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SPECIAL: बाजारों में रमजान की रौनक गायब, घरों में इबादत कर रहे रोजेदार

लॉकडाउन में मुस्लिम समुदाय का रमजान का पाक महीना चल रहा है. आधात्यमिकता का विषय होने के साथ ये महीना कुछ लोगों के लिए आर्थिक गतिविधी के लिए भी महत्वपूर्ण है. मुस्लिम भाई रमजान के महीने में घर में ही नमाज पढ़ रहे हैं. वैश्विक कोरोना महामारी के चलते सारी मस्जिदें बंद हैं. समुदाय के लोग पाक महीने में दिन में दो बार सहरी और इफ्तारी के लिए किराने का सामान, सब्जी व फल की दुकानों के साथ-साथ अन्य सामान की खरीददारी करते हैं. इस बार लॉकडाउन के कारण लोग घरों में हैं.

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Published : May 10, 2020, 8:30 PM IST

नाहन: कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन में मुस्लिम समुदाय का रमजान का पाक महीना चल रहा है. आधात्यमिकता का विषय होने के साथ ये महीना कुछ लोगों के लिए आर्थिक गतिविधी के लिए भी महत्वपूर्ण है.

मुस्लिम भाई रमजान के महीने में घर में ही नमाज पढ़ रहे हैं. वैश्विक कोरोना महामारी के चलते सारी मस्जिदें बंद हैं. समुदाय के लोग पाक महीने में दिन में दो बार सहरी और इफ्तारी के लिए किराने का सामान, सब्जी व फल की दुकानों के साथ-साथ अन्य सामान की खरीददारी करते हैं.

इस बार लॉकडाउन के कारण लोग घरों में हैं. ऐसे में रमजान के महीने में खरीदारी करने के लिए बाजार में कम ही लोग निकल रहे हैं. जरूरत के सामान के अलावा लोग अन्य सामान की खरीदारी करने में गुरेज कर रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

फलों की दुकानों में रमजान के महीने में लोग खरीदारी करने आ रहे हैं. बाजारों में हर तरह के फल उपलब्ध हैं जो उचित दामों पर मिल रहे हैं. हर साल रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग दर्जी की दुकान पर कपड़े सिलवाने के लिए आते थे, लेकिन इस बार शहर के सभी दर्जियों का धंधा ठप पड़ा है.

वहीं, रेडिमेट कपड़ों की खरीदारी करने से भी लोग गुरेज कर रहे हैं. किराना की दुकानों में भी लॉकडाउन का खासा असर दिखा है. रमजान का महीना होने के बावजूद भी धंधा नहीं हो रहा. कारोबार 25 प्रतिशत तक सिमट गया है.

मीठाईयों की दुकानों पर भी लॉकडाउन का खासा असर है. दूध, दहीं के अलावा मार्केट में कुछ नहीं बिक रहा. सेल आम दिनों से घटकर 15 प्रतिशत रह गई है. कोरोना महमारी के चलते मुस्लिम समुदाय के लोग सरकार के लॉकडाउन का समर्थन कर रहे हैं. रमजान के महीने में मस्जिदें बंद होने से घर में ही नमाज पढ़कर सरकार के सभी निर्देशों का पालन कर रहे हैं.

वैश्विक कोरोना महामारी भारत में तीव्र गति से अपने पैर पसार रही है. देश में सभी तरह के सार्वजनिक समारोह, त्योहारों को मनाने पर रोक है. हर तरह के व्यवसाय पर इसका असर पड़ रहा है. आर्थिक मंदी के चलते लोगों के रोजगार के धंधे ठप पड़े हैं.

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां अलग-अलग जाति समुदाय के लोग मिलजुलकर त्योहार मनाते हैं. त्योहारों में लोग बाजारों में जमकर खरीदारी करते हैं, लेकिन इस बार सभी त्योहार वैश्विक कोरोना महामारी के चलते फीके हो गए हैं.

ये भी पढ़ेंः युवा डॉक्टर ने पेश की मिसाल: शादी स्थगित कर कोरोना मरीजों का कर रहे इलाज

नाहन: कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन में मुस्लिम समुदाय का रमजान का पाक महीना चल रहा है. आधात्यमिकता का विषय होने के साथ ये महीना कुछ लोगों के लिए आर्थिक गतिविधी के लिए भी महत्वपूर्ण है.

मुस्लिम भाई रमजान के महीने में घर में ही नमाज पढ़ रहे हैं. वैश्विक कोरोना महामारी के चलते सारी मस्जिदें बंद हैं. समुदाय के लोग पाक महीने में दिन में दो बार सहरी और इफ्तारी के लिए किराने का सामान, सब्जी व फल की दुकानों के साथ-साथ अन्य सामान की खरीददारी करते हैं.

इस बार लॉकडाउन के कारण लोग घरों में हैं. ऐसे में रमजान के महीने में खरीदारी करने के लिए बाजार में कम ही लोग निकल रहे हैं. जरूरत के सामान के अलावा लोग अन्य सामान की खरीदारी करने में गुरेज कर रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

फलों की दुकानों में रमजान के महीने में लोग खरीदारी करने आ रहे हैं. बाजारों में हर तरह के फल उपलब्ध हैं जो उचित दामों पर मिल रहे हैं. हर साल रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग दर्जी की दुकान पर कपड़े सिलवाने के लिए आते थे, लेकिन इस बार शहर के सभी दर्जियों का धंधा ठप पड़ा है.

वहीं, रेडिमेट कपड़ों की खरीदारी करने से भी लोग गुरेज कर रहे हैं. किराना की दुकानों में भी लॉकडाउन का खासा असर दिखा है. रमजान का महीना होने के बावजूद भी धंधा नहीं हो रहा. कारोबार 25 प्रतिशत तक सिमट गया है.

मीठाईयों की दुकानों पर भी लॉकडाउन का खासा असर है. दूध, दहीं के अलावा मार्केट में कुछ नहीं बिक रहा. सेल आम दिनों से घटकर 15 प्रतिशत रह गई है. कोरोना महमारी के चलते मुस्लिम समुदाय के लोग सरकार के लॉकडाउन का समर्थन कर रहे हैं. रमजान के महीने में मस्जिदें बंद होने से घर में ही नमाज पढ़कर सरकार के सभी निर्देशों का पालन कर रहे हैं.

वैश्विक कोरोना महामारी भारत में तीव्र गति से अपने पैर पसार रही है. देश में सभी तरह के सार्वजनिक समारोह, त्योहारों को मनाने पर रोक है. हर तरह के व्यवसाय पर इसका असर पड़ रहा है. आर्थिक मंदी के चलते लोगों के रोजगार के धंधे ठप पड़े हैं.

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां अलग-अलग जाति समुदाय के लोग मिलजुलकर त्योहार मनाते हैं. त्योहारों में लोग बाजारों में जमकर खरीदारी करते हैं, लेकिन इस बार सभी त्योहार वैश्विक कोरोना महामारी के चलते फीके हो गए हैं.

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