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नाहन: 1967 में बने डेयरी फार्म के अस्तित्व को बचाने के लिए किसान सभा चलाएगी हस्ताक्षर अभियान - हिमाचल प्रदेश न्यूज

प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के गृह क्षेत्र बागथन में बने डेयरी फार्म की अनदेखी पर हिमाचल किसान सभा ने चिंता जाहिर की है. हिमाचल किसान सभा सराहां खंड के उपाध्यक्ष एवं जिला कमेटी के सदस्य आशीष कुमार ने कहा कि बागथन में 1967 में बना डेयरी फार्म अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन आज तक प्रदेश में रही सरकारों का ध्यान इसकी ओर नहीं गया.

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Published : Feb 22, 2021, 4:48 PM IST

नाहन: हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के गृह क्षेत्र बागथन में बने डेयरी फार्म की अनदेखी पर हिमाचल किसान सभा ने चिंता जाहिर की है. लिहाजा इस डेयरी फार्म के अस्तित्व को बचाने के लिए किसान सभा पूरे क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी.

यह जानकारी हिमाचल किसान सभा सराहां खंड के उपाध्यक्ष एवं जिला कमेटी के सदस्य आशीष कुमार ने दी. आशीष कुमार ने कहा कि बागथन में 1967 में बनी डेयरी फार्म अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन आज तक प्रदेश में रही सरकारों का ध्यान इसकी ओर नहीं गया. उन्होंने कहा कि डेयरी फार्म बंद होने के कगार पर जा पहुंचा है.

वीडियो रिपोर्ट.

किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है

मौजूदा समय में यहां स्टाफ सहित किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है. आशीष कुमार ने कहा कि सरकार और पशुपालन विभाग को चाहिए कि इस संस्थान को अपग्रेड किया जाए, ताकि इसके आधारभूत ढांचे को उपयोग में लाकर इसकी क्षमता और सुविधाओं को बढ़ाया जा सके.

उन्होंने कहा कि 25 फरवरी के बाद पूरे इलाके में किसान सभा हस्ताक्षर अभियान चलाएगी और स्थानीय लोगों की मदद से इसे बचाने की कोशिश की जाएगी, ताकि इस क्षेत्र में डॉ. परमार द्वारा स्थापित की गई इस धरोहर को बचाया जा सके.

वर्तमान में बंद पड़े उद्योग को भी शुरू करने की मांग

किसान सभा ने बागथन में हिमाचल निर्माता डॉ. परमार के समय में बागवानी विभाग के तहत खोले गए वर्तमान में बंद पड़े उद्योग को भी शुरू करने की मांग की है, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

ये भी पढ़ें- भांबला में प्रस्तावित जमीन पर आईटीआई भवन बनाने की मांग, लोगों ने भेजा ज्ञापन

नाहन: हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के गृह क्षेत्र बागथन में बने डेयरी फार्म की अनदेखी पर हिमाचल किसान सभा ने चिंता जाहिर की है. लिहाजा इस डेयरी फार्म के अस्तित्व को बचाने के लिए किसान सभा पूरे क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी.

यह जानकारी हिमाचल किसान सभा सराहां खंड के उपाध्यक्ष एवं जिला कमेटी के सदस्य आशीष कुमार ने दी. आशीष कुमार ने कहा कि बागथन में 1967 में बनी डेयरी फार्म अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन आज तक प्रदेश में रही सरकारों का ध्यान इसकी ओर नहीं गया. उन्होंने कहा कि डेयरी फार्म बंद होने के कगार पर जा पहुंचा है.

वीडियो रिपोर्ट.

किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है

मौजूदा समय में यहां स्टाफ सहित किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है. आशीष कुमार ने कहा कि सरकार और पशुपालन विभाग को चाहिए कि इस संस्थान को अपग्रेड किया जाए, ताकि इसके आधारभूत ढांचे को उपयोग में लाकर इसकी क्षमता और सुविधाओं को बढ़ाया जा सके.

उन्होंने कहा कि 25 फरवरी के बाद पूरे इलाके में किसान सभा हस्ताक्षर अभियान चलाएगी और स्थानीय लोगों की मदद से इसे बचाने की कोशिश की जाएगी, ताकि इस क्षेत्र में डॉ. परमार द्वारा स्थापित की गई इस धरोहर को बचाया जा सके.

वर्तमान में बंद पड़े उद्योग को भी शुरू करने की मांग

किसान सभा ने बागथन में हिमाचल निर्माता डॉ. परमार के समय में बागवानी विभाग के तहत खोले गए वर्तमान में बंद पड़े उद्योग को भी शुरू करने की मांग की है, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

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