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प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में सिरमौर बना 'सिरमौर', अब चलाया जाएगा प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ अभियान

सिरमौर जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक से बहुत से ऐसे काम हुए हैं, जिसको लेकर जिला चर्चा में रहा है. पूर्व में डीसी रहे आईएएस अधिकारी डॉ. आरके परूथी ने इस दिशा में अपने कार्यकाल के दौरान जिले में बहुत से ऐसे कार्य किए, जो आज भी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की दिशा में बेहतरीन उदाहरण है. वहीं, पर्यावरण की दृष्टि से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्य को वर्तमान डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने भी आगे बढ़ाने का फैसला लिया है और जिले में जल्द ही पुनः इस अभियान को नए सिरे से शुरू किया जाएगा.

Poly bricks made in siramur
Poly bricks made in siramur
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Published : Feb 11, 2023, 10:59 PM IST

Updated : Feb 12, 2023, 6:07 AM IST

सिरमौर जिले में चलाया जाएगा प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ अभियान

नाहन: हाल ही में लोकसभा में संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस हल्के नीले रंग की जैकेट को पहनकर चर्चा में आए हैं, उससे हिमाचल प्रदेश को भी नई दिशा मिल सकती है. बता दें कि संसद के बजट सत्र 2023 की कार्यवाही में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विशेष नीली जैकेट पहनकर संसद पहुंचे थे. इस जैकेट को सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकल करके बनाया गया था. बेंगलुरु में इंडिया एनर्जी वीक के दौरान इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने पीएम को यह जैकेट भेंट की थी. इस जैकेट को सिंगल यूज प्लास्टिक की 28 बोतलों को रिसाइकल करके बनाया गया है. ऐसे में पीएम मोदी की इस जैकेट से देवभूमि हिमाचल को भी एक नई दिशा मिल सकती है. बशर्ते केंद्र व प्रदेश सरकार इस दिशा में कदम उठाएं.

अब पुनः जिला में नए सिरे से शुरू होगा पॉली ब्रिक्स को लेकर अभियान
अब पुनः जिला में नए सिरे से शुरू होगा पॉली ब्रिक्स को लेकर अभियान

सिरमौर जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक से हुए कई काम: दरअसल प्रदेश के सिरमौर जिला में पहले से ही सिंगल यूज प्लास्टिक से बहुत से ऐसे काम हुए हैं, जिसको लेकर यह जिला चर्चा में रहा है. यहां तक की वर्ष 2020 में सिरमौर को स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पुरस्कार 2020 के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है. पूर्व में डीसी रहे आईएएस अधिकारी डॉ. आरके परूथी ने इस दिशा में अपने कार्यकाल के दौरान जिले में बहुत से ऐसे कार्य किए, जो आज भी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की दिशा में बेहतरीन उदाहरण है. इसको लेकर पूर्व अधिकारी ने जिले में बड़े स्तर पर लोगों सहित पंचायतों में जागरूकता अभियान भी चलाए.

पूर्व डीसी डॉ. परूथी ने फैलाई थी जागरूकता: जिलावासियों को तत्कालीन डीसी डॉ. परूथी ने इस दिशा में जागरूक किया कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ दैनिक उपयोग के लिए भी प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसका जीता जागता उदाहरण उन्होंने डीसी कार्यालय परिसर में ही पेश किया. यहां पॉली ब्रिक्स से बने सुंदर बैंच आज भी डीसी कार्यालय नाहन परिसर की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को इस दिशा में जागरूक कर रहे हैं. उन्हीं के कार्यकाल में जिला मुख्यालय नाहन से 10 किलोमीटर दूर ढिमकी मंदिर से कून गांव तक प्लास्टिक कचरे से सड़क भी तैयार की गई थी, जो आज भी लोगों को बेहतर मार्ग की सुविधा उपलब्ध करवा रही है.

सिरमौर में पॉली ब्रिक्स का पहले से ही हो रहा इस्तेमाल
सिरमौर में पॉली ब्रिक्स का पहले से ही हो रहा इस्तेमाल

वर्तमान डीसी इस अभियान को दोबारा शुरू करेंगे: पर्यावरण की दृष्टि से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्य को वर्तमान डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने भी आगे बढ़ाने का फैसला लिया है और जिले में जल्द ही पुनः इस अभियान को नए सिरे से शुरू किया जाएगा. डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि जिला सिरमौर को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए पहले भी अभियान चलाया गया था, जिसका उदाहरण पूर्व में पॉली ब्रिक्स के माध्यम से डीसी कार्यालय में बैंच तैयार कर पेश भी किया गया है. उन्होंने कहा कि आज के समय में भी देखा जा रहा है कि प्लास्टिक के कचरा बढ़ता जा रहा है और इसमें कमी नहीं आई है. लिहाजा इस अभियान को पुनः शुरू करवाया जा रहा है.

75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है प्लास्टिक: उन्होंने बताया कि सरकार की पाॅलिसी के तहत लोगों से साफ-सुथरे प्लास्टिक को 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है. लिहाजा इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए जिला में नए सिरे से अभियान को जल्द ही दोबारा से चलाया जाएगा. लोग प्लास्टिक की पॉली ब्रिक्स तैयार कर संबंधित आंगनवाड़ी केंद्रों या स्कूलों में दे सकेंगे और वहां से संबंधित ग्राम पंचायत उठाएगी. पंचायत मनरेगा के तहत जिन कार्यों में पॉली ब्रिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, वहां पर इनका प्रयोग करेंगी. साथ ही संबंधित पाॅली ब्रिक्स को लेकर राशि संबंधित लोगों को देगी और यह राशि सरकार के माध्यम से पंचायतों को वापिस दिलवाई जाएगी.

चलाया जाएगा प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ अभियान: डीसी सिरमौर ने बताया कि इस अभियान को प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ के नाम से शुरू किया जाएगा. इस अभियान के तहत 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सिंगल यूज साफ-सुथरे प्लास्टिक से तैयार पाॅलीब्रिक्स को खरीदा जाएगा. प्रयास रहेंगे कि इस अभियान में स्वयं सहायता समूहों, स्कूली बच्चों, महिला व नवयुवक मंडल सभी जुड़े, ताकि घर से प्लास्टिक बोतल के अंदर जाएं और जिला प्लास्टिक मुक्त बन सके. इसके लिए बाकायदा आंगनबाड़ी केंद्र में वर्कर रजिस्टर में संबंधित व्यक्ति की एंट्री और बैंक एकाउंट नंबर की जानकारी लिखेगी, ताकि उक्त राशि को पॉली ब्रिक्स लेकर आए व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किया जा सके. डीसी ने उम्मीद जताते हुए कहा कि जिले के लोग अधिक से अधिक संख्या में इस अभियान से जुड़ेंगे. डीसी सिरमौर ने बताया कि एकत्रित प्लास्टिक को लोक निर्माण विभाग के भी सुपुर्द किया जाएगा, ताकि इससे सड़कों का निर्माण किया जा सके.

पाॅली ब्रिक्स से बनाए गए हैं बैठने के लिए बैंच: वहीं, पॉली ब्रिक्स का एक उदाहरण नाहन तहसील की आम्बवाला सैनवाला पंचायत ने भी पेश किया है. पंचायत ने यहां नेशनल हाइवे-07 पर एक सुंदर रेन शेल्टर का निर्माण करवाया है, जिसमें बैठने के लिए बनाए गए बैंचों में भी पाॅली ब्रिक्स का इस्तेमाल किया गया है. पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने बताया कि रेन शेल्टर में पॉली ब्रिक्स का इस्तेमाल कर लोगों को इस दिशा में जागरूक करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि आगे भी वह इसी तरह के कार्यों में पॉली ब्रिक्स का इस्तेमाल करेंगे, ताकि लोगों में निरंतर जागरूकता बनी रहे.

स्थानीय लोगों की मांग- प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में सरकार करे काम: वहीं, स्थानीय निवासी भी मानते हैं कि प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में जिला में बहुत से कार्य हुए हैं. अधिवक्ता एवं नाहन निवासी जितेंद्र ठाकुर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस जैकेट को पहनकर लोकसभा में पहुंचे थे, वह प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बनाई गई थी और उन्होंने इस दिशा में एक संदेश भी देना का प्रयास किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र और प्रदेश सरकार प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में यदि इस तरह के प्रयास करे, तो निसंदेह रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.

कैसे तैयार होती हैं पॉली ब्रिक्स: घर में आने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक को प्लास्टिक की एक बोतल में भरा जाता है. ठूस-ठूस कर उस बोतल में तब तक प्लास्टिक डाला जाता है, जब तक वह ईंट की तरह सख्त न हो जाए. फिर सीमेंट व रेत के साथ इनका निर्माण बैंच, पैराफिट व डंगे आदि के कार्य में किया जा सकता है. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जैकेट इस बात को लेकर भी एक नई दिशा दे रही है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल केवल दैनिक उपयोग के लिए ही नहीं बल्कि कपड़े तैयार कर बड़े स्तर पर रोजगार के लिए भी किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: HAMIRPUR: ग्राम पंचायत धलोट में खेल उत्सव का आयोजन, महिला प्रधान की इस अनूठी पहल की हो रही सराहना

सिरमौर जिले में चलाया जाएगा प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ अभियान

नाहन: हाल ही में लोकसभा में संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस हल्के नीले रंग की जैकेट को पहनकर चर्चा में आए हैं, उससे हिमाचल प्रदेश को भी नई दिशा मिल सकती है. बता दें कि संसद के बजट सत्र 2023 की कार्यवाही में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विशेष नीली जैकेट पहनकर संसद पहुंचे थे. इस जैकेट को सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकल करके बनाया गया था. बेंगलुरु में इंडिया एनर्जी वीक के दौरान इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने पीएम को यह जैकेट भेंट की थी. इस जैकेट को सिंगल यूज प्लास्टिक की 28 बोतलों को रिसाइकल करके बनाया गया है. ऐसे में पीएम मोदी की इस जैकेट से देवभूमि हिमाचल को भी एक नई दिशा मिल सकती है. बशर्ते केंद्र व प्रदेश सरकार इस दिशा में कदम उठाएं.

अब पुनः जिला में नए सिरे से शुरू होगा पॉली ब्रिक्स को लेकर अभियान
अब पुनः जिला में नए सिरे से शुरू होगा पॉली ब्रिक्स को लेकर अभियान

सिरमौर जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक से हुए कई काम: दरअसल प्रदेश के सिरमौर जिला में पहले से ही सिंगल यूज प्लास्टिक से बहुत से ऐसे काम हुए हैं, जिसको लेकर यह जिला चर्चा में रहा है. यहां तक की वर्ष 2020 में सिरमौर को स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पुरस्कार 2020 के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है. पूर्व में डीसी रहे आईएएस अधिकारी डॉ. आरके परूथी ने इस दिशा में अपने कार्यकाल के दौरान जिले में बहुत से ऐसे कार्य किए, जो आज भी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की दिशा में बेहतरीन उदाहरण है. इसको लेकर पूर्व अधिकारी ने जिले में बड़े स्तर पर लोगों सहित पंचायतों में जागरूकता अभियान भी चलाए.

पूर्व डीसी डॉ. परूथी ने फैलाई थी जागरूकता: जिलावासियों को तत्कालीन डीसी डॉ. परूथी ने इस दिशा में जागरूक किया कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ दैनिक उपयोग के लिए भी प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसका जीता जागता उदाहरण उन्होंने डीसी कार्यालय परिसर में ही पेश किया. यहां पॉली ब्रिक्स से बने सुंदर बैंच आज भी डीसी कार्यालय नाहन परिसर की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को इस दिशा में जागरूक कर रहे हैं. उन्हीं के कार्यकाल में जिला मुख्यालय नाहन से 10 किलोमीटर दूर ढिमकी मंदिर से कून गांव तक प्लास्टिक कचरे से सड़क भी तैयार की गई थी, जो आज भी लोगों को बेहतर मार्ग की सुविधा उपलब्ध करवा रही है.

सिरमौर में पॉली ब्रिक्स का पहले से ही हो रहा इस्तेमाल
सिरमौर में पॉली ब्रिक्स का पहले से ही हो रहा इस्तेमाल

वर्तमान डीसी इस अभियान को दोबारा शुरू करेंगे: पर्यावरण की दृष्टि से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्य को वर्तमान डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने भी आगे बढ़ाने का फैसला लिया है और जिले में जल्द ही पुनः इस अभियान को नए सिरे से शुरू किया जाएगा. डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि जिला सिरमौर को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए पहले भी अभियान चलाया गया था, जिसका उदाहरण पूर्व में पॉली ब्रिक्स के माध्यम से डीसी कार्यालय में बैंच तैयार कर पेश भी किया गया है. उन्होंने कहा कि आज के समय में भी देखा जा रहा है कि प्लास्टिक के कचरा बढ़ता जा रहा है और इसमें कमी नहीं आई है. लिहाजा इस अभियान को पुनः शुरू करवाया जा रहा है.

75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है प्लास्टिक: उन्होंने बताया कि सरकार की पाॅलिसी के तहत लोगों से साफ-सुथरे प्लास्टिक को 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है. लिहाजा इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए जिला में नए सिरे से अभियान को जल्द ही दोबारा से चलाया जाएगा. लोग प्लास्टिक की पॉली ब्रिक्स तैयार कर संबंधित आंगनवाड़ी केंद्रों या स्कूलों में दे सकेंगे और वहां से संबंधित ग्राम पंचायत उठाएगी. पंचायत मनरेगा के तहत जिन कार्यों में पॉली ब्रिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, वहां पर इनका प्रयोग करेंगी. साथ ही संबंधित पाॅली ब्रिक्स को लेकर राशि संबंधित लोगों को देगी और यह राशि सरकार के माध्यम से पंचायतों को वापिस दिलवाई जाएगी.

चलाया जाएगा प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ अभियान: डीसी सिरमौर ने बताया कि इस अभियान को प्लास्टिक लाओ और आजीविका कमाओ के नाम से शुरू किया जाएगा. इस अभियान के तहत 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सिंगल यूज साफ-सुथरे प्लास्टिक से तैयार पाॅलीब्रिक्स को खरीदा जाएगा. प्रयास रहेंगे कि इस अभियान में स्वयं सहायता समूहों, स्कूली बच्चों, महिला व नवयुवक मंडल सभी जुड़े, ताकि घर से प्लास्टिक बोतल के अंदर जाएं और जिला प्लास्टिक मुक्त बन सके. इसके लिए बाकायदा आंगनबाड़ी केंद्र में वर्कर रजिस्टर में संबंधित व्यक्ति की एंट्री और बैंक एकाउंट नंबर की जानकारी लिखेगी, ताकि उक्त राशि को पॉली ब्रिक्स लेकर आए व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किया जा सके. डीसी ने उम्मीद जताते हुए कहा कि जिले के लोग अधिक से अधिक संख्या में इस अभियान से जुड़ेंगे. डीसी सिरमौर ने बताया कि एकत्रित प्लास्टिक को लोक निर्माण विभाग के भी सुपुर्द किया जाएगा, ताकि इससे सड़कों का निर्माण किया जा सके.

पाॅली ब्रिक्स से बनाए गए हैं बैठने के लिए बैंच: वहीं, पॉली ब्रिक्स का एक उदाहरण नाहन तहसील की आम्बवाला सैनवाला पंचायत ने भी पेश किया है. पंचायत ने यहां नेशनल हाइवे-07 पर एक सुंदर रेन शेल्टर का निर्माण करवाया है, जिसमें बैठने के लिए बनाए गए बैंचों में भी पाॅली ब्रिक्स का इस्तेमाल किया गया है. पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने बताया कि रेन शेल्टर में पॉली ब्रिक्स का इस्तेमाल कर लोगों को इस दिशा में जागरूक करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि आगे भी वह इसी तरह के कार्यों में पॉली ब्रिक्स का इस्तेमाल करेंगे, ताकि लोगों में निरंतर जागरूकता बनी रहे.

स्थानीय लोगों की मांग- प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में सरकार करे काम: वहीं, स्थानीय निवासी भी मानते हैं कि प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में जिला में बहुत से कार्य हुए हैं. अधिवक्ता एवं नाहन निवासी जितेंद्र ठाकुर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस जैकेट को पहनकर लोकसभा में पहुंचे थे, वह प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बनाई गई थी और उन्होंने इस दिशा में एक संदेश भी देना का प्रयास किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र और प्रदेश सरकार प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में यदि इस तरह के प्रयास करे, तो निसंदेह रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.

कैसे तैयार होती हैं पॉली ब्रिक्स: घर में आने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक को प्लास्टिक की एक बोतल में भरा जाता है. ठूस-ठूस कर उस बोतल में तब तक प्लास्टिक डाला जाता है, जब तक वह ईंट की तरह सख्त न हो जाए. फिर सीमेंट व रेत के साथ इनका निर्माण बैंच, पैराफिट व डंगे आदि के कार्य में किया जा सकता है. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जैकेट इस बात को लेकर भी एक नई दिशा दे रही है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल केवल दैनिक उपयोग के लिए ही नहीं बल्कि कपड़े तैयार कर बड़े स्तर पर रोजगार के लिए भी किया जा सकता है.

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Last Updated : Feb 12, 2023, 6:07 AM IST
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