन सभी बातों पर भी रिसर्च चल रही है.
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से रेणुका जी झील के संरक्षण को लेकर एक प्रोपर प्लान बनाकर वन्य प्राणी विभाग को भी भेजा जा चुका हैं. झील के संरक्षण के साथ-साथ इसमें नेचुरल हेबीटेशन हैं, उसके तहत यहां किस तरह सीवरेज सिस्टम को डेवलप किया जाए, ताकि किसी भी तरह का मल या गंदगी झील में न जा सके और इसे प्रोपरली ट्रीट करने के बाद इसका प्रोपर डिस्पोजल हो पाएं. इन सभी बातों को लेकर डिटेल में स्टडी की जा रही है. लिहाजा जैसे ही इसको लेकर कोई डिटेल प्रोजैक्ट रिपोर्ट बनकर प्रशासन के पास आती हैं, तो उसके मुताबिक ही झील के संरक्षण की दिशा में काम शुरू किया जाएगा.
बता दें कि अढ़ाई किलोमीटर एरिया में फैली हैं यह झील प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक श्री रेणुका जी झील करीब अढ़ाई किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है. यह झील अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से भी अपनी एक अलग पहचान रखती है. यह स्थल जिला मुख्यालय नाहन से करीब 37 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. यहीं पर नारी देह के आकार की यह प्राकृतिक झील, जिसे मां रेणुका जी की प्रतिछाया भी माना जाता है, स्थित है. इसी झील के किनारे मां श्री रेणुका जी व भगवान परशुराम जी के भव्य मंदिर भी स्थित हैं. हर वर्ष यहां भगवान परशुराम अपनी मां रेणुका जी से मिलने आते हैं, जिसके उपलक्ष में रेणुका जी तीर्थ स्थल में अंतरराष्ट्रीय मेला भी लगता है.
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