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हिमाचल के सपूत को मरणोपरांत शौर्य चक्र, 26 साल की उम्र में ही पाई थी शहादत, पढ़ें बहादुर बेटे की शौर्य गाथा - सिरमौर

हिमाचल के सपूत को मरणोपरांत शौर्य चक्र 26 साल की उम्र में ही पाई थी शहादत मंगलवार को शहीद की मां कमला देवी व पिता को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया सम्मान

शहीद अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य.
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Published : Mar 20, 2019, 6:03 PM IST

नाहन: हिमाचल के शहीद बेटे अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया है. मंगलवार को शहीद की मां कमला देवी व पिता को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र प्रदान किया गया. महज 26 साल की उम्र में ही सिरमौरी बेटे अजय कुमार ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे.

martyr Ajay Kumar
शहीद अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य.

शहीद अजय कुमार सिरमौर जिला के पच्छाद विकास खंड की कोटला पंजोला पंचायत से ताल्लुक रखते थे. जब शहीद अजय कुमार की बहादुरी की शौर्य गाथा राष्ट्रपति भवन में पढ़ी गई तो हर हिमाचली का सीना फख्र से चैड़ा हो गया. यही नहीं शहीद के माता-पिता राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के अलावा सेना प्रमुखों के साथ पहली पंक्ति में सामूहिक चित्र के लिए बैठे देखे गए.

बहादुर बेटेअजयकुमार की शौर्य गाथा
बता दें कि 24 अप्रैल 2018 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में अदम्य साहस का परिचय देते हुए सिरमौर जिला के कोटला पंजोला पंचायत के अजय कुमार शहीद हो गए थे. उस दौरान अजय कुमार ने पाकिस्तान के एक आतंकी को ढेर कर अपनी टुकड़ी को सुरक्षित कर दिया था. सुबह पौने 7 बजे घातक पलाटून ने आतंकियों के छिपने के संभावित ठिकानों पर दबिश दे दी थी.

martyr Ajay Kumar
शहीद अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य.

इसी बीच शहीद अजय कुमार व उनके साथियों पर आतंकियों ने गोलियां की बौछार कर दी. इस दौरान ग्रेनेड भी फैंका गया. शहीद अजय कुमार ने बहादुरी का परिचय देते हुए बिना कवर ही आतंकियों से मुकाबला शुरू कर दिया. मुठभेड़ में अजय कुमार को भी गोली लग गई. इसके बाद आर्मी अस्पताल में अजय कुमार ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.

माता-पिता के थे इकलौते बेटे
शहीद अजय माता-पिता सुरेश कुमार व कमला का इकलौते बेटे थे. शहीद अजय के भाई की पहले ही मौत हो चुकी थी। शहीद अजय अविवाहित ही थे. मातृभूमि की रक्षा में शहीद अजय का जन्म 25 जून 1992 को हुआ था. अजय कुमार 42 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. 21 सितंबर 2013 को भारतीय सेना में भर्ती हुए अजय कुमार में देशभक्ति का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ था. मगर 26 साल की उम्र ही में अदम्य साहस का परिचय देते हुए अजय कुमार ने छोटी सी उम्र में ही देश की रक्षा करते हुए शहादत का चोला ओढ़ लिया था.

नाहन: हिमाचल के शहीद बेटे अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया है. मंगलवार को शहीद की मां कमला देवी व पिता को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र प्रदान किया गया. महज 26 साल की उम्र में ही सिरमौरी बेटे अजय कुमार ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे.

martyr Ajay Kumar
शहीद अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य.

शहीद अजय कुमार सिरमौर जिला के पच्छाद विकास खंड की कोटला पंजोला पंचायत से ताल्लुक रखते थे. जब शहीद अजय कुमार की बहादुरी की शौर्य गाथा राष्ट्रपति भवन में पढ़ी गई तो हर हिमाचली का सीना फख्र से चैड़ा हो गया. यही नहीं शहीद के माता-पिता राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के अलावा सेना प्रमुखों के साथ पहली पंक्ति में सामूहिक चित्र के लिए बैठे देखे गए.

बहादुर बेटेअजयकुमार की शौर्य गाथा
बता दें कि 24 अप्रैल 2018 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में अदम्य साहस का परिचय देते हुए सिरमौर जिला के कोटला पंजोला पंचायत के अजय कुमार शहीद हो गए थे. उस दौरान अजय कुमार ने पाकिस्तान के एक आतंकी को ढेर कर अपनी टुकड़ी को सुरक्षित कर दिया था. सुबह पौने 7 बजे घातक पलाटून ने आतंकियों के छिपने के संभावित ठिकानों पर दबिश दे दी थी.

martyr Ajay Kumar
शहीद अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य.

इसी बीच शहीद अजय कुमार व उनके साथियों पर आतंकियों ने गोलियां की बौछार कर दी. इस दौरान ग्रेनेड भी फैंका गया. शहीद अजय कुमार ने बहादुरी का परिचय देते हुए बिना कवर ही आतंकियों से मुकाबला शुरू कर दिया. मुठभेड़ में अजय कुमार को भी गोली लग गई. इसके बाद आर्मी अस्पताल में अजय कुमार ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.

माता-पिता के थे इकलौते बेटे
शहीद अजय माता-पिता सुरेश कुमार व कमला का इकलौते बेटे थे. शहीद अजय के भाई की पहले ही मौत हो चुकी थी। शहीद अजय अविवाहित ही थे. मातृभूमि की रक्षा में शहीद अजय का जन्म 25 जून 1992 को हुआ था. अजय कुमार 42 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. 21 सितंबर 2013 को भारतीय सेना में भर्ती हुए अजय कुमार में देशभक्ति का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ था. मगर 26 साल की उम्र ही में अदम्य साहस का परिचय देते हुए अजय कुमार ने छोटी सी उम्र में ही देश की रक्षा करते हुए शहादत का चोला ओढ़ लिया था.

हिमाचल के सपूत अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य चक्र, 26 साल की उम्र में ही पाई थी शहादत 
-छोटी सी उम्र में ही पाई थी शहादत, पढ़े बहादुर बेटे की शौर्य गाथा 
नाहन। हिमाचल के शहीद अजय कुमार को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया है। शहीद की मां कमला देवी व पिता सुरेश कुमार को बेटे के मरणोपरांत मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र प्रदान किया गया है। महज 26 साल की उम्र में ही सिरमौरी बेटे अजय कुमार ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। शहीद अजय कुमार सिरमौर जिला के पच्छाद विकास खंड की कोटला पंजोला पंचायत से ताल्लुक रखते थे। शहीद अजय कुमार की बहादुरी की जब शौर्य गाथा राष्ट्रपति भवन में पढ़ी गई तो हरेक हिमाचली का सीना फख्र से चैड़ा हो गया। यही नहीं शहीद के माता-पिता राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के अलावा सेना प्रमुखों के साथ पहली पंक्ति में सामूहिक चित्र के लिए बैठे देखे गए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। 
पढ़े बहादुर बेटे अजय कुमार की शौर्य गाथा 
बता दें कि 24 अप्रैल 2018 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में अदम्य साहस का परिचय देते हुए सिरमौर जिला के कोटला पंजोला पंचायत के अजय कुमार शहीद हो गए थे। उस दौरान अजय कुमार ने पाकिस्तान के एक आतंकी को ढेर कर अपनी टुकड़ी को सुरक्षित कर दिया। सुबह पौने 7 बजे घातक पलाटून ने आतंकियों के छिपने के संभावित ठिकानों पर दबिश दे दी थी। इसी बीच शहीद अजय कुमार व उनके साथियों पर आतंकियों ने गोलियां की बौछार कर दी। इस दौरान ग्रेनेड भी फैंका गया। शहीद अजय कुमार ने बहादुरी का परिचय देते हुए बिना कवर ही आतंकियों से मुकाबला शुरू कर दिया। मुठभेड़ में अजय कुमार को भी गोली लग गई। इसके बाद आर्मी अस्पताल में अजय कुमार ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। 
माता-पिता के थे इकलौते बेटे 
शहीद अजय माता-पिता सुरेश कुमार व कमला का इकलौता बेटे थे। शहीद अजय के भाई की पहले ही मौत हो चुकी थी। शहीद अजय अविवाहित ही थे। मातृभूमि की रक्षा में शहीद अजय का जन्म 25 जून 1992 को हुआ था। अजय कुमार 42 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। 21 सितंबर 2013 को भारतीय सेना में भर्ती हुए अजय कुमार में देशभक्ति का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ था। मगर 26 साल की उम्र ही में अदम्य साहस का परिचय देते हुए अजय कुमार ने छोटी सी उम्र में ही देश की रक्षा करते हुए शहादत का चोला ओढ़ लिया था। 

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