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कोरोना वॉरियर्स! रोटी और छत से वंचित हो रहे HRTC के ड्राइवर-कंडक्टर

कोरोना के डर से अब चालकों व परिचालकों को बहुत से क्षेत्रों में आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. ऐसे में संबंधित कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं. कोरोना से पहले जिन चालकों व परिचालकों को उस्ताद जी कहकर आवभगत की जाती थी, वहीं अब बुद्धिजीवी वर्ग के लिए बेगाने हो गए हैं.

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Published : Jun 6, 2020, 2:30 PM IST

नाहन: कोरोना महामारी के बीच लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रहे हिमाचल पथ परिवहन निगम के चालकों व परिचालकों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. अधिकतर स्थानों पर रात्रि ठहराव के दौरान मुश्किल की इस घड़ी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ये कोरोना वॉरियर्स रोटी और छत के लिए तरस रहे हैं.

कभी जिनकी उस्ताद जी कहकर सेवा होती थी, अब उन्हीं लोगों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है. सीधे शब्दों में कहें तो कोरोना के डर से अब चालकों व परिचालकों को बहुत से क्षेत्रों में आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. ऐसे में संबंधित कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं.

वीडियो.

दरअसल बाकी यदि सिरमौर जिला के ही करें तो यहां बहुत से ऐसे ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों के स्थान हैं, जहां पर बसों का रात्रि ठहराव होता आया है, लेकिन कोरोना के चलते कभी उस्ताद जी कहकर सेवा करने वाले लोगों ने वर्तमान परिस्थितियों में मानों इन्हें बेगाना कर दिया है.

जिला के गातू, रामाधौण, नहरसवार, भवाई ब्लीच, खारी अछोन, कोटिधिमान, अरलू, संगड़ाह, बडोल, कुंहठ आदि बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर रात्रि के समय ना तो चालकों व परिचालकों को ठहरने का स्थान मुहैया करवाया जा रहा है और न ही उन्हें खाने के लिए कुछ उपलब्ध करवाया जा रहा है, जबकि कोरोना से पहले भी इन क्षेत्रों में बसों का रात्रि ठहराव होता था.

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हालांकि पहले एचआरटीसी के कर्मचारी बसों में ही रात गुजार लिया करते थे, लेकिन अब कोरोना के चलते संबंधित क्षेत्रों में बस रात्रि में सेनिटाइज भी नहीं हो पाती. ऐसे में संबंधित क्षेत्रों में कर्मचारियों को रात्रि ठहराव या भोजन इत्यादि के लिए आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. यहां तक उन्हें पीने का पानी तक भी मुहैया नहीं करवाया जाता.

एचआरटीसी नाहन डिपो के चालकों व परिचालकों ने ईटीवी भारत के साथ इस समस्या को सांझा करते हुए प्रशासन से इस दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की है. ईटीवी भारत से बातचीत में एचआरटीसी नाहन डिपो के चालकों व परिचालकों ने बताया कि जो बसे रात्रि में ठहराव कर रही हैं, वहां संबंधित क्षेत्रों में लोग खाने के लिए इंकार कर रहे हैं. कोविड-19 की वजह से लोग उनसे दूरी बना रहे हैं.

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हालांकि सरकार ने चालकों परिचालकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन कई समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ रहा है. वहीं, नाहन डिपो के चालक के अनुसार जब बसें लेकर जा रहे हैं, तो रात्रि ठहराव में रहने की सुविधा नहीं मिल रही है. न कोई खाने को दे रहा है और न ही कोई रात्रि ठहराव की सुविधा.

नाहन बस स्टैंड के अड्डा प्रभारी सुखराम ठाकुर ने बताया कि चालकों और परिचालकों को बड़ी समस्या आ रही है. जहां भी जाते हैं, वहां न तो खाने का प्रबंध हो रहा है, न ही रहने वालों नहाने इत्यादि का. जिला के बहुत से क्षेत्रों में पंचायतों के बुद्धिजीवी लोग भी खाना खिलाने वा रात्रि ठहराव के लिए मुकर चुके हैं. यदि कोई एक-दो तैयार भी हो जाता है, तो इसकी एवज में किराए की मांग की जाती है.

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कुल मिलाकर कोरोना से पहले जिन चालकों व परिचालकों को उस्ताद जी कहकर आवभगत की जाती थी, वहीं अब बुद्धिजीवी वर्ग के लिए बेगाने हो गए हैं और एचआरटीसी के यह कोरोना वॉरियर्स रात्रि ठहराव में रोटी और छत से वंचित हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- रिपोर्ट आने से पहले ही युवक पहुंच गया पच्छाद, हरियाणा में निकला कोरोना पॉजिटिव

नाहन: कोरोना महामारी के बीच लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रहे हिमाचल पथ परिवहन निगम के चालकों व परिचालकों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. अधिकतर स्थानों पर रात्रि ठहराव के दौरान मुश्किल की इस घड़ी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ये कोरोना वॉरियर्स रोटी और छत के लिए तरस रहे हैं.

कभी जिनकी उस्ताद जी कहकर सेवा होती थी, अब उन्हीं लोगों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है. सीधे शब्दों में कहें तो कोरोना के डर से अब चालकों व परिचालकों को बहुत से क्षेत्रों में आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. ऐसे में संबंधित कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं.

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दरअसल बाकी यदि सिरमौर जिला के ही करें तो यहां बहुत से ऐसे ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों के स्थान हैं, जहां पर बसों का रात्रि ठहराव होता आया है, लेकिन कोरोना के चलते कभी उस्ताद जी कहकर सेवा करने वाले लोगों ने वर्तमान परिस्थितियों में मानों इन्हें बेगाना कर दिया है.

जिला के गातू, रामाधौण, नहरसवार, भवाई ब्लीच, खारी अछोन, कोटिधिमान, अरलू, संगड़ाह, बडोल, कुंहठ आदि बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर रात्रि के समय ना तो चालकों व परिचालकों को ठहरने का स्थान मुहैया करवाया जा रहा है और न ही उन्हें खाने के लिए कुछ उपलब्ध करवाया जा रहा है, जबकि कोरोना से पहले भी इन क्षेत्रों में बसों का रात्रि ठहराव होता था.

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हालांकि पहले एचआरटीसी के कर्मचारी बसों में ही रात गुजार लिया करते थे, लेकिन अब कोरोना के चलते संबंधित क्षेत्रों में बस रात्रि में सेनिटाइज भी नहीं हो पाती. ऐसे में संबंधित क्षेत्रों में कर्मचारियों को रात्रि ठहराव या भोजन इत्यादि के लिए आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. यहां तक उन्हें पीने का पानी तक भी मुहैया नहीं करवाया जाता.

एचआरटीसी नाहन डिपो के चालकों व परिचालकों ने ईटीवी भारत के साथ इस समस्या को सांझा करते हुए प्रशासन से इस दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की है. ईटीवी भारत से बातचीत में एचआरटीसी नाहन डिपो के चालकों व परिचालकों ने बताया कि जो बसे रात्रि में ठहराव कर रही हैं, वहां संबंधित क्षेत्रों में लोग खाने के लिए इंकार कर रहे हैं. कोविड-19 की वजह से लोग उनसे दूरी बना रहे हैं.

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हालांकि सरकार ने चालकों परिचालकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन कई समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ रहा है. वहीं, नाहन डिपो के चालक के अनुसार जब बसें लेकर जा रहे हैं, तो रात्रि ठहराव में रहने की सुविधा नहीं मिल रही है. न कोई खाने को दे रहा है और न ही कोई रात्रि ठहराव की सुविधा.

नाहन बस स्टैंड के अड्डा प्रभारी सुखराम ठाकुर ने बताया कि चालकों और परिचालकों को बड़ी समस्या आ रही है. जहां भी जाते हैं, वहां न तो खाने का प्रबंध हो रहा है, न ही रहने वालों नहाने इत्यादि का. जिला के बहुत से क्षेत्रों में पंचायतों के बुद्धिजीवी लोग भी खाना खिलाने वा रात्रि ठहराव के लिए मुकर चुके हैं. यदि कोई एक-दो तैयार भी हो जाता है, तो इसकी एवज में किराए की मांग की जाती है.

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कुल मिलाकर कोरोना से पहले जिन चालकों व परिचालकों को उस्ताद जी कहकर आवभगत की जाती थी, वहीं अब बुद्धिजीवी वर्ग के लिए बेगाने हो गए हैं और एचआरटीसी के यह कोरोना वॉरियर्स रात्रि ठहराव में रोटी और छत से वंचित हो रहे हैं.

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