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पांवटा का बातमंडी सरकारी स्कूल बना मिसाल: प्राइवेट स्कूलों को भी दी मात - हर्बल गार्ड

पांवटा साहिब में बातमंडी का सरकारी स्कूल निजी स्कूलों को मात दे रहा है. कौने-कौने में शिक्षा की अलख जगाने की बात हो या फिर पर्यावरण संदेश देने की. हर बात में अव्वल है. यही कारण है कि अब स्कूल को मिसाल माने जाने लगा है.

Paonta's government school became an example
बातमंडी स्कूल
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Published : Mar 6, 2020, 12:07 PM IST

पांवटा साहिब : राजकीय प्राथमिक पाठशाला बातामंडी स्कूल अब मिसाल के तौर पर पहचाने जाने लगा है. स्कूल को जब आप देखेंगे तो यह अहसास नहीं होगा कि यह सरकारी स्कूल है.आपको यह लगेगा कि कोई प्राइवेट स्कूल है. यही कारण है कि अब स्कूल को मिसाल माना जा रहा है. स्कूल स्टॉफ की मदद से ऐसा संभव हो पाया है. जगह -जगह शिक्षा के संदेश की हो या फिर पर्यावरण,या फिर स्वच्छता की. स्कूल के हर कौने-कौने पर आपको कुछ न कुछ संदेश देती तस्वीरें दिखाई देंगी.

जानकारी के मुताबिक स्कूल में कुल 124 बच्चे हैं जिसमें से 72 प्रवासी बच्चे हैं. जिनके माता-पिता यहां फैक्टरियों में कामकाज करते हैं. इन बच्चों के लिए यह स्कूल वरदान बन गया है. स्कूल के मुख्य अध्यापक रामपाल का कहना है कि पूरे स्टॉफ की कोशिश से ऐसा हो पाया हैं.

सफाई का विशेष ध्यान

स्कूल में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. बच्चों के लिए जहां विशेष तौर पर शौचालय बनाए गए है. वहीं ,पीने के पानी की स्वच्छता के मद्देनजर वाटर कूलर और आरओ लगाए गए है. हर क्लास के बाहर कूड़ेदान मिलेंगे. किसी भी प्रकार के प्लास्टिक के निष्पादन के लिए भी विशेष स्थान मिलेगा. यही कारण है कि जिले में स्वच्छता के लिए स्कूल को प्रथम पुरस्कार मिला.

वीडियो

हर्बल गार्डन भी

स्कूल परिसर में किचन गार्डन व हर्बल गार्डन को भी स्थापित किया गया है. वहीं , इनके महत्व के बारे में स्कूली बच्चों को भी जानकारी दी जाती है. प्लास्टिक कचरे को बोतलों में भरा जाता है. जिससे स्कूल परिसर में ही पोली ब्रिक तैयार कर प्रार्थना सभा के लिए स्टेज बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है. स्कूल में कहानियां व मॉडल दिखा कर नौनिहालों को पढ़ाया जाता है, इससे स्कूली बच्चे भी बेहद खुश नजर आते हैं. खेल-खेल में शिक्षा प्राप्त करना यहां बच्चों को अच्छा लगता है.


पांवटा साहिब : राजकीय प्राथमिक पाठशाला बातामंडी स्कूल अब मिसाल के तौर पर पहचाने जाने लगा है. स्कूल को जब आप देखेंगे तो यह अहसास नहीं होगा कि यह सरकारी स्कूल है.आपको यह लगेगा कि कोई प्राइवेट स्कूल है. यही कारण है कि अब स्कूल को मिसाल माना जा रहा है. स्कूल स्टॉफ की मदद से ऐसा संभव हो पाया है. जगह -जगह शिक्षा के संदेश की हो या फिर पर्यावरण,या फिर स्वच्छता की. स्कूल के हर कौने-कौने पर आपको कुछ न कुछ संदेश देती तस्वीरें दिखाई देंगी.

जानकारी के मुताबिक स्कूल में कुल 124 बच्चे हैं जिसमें से 72 प्रवासी बच्चे हैं. जिनके माता-पिता यहां फैक्टरियों में कामकाज करते हैं. इन बच्चों के लिए यह स्कूल वरदान बन गया है. स्कूल के मुख्य अध्यापक रामपाल का कहना है कि पूरे स्टॉफ की कोशिश से ऐसा हो पाया हैं.

सफाई का विशेष ध्यान

स्कूल में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. बच्चों के लिए जहां विशेष तौर पर शौचालय बनाए गए है. वहीं ,पीने के पानी की स्वच्छता के मद्देनजर वाटर कूलर और आरओ लगाए गए है. हर क्लास के बाहर कूड़ेदान मिलेंगे. किसी भी प्रकार के प्लास्टिक के निष्पादन के लिए भी विशेष स्थान मिलेगा. यही कारण है कि जिले में स्वच्छता के लिए स्कूल को प्रथम पुरस्कार मिला.

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हर्बल गार्डन भी

स्कूल परिसर में किचन गार्डन व हर्बल गार्डन को भी स्थापित किया गया है. वहीं , इनके महत्व के बारे में स्कूली बच्चों को भी जानकारी दी जाती है. प्लास्टिक कचरे को बोतलों में भरा जाता है. जिससे स्कूल परिसर में ही पोली ब्रिक तैयार कर प्रार्थना सभा के लिए स्टेज बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है. स्कूल में कहानियां व मॉडल दिखा कर नौनिहालों को पढ़ाया जाता है, इससे स्कूली बच्चे भी बेहद खुश नजर आते हैं. खेल-खेल में शिक्षा प्राप्त करना यहां बच्चों को अच्छा लगता है.


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