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रेणुका बस हादसा: स्कूल की मान्यता रद्द करना सही कदम, पर बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाने होंगे सख्त कदम

रेणुका बस हादसा: स्कूल की मान्यता रद्द करना सही कदम, पर बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाने होंगे सख्त कदम

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Published : Feb 4, 2019, 7:19 PM IST

नाहन: 5 जनवरी को रेणुका जी के पास खड़कोली में हुए स्कूल बस हादसे के बाद डीएवीएन स्कूल की मान्यता रद्द करने के सख्त फैसले की जहां लोगों से सराहना की है, वहीं अब स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने की मांग भी कर रहे हैं.
एजुकेशन बोर्ड द्वारा संबंधित स्कूल की नौवीं और दसवीं कक्षा की मान्यता रद्द करने को स्थानीय निवासी अल्ट्रा मेराथन धावक सुनील शर्मा ने सही कदम बताया है. उनका कहना है कि बस हादसे के बाद भी निजी स्कूल सबक नहीं ले रहे हैं.
हाल ही में पांवटा साहिब में वाई पॉइंट पर भी एक निजी स्कूल की बस रेड लाइट को क्रॉस करती हुई निकली थी जिसकी शिकायत उन्होंने प्रिंसिपल से की, लेकिन प्रिंसिपल ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि इस रेड लाइट को पार किया जा सकता है. जबकि नियमों के अनुसार ऐसा नहीं है. यहां भी सीधे-सीधे स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई. प्रशासन को चाहिए कि इस दिशा में सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए.

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स्थानीय निवासी पंकज का कहना है कि स्कूल बस हादसे के बाद स्कूल की मान्यता तो रद्द कर दी गई, लेकिन निजी स्कूल प्रबंधनकों पर इसका कोई असर नहीं है. जिला मुख्यालय नाहन में भी बसों में बच्चों की ओवरलोडिंग देखी जा सकती है. हादसों के बाद जांच तो होती है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से पुख्ता कदम नहीं उठाए जाते. हादसों के बाद कुछ समय के लिए सख्ती बरती जाती है, लेकिन कुछ समय के बाद स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का सिलसिला फिर शुरू हो जाता है. ऐसे में सरकार व प्रशासन को चाहिए कि निजी स्कूलों पर नियमित रूप से निगरानी रखी जाए.
रोड सेफ्टी क्लब नाहन के अध्यक्ष विशाल तोमर ने स्कूल की मान्यता रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
वहीं, वरिष्ठ नागरिक प्रेमपाल का कहना था कि पिछले महीने रेणुका में स्कूल बस हादसे में 7 बच्चों की जान चली गई, इसकी भरपाई नहीं की जा सकती. हादसों के बाद थोड़े समय के लिए प्रशासन व संबंधित विभाग एक्शन में आते हैं, लेकिन बाद में फिर लापरवाही शुरू हो जाती. संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द करना सही कदम है पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होना भी बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं पेश ना आए.
नाहन निवासी साहिल ने सरकार द्वारा स्कूल की मान्यता रद्द करने के फैसले को सही करार दिया और कहा कि बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए.
कुल मिलाकर रेणुका बस हादसे के बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई को जहां लोग ठीक बता रहे हैं वहीं, निजी स्कूल प्रबंधनकों पर नियमित रूप से नजर रखने की बात भी कह रहे हैं. अब देखना ये होगा कि सरकार और प्रशासन निजी स्कूलों द्वारा समय-समय पर बरती जाने वाली लापरवाही से कैसे निपटने की योजना बनाता है.

नाहन: 5 जनवरी को रेणुका जी के पास खड़कोली में हुए स्कूल बस हादसे के बाद डीएवीएन स्कूल की मान्यता रद्द करने के सख्त फैसले की जहां लोगों से सराहना की है, वहीं अब स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने की मांग भी कर रहे हैं.
एजुकेशन बोर्ड द्वारा संबंधित स्कूल की नौवीं और दसवीं कक्षा की मान्यता रद्द करने को स्थानीय निवासी अल्ट्रा मेराथन धावक सुनील शर्मा ने सही कदम बताया है. उनका कहना है कि बस हादसे के बाद भी निजी स्कूल सबक नहीं ले रहे हैं.
हाल ही में पांवटा साहिब में वाई पॉइंट पर भी एक निजी स्कूल की बस रेड लाइट को क्रॉस करती हुई निकली थी जिसकी शिकायत उन्होंने प्रिंसिपल से की, लेकिन प्रिंसिपल ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि इस रेड लाइट को पार किया जा सकता है. जबकि नियमों के अनुसार ऐसा नहीं है. यहां भी सीधे-सीधे स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई. प्रशासन को चाहिए कि इस दिशा में सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए.

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स्थानीय निवासी पंकज का कहना है कि स्कूल बस हादसे के बाद स्कूल की मान्यता तो रद्द कर दी गई, लेकिन निजी स्कूल प्रबंधनकों पर इसका कोई असर नहीं है. जिला मुख्यालय नाहन में भी बसों में बच्चों की ओवरलोडिंग देखी जा सकती है. हादसों के बाद जांच तो होती है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से पुख्ता कदम नहीं उठाए जाते. हादसों के बाद कुछ समय के लिए सख्ती बरती जाती है, लेकिन कुछ समय के बाद स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का सिलसिला फिर शुरू हो जाता है. ऐसे में सरकार व प्रशासन को चाहिए कि निजी स्कूलों पर नियमित रूप से निगरानी रखी जाए.
रोड सेफ्टी क्लब नाहन के अध्यक्ष विशाल तोमर ने स्कूल की मान्यता रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
वहीं, वरिष्ठ नागरिक प्रेमपाल का कहना था कि पिछले महीने रेणुका में स्कूल बस हादसे में 7 बच्चों की जान चली गई, इसकी भरपाई नहीं की जा सकती. हादसों के बाद थोड़े समय के लिए प्रशासन व संबंधित विभाग एक्शन में आते हैं, लेकिन बाद में फिर लापरवाही शुरू हो जाती. संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द करना सही कदम है पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होना भी बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं पेश ना आए.
नाहन निवासी साहिल ने सरकार द्वारा स्कूल की मान्यता रद्द करने के फैसले को सही करार दिया और कहा कि बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए.
कुल मिलाकर रेणुका बस हादसे के बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई को जहां लोग ठीक बता रहे हैं वहीं, निजी स्कूल प्रबंधनकों पर नियमित रूप से नजर रखने की बात भी कह रहे हैं. अब देखना ये होगा कि सरकार और प्रशासन निजी स्कूलों द्वारा समय-समय पर बरती जाने वाली लापरवाही से कैसे निपटने की योजना बनाता है.
Intro:नाहन। 5 जनवरी को रेणुका जी के समीप खड़कोली में हुए स्कूल बस हादसे के बाद डीएवीएन स्कूल की मान्यता रद्द करने के सख्त फैसले की जहां लोगों से सराहना की है, वहीं सरकार से स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए ओर सख्त कदम उठाने की मांग की है, ताकि भविष्य में स्कूल प्रबंधन थोड़ी सर भी गलती न कर सके। साथ ही बस हादसों के बाद ही लापरवाही बरतने वाले स्कूलों पर ही नहीं, बल्कि समय-समय पर निजी स्कूलों पर नज़र रखी जानी है।


Body:वहीं रेणुका निवासी अल्ट्रा मेराथन धावक सुनील शर्मा का इस बारे कहना था कि रेणुका स्कूल बस हादसे के बाद संबंधित स्कूल की नौवीं और दसवीं कक्षा की मान्यता रद्द करना सही कदम है लेकिन बस हादसे के बाद भी निजी स्कूल सबक नहीं ले रहे हैं। हाल ही में पांवटा साहिब में वाई पॉइंट पर भी एक निजी स्कूल की बस रेड लाइट को क्रॉस करती हुई निकली, की शिकायत उन्होंने प्रिंसिपल से की थी, लेकिन प्रिंसिपल ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि इस रेड लाइट को पार किया जा सकता है, जबकि नियमों के अनुसार ऐसा नहीं है। यहां भी सीधे-सीधे स्कूल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई। प्रशासन को चाहिए कि इस दिशा में सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए।
वहीं स्थानीय निवासी पंकज का कहना था कि स्कूल बस हादसे के बाद स्कूल की मान्यता तो रद्द कर दी गई लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन ओं पर इसका कोई असर नहीं है। जिला मुख्यालय नाहन में भी बसों में बच्चों की ओवरलोडिंग देखी जा सकती है। हादसों के बाद जांच तो होती है। लेकिन बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से पुख्ता कदम नहीं उठाए जाते। हादसों के बाद कुछ समय के लिए सख्ती बरती जाती है, लेकिन कुछ समय के बाद स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का सिलसिला फिर शुरू हो जाता है। ऐसे में सरकार व प्रशासन को चाहिए कि निजी स्कूलों पर नियमित रूप से निगरानी रखी जाए।
वहीं रोड सेफ्टी क्लब नाहन के अध्यक्ष विशाल तोमर ने स्कूल की मान्यता रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि निजी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
उधर वरिष्ठ नागरिक प्रेमपाल का कहना था कि पिछले महीने रेणुका में स्कूल बस हादसे में 7 बच्चों की जान चली गई, इसकी भरपाई नहीं की जा सकती। हादसों के बाद थोड़े समय के लिए प्रशासन व संबंधित विभाग एक्शन में आते हैं, लेकिन बाद में फिर लापरवाही शुरू हो जाती। संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द करना सही कदम है पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होना भी बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं पेश ना आए।
नाहन निवासी साहिल ने सरकार द्वारा स्कूल की मान्यता रद्द करने के फैसले को सही करार दिया है साथ ही कहा है कि बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती से कदम उठाए जाने चाहिए।


Conclusion:कुल मिलाकर रेणुका बस हादसे के बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई को जहां लोग ठीक बता रहे हैं वही निजी स्कूल प्रबंधन ओं पर नियमित रूप से नजर रखने की बात भी कह रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार व प्रशासन निजी स्कूलों द्वारा समय-समय पर बरती जाने वाली लापरवाही से कैसे निपटने की योजना बनाता है।
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