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फलों पर पड़ रही प्रदूषण की मार, पांवटा में संतरे की पैदावार में आई भारी गिरावट - पांवटा साहिब

पांवटा साहिब के निचले इलाकों में संतरे की पैदावार कम होने की वजह से बागवानों को चिंता सताने लगी है. किसानों के अनुसार फसल की पैदावार कम होने का कारण मौसम में हो रहा बदलाव है.

huge decline in orange production in poanta sahib
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Published : Nov 23, 2019, 11:20 AM IST

पांवटा साहिब: सिरमौर के पांवटा में संतरे के फल की बंपर पैदावार होती थी, लेकिन इस बार फसल पर मौसम और प्रदूषण की मार पड़ रही है. स्थानीय बागवानों का कहना है कि प्रदूषण और मौसम में हो रहे बदलाव के कारण संतरे और किन्नू का साइज सही नहीं आ पाया है. जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

बागवानों की माने तो बाजार में संतरे 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं, लेकिन ठेकेदार बागवानों से फलों को ₹10 प्रति किलो के हिसाब से खरीद जा रहा है. जिससे उन्हें किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. बागवानों का कहना है कि सरकार एवं प्रशासन की तरफ से फसल के कम होने के कारणों को लेकर किसी तरीके की रिसर्च नहीं की जा रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

माजरा निवासी प्रेम सिंह ने बताया कि वह पिछले 25 सालों से इस बागवानी को कर रहे हैं. उनके मुताबिन पहले सही मौसम के चलते अच्छी संतरे की पैदावार होती थी, लेकिन जिस तरीके से मौसम में बदलाव हो रहा है उसका बुरा असर फसलों पर भी पड़ रहा है.

प्रेम सिंह के मुताबिक पहले अच्छी पैदावार होने पर पहले एक संतरे व किन्नू का साइज 50 से 70 ग्राम था, लेकिन अब वह 20-30 ग्राम तक सीमित रह गया है. उन्होंने सरकार से इस संबंध में रिसर्च सेंटर की मदद से इस समस्या के समाधान की मांग उठाई है.

ये भी पढ़े: तेबन में बढ़ी BP और शुगर से ग्रसित लोगों की संख्या, स्वास्थ्य जांच शिविर में खुलासा

पांवटा साहिब: सिरमौर के पांवटा में संतरे के फल की बंपर पैदावार होती थी, लेकिन इस बार फसल पर मौसम और प्रदूषण की मार पड़ रही है. स्थानीय बागवानों का कहना है कि प्रदूषण और मौसम में हो रहे बदलाव के कारण संतरे और किन्नू का साइज सही नहीं आ पाया है. जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

बागवानों की माने तो बाजार में संतरे 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं, लेकिन ठेकेदार बागवानों से फलों को ₹10 प्रति किलो के हिसाब से खरीद जा रहा है. जिससे उन्हें किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. बागवानों का कहना है कि सरकार एवं प्रशासन की तरफ से फसल के कम होने के कारणों को लेकर किसी तरीके की रिसर्च नहीं की जा रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

माजरा निवासी प्रेम सिंह ने बताया कि वह पिछले 25 सालों से इस बागवानी को कर रहे हैं. उनके मुताबिन पहले सही मौसम के चलते अच्छी संतरे की पैदावार होती थी, लेकिन जिस तरीके से मौसम में बदलाव हो रहा है उसका बुरा असर फसलों पर भी पड़ रहा है.

प्रेम सिंह के मुताबिक पहले अच्छी पैदावार होने पर पहले एक संतरे व किन्नू का साइज 50 से 70 ग्राम था, लेकिन अब वह 20-30 ग्राम तक सीमित रह गया है. उन्होंने सरकार से इस संबंध में रिसर्च सेंटर की मदद से इस समस्या के समाधान की मांग उठाई है.

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Intro:संतरे के बागवानों पर भी पड़ रहा है प्रदूषण का प्रभाव नहीं बढ़ रहा है संतरे का साइज
किसानों के चेहरे मुरझाए प्रशासन नहीं दे रहा है कोई ध्यान

एक संतरे व किन्नू का साइज 50 से 70 ग्राम का था परंतु अबकी बार 20-30 ग्राम आसारा नजर आए
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हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के पांवटा के मैदानी इलाकों में संतरे के फल की बंपर पैदावार होती थी परंतु इस बार मौसम व प्रदूषण की मार पड़ रही है स्थानीय बागवानों का कहना है कि प्रदूषण के कारण वह मौसम में बदलाव के कारण संतरा व किन्नू का साइज प्रॉपर नहीं आ पाया है जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है बाजार में तो संतरे 50 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं परंतु जो ठेकेदार इन बागो को खरीदते हैं वह ₹10 प्रति किलो के हिसाब से ही खरीदते हैं जिससे कि इन बागवानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई उचित प्रबंध नहीं किया गया हैं कि वह इस पर कोई रिसर्च कर सके कि आखिर इनकी फसल कम क्यों हो रही है तथा उचित क्वालिटी की पैदावार क्यों नहीं हो पा रही है माजरा निवासी प्रेम सिंह ने बताया कि वह पिछले 25 सालों से इस बागवानी को कर रहे हैं तथा पहले मौसम के चलते बहुत अच्छी संतरे की पैदावार होती थी मौसम में बदलाव हो रहा है जिससे फसल में भी बदलाव आ रहा है तथा पहले एक संतरे व किन्नू का साइज 50 से 70 ग्राम का था परंतु अब वह 20-30 ग्राम रह चुका हैConclusion:
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