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बॉम्बल गांव में पंचायत चुनावों से पहले ही प्रधान व उपप्रधान का चयन, ग्रामीण देव आदेश को मानते हैं सर्वोपरि

सिरमौर जिला की एक पंचायत ऐसी भी है, जहां पर रोस्टर जारी होने से पहले ही प्रधान और उपप्रधान का चयन कर लिया गया है. हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में देवता का आदेश को ही ग्रामीण सर्वोपरि मानते हैं. रोस्टर जारी होने के बाद प्रधान पद आरक्षित होने की स्थिति में पर्ची से निकाले गए.

Panchayat elections were held in Bombal village ahead of time
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Published : Sep 9, 2020, 5:36 PM IST

शिलाई: सिरमौर जिले में पंचायत चुनाव के ऐलान से पहले ही प्रधान और उपप्रधान का चयन कर लिया गया है. मामला कोटी उतरोऊ से कटकर बनी नई पंचायत बॉम्बल से जुड़ा है. शिरगुल महाराज के मंदिर में एकत्रित होकर ग्रामीणों ने पंचायत डालकर इसका फैसला लिया है, जिसमें प्रधान और उपप्रधान के नाम तय कर लिए गए हैं. रोस्टर जारी होने के बाद प्रधान पद आरक्षित होने की स्थिति में पर्ची से निकाले गए. प्रधान और उपप्रधान की रजामंदी से ही प्रधान का फैसला होगा.

हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में देवता का आदेश सर्वोपरि है, कहीं महत्वपूर्ण फैसले ग्रामीण देवी-देवताओं के दरबार में जाकर करते हैं. सिरमौर में हाल ही में बनी बॉम्बल पंचायत में ऐसा देखने को मिला. पंचायत में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 700 है. इनमें से अकेले बॉम्बल में ही 400 मतदाता हैं. सोमवार को गांव में स्थिति देवता के प्रांगण में एकत्रित होकर ग्रामीणों ने बैठक की. इसमें पंचायत के 4 गांव के हर परिवार से एक-एक सदस्य को बुलाया गया था.

वीडियो

चुनाव के दौरान दो पर्चियां डाली गई, जिसमें एक पर्ची में गुमान सिंह और दूसरे में बिशन सिंह के नाम लिखे थे. एक बच्चे ने एक पर्ची को उठाया. जिसमें गुमान सिंह की पर्ची निकली और उन्हें प्रधान चुना गया. दूसरी पर्ची बिशन सिंह की थी. बॉम्बल पंचायत के 5 वार्ड सदस्य भी चुने जाने हैं, जिनका फैसला प्रधान और उपप्रधान को सौंपा गया है. इस बैठक में देव प्रक्रिया में बॉम्बल पंचायत के 4 गांव बॉम्बल काडोलानी भेड़आल आवत के हर समुदाय के लोग मौजूद थे. फैसला लिया गया कि अगर सरकार के चुनावी रोस्टर प्रधान पद आरक्षित होता है, तो प्रधान को चुनने का अधिकार भी प्रधान और उपप्रधान को ही होगा.

ये भी पढ़ें:कोरोना संक्रमण से निपटने में सफल हुई हिमाचल सरकार : CM जयराम ठाकुर

शिलाई: सिरमौर जिले में पंचायत चुनाव के ऐलान से पहले ही प्रधान और उपप्रधान का चयन कर लिया गया है. मामला कोटी उतरोऊ से कटकर बनी नई पंचायत बॉम्बल से जुड़ा है. शिरगुल महाराज के मंदिर में एकत्रित होकर ग्रामीणों ने पंचायत डालकर इसका फैसला लिया है, जिसमें प्रधान और उपप्रधान के नाम तय कर लिए गए हैं. रोस्टर जारी होने के बाद प्रधान पद आरक्षित होने की स्थिति में पर्ची से निकाले गए. प्रधान और उपप्रधान की रजामंदी से ही प्रधान का फैसला होगा.

हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में देवता का आदेश सर्वोपरि है, कहीं महत्वपूर्ण फैसले ग्रामीण देवी-देवताओं के दरबार में जाकर करते हैं. सिरमौर में हाल ही में बनी बॉम्बल पंचायत में ऐसा देखने को मिला. पंचायत में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 700 है. इनमें से अकेले बॉम्बल में ही 400 मतदाता हैं. सोमवार को गांव में स्थिति देवता के प्रांगण में एकत्रित होकर ग्रामीणों ने बैठक की. इसमें पंचायत के 4 गांव के हर परिवार से एक-एक सदस्य को बुलाया गया था.

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चुनाव के दौरान दो पर्चियां डाली गई, जिसमें एक पर्ची में गुमान सिंह और दूसरे में बिशन सिंह के नाम लिखे थे. एक बच्चे ने एक पर्ची को उठाया. जिसमें गुमान सिंह की पर्ची निकली और उन्हें प्रधान चुना गया. दूसरी पर्ची बिशन सिंह की थी. बॉम्बल पंचायत के 5 वार्ड सदस्य भी चुने जाने हैं, जिनका फैसला प्रधान और उपप्रधान को सौंपा गया है. इस बैठक में देव प्रक्रिया में बॉम्बल पंचायत के 4 गांव बॉम्बल काडोलानी भेड़आल आवत के हर समुदाय के लोग मौजूद थे. फैसला लिया गया कि अगर सरकार के चुनावी रोस्टर प्रधान पद आरक्षित होता है, तो प्रधान को चुनने का अधिकार भी प्रधान और उपप्रधान को ही होगा.

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