नाहन: प्रदेश के जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब में पैदा हो रही स्ट्रॉबरी की डिमांड पड़ोसी राज्यों में काफी अधिक हो रही है. यही नहीं स्ट्रॉबरी के अच्छे दाम मिलने से उत्पादक भी बेहद खुश है. साथ-साथ स्ट्रॉबरी की खेती से युवाओं की आर्थिक स्थिति भी मजबूती की ओर बढ़ रही है.
हिमाचली स्ट्रॉबरी की खेती दरअसल सिरमौर जिले के मैदानी क्षेत्र पांवटा साहिब साहिब, पुरुवाला, सूरजपुर माजरा, बद्रीपुर व आसपास के इलाकों में भारी मात्रा में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन किया जा रहा है. यहां की स्ट्रॉबेरी हिमाचल प्रदेश के साथ लगते पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, हरियाणा व पंजाब में सप्लाई की जा रही है. स्ट्रॉबेरी उत्पादकों को 140 से लेकर 160 रुपये तक प्रति किलो दाम मिल रहे है.
हिमाचली स्ट्रॉबरी की खेती बताया जाता है कि स्ट्रॉबरी कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम है. डायबिटीज, गैस व गुर्दे सहित अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता है. स्ट्रॉबेरी के 100 ग्राम फल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन बी और सी की प्रचुर मात्रा होती है.
वहीं, स्ट्रॉबेरी को उगाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. लगभग 3 से 5 रुपये के बीच इसका पौधा खरीदा जाता है. पौधे को लगाने के लिए मिट्टी को बिल्कुल नरम बनाकर पौधा लगाया जाता है. लगभग दो अढाई महीने में स्ट्रॉबेरी का पौधा तैयार हो जाता है. किसानों का मानना है कि प्रदेश सरकार उन्हें इस फसल का अच्छा मुहावजा दें, ताकि यहां का किसान भी आगे बढ़ सके.
हिमाचली स्ट्रॉबरी की खेती स्ट्रॉबरी का उत्पादन करने वाले किसानों का मानना है कि इस बार अच्छी फसल हुई है. स्ट्रॉबेरी के अच्छे दाम भी मिलने के कारण क्षेत्र के किसानों को काफी लाभ मिल रहा है. वहीं, स्ट्रॉबेरी से रोजाना 1000 से 1500 रुपये का फायदा हो रहा है.
जूस की रेहड़ी लगाकर बाहर से आए हुए टूरिस्ट को अच्छे दामों पर जूस बेचकर युवकों को भी रोजगार मिल रहा है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पांवटा साहिब जाने वाले लोग यहीं से गुजरते हैं. युवक ने बताया कि इस बार लोग स्ट्रॉबरी के जूस का भी भरपूर आनंद ले रहे हैं. 30 से 40 का एक गिलास जूस का बेचा जा रहा है.