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अब ऊंटनी का दूध पीएंगे हिमाचली, बीकानेर से सिरमौर पहुंची मादा ऊंट का डीसी ने किया स्वागत

ऊंटनी के दूध के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सिरमौर जिला प्रशासन राजस्थान के बीकानेर से मादा ऊंट को लाया है. डीसी सिरमौर ने कहा कि मादा ऊंट के दूध का उत्पादन उतराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसी भी स्थान पर नहीं होता है. अब हिमाचल के सिरमौर में मादा ऊंट के दूध व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाएगा.

मेहर के साथ डीसी ललित जैन
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Published : Jul 4, 2019, 3:44 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 4:22 PM IST

नाहन: सिरमौर जिला के विकास खंड नाहन में स्थित भेड़ों गांव में पहली बार मेहर ने अपने नवजात बच्चे के साथ कदम रखा. गांव के लोगों ने मेहर का स्वागत एक मेहमान की तरह किया. सिरमौर के डीसी ललित स्वयं मेहर का स्वागत करने भेड़ों गांव पहुंचे.

दरअसल मेहर एक ऊंटनी का नाम है. ऊंटनी के दूध के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सिरमौर जिला प्रशासन स्वयं मेहर को राजस्थान के बीकानेर से लाया है. डीसी सिरमौर ने कहा कि मादा ऊंट के दूध का उत्पादन उतराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसी भी स्थान पर नहीं होता है. अब हिमाचल के सिरमौर में मादा ऊंट के दूध व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाएगा.

नहीं थी मादा ऊंट
डीसी ने कहा कि मेहर ( सिरमौर लाई गई मादा ऊंट) ने तीन दिन लगातार सफर करने के बाद भी दो किलोग्राम दूध दिया. दूध की गुणवत्ता और स्वाद को उन्होंने खुद टेस्ट किया है. डीसी सिरमौर ललित जैन ने कहा कि नाहन के कुछ गांवों जैसे मातर-भेड़ों, बर्मा-पापड़ी इत्यादि क्षेत्रों में बोझा ढोने के लिए लोगों ने ऊंट पाले हैं, लेकिन किसी भी गांव में मादा ऊंट नहीं थी. उन्होने पशुपालन विभाग की टीम के साथ बैठक कर इन क्षेत्रों में ऊंटनी के दूध उत्पादन की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा था.

मेहर के साथ डीसी ललित जैन और ग्रामीण
मेहर के साथ डीसी ललित जैन और ग्रामीण

इसके बाद पशुपालन विभाग ने भेड़ों गांव की जलवायु को मादा ऊंट के पालन के लिए उपयुक्त पाया. इसके बाद सिरमौर जिला प्रशासन ने राजस्थान स्थित बीकानेर जिले के कलेक्टर के साथ इस मसले पर बातचीत की थी. दो महीने तक हुई बातचीत के बाद पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन सिरमौर के सहयोग से मादा ऊंट को राजस्थान के बीकानेर से भेड़ों गांव लाया गया. मेहर को भेड़ों गांव के मौलाना अब्दुल हुसैन को पालने के लिए दिया गया है. मौलाना अब्दुल हुसैन कई सालों से ऊंट पालन व्यवसाय कर रहे है.

ग्रामीणों के साथ डीसी ललित जैन
ग्रामीणों के साथ डीसी ललित जैन

लोगों को किया जाएगा जागरुक
डीसी सिरमौर ललित जैन ने कहा कि जिला में मादा ऊंट के दूध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए मेहर को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर सिरमौर लाया गया है. प्रोजेक्ट के सफल होने पर जिले भर में मादा ऊंट को पालने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा, ताकि सिरमौर जिला को ऊंटनी का दूध उत्पादित करने का गौरव हासिल हो सके.

ऊंटनी के दूध के फायदे

  • ऊंटनी के दूध में लेक्टोफेरिन नामक तत्व पाया जाता है. ये कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की मदद करता है.
  • ब्लड शुगर, इंफेक्शन, तपेदिक, हृदय रोग, गैंगरीन, आंत में जलन, गैस्ट्रिक कैंसर, हैपेटाइटिस सी, एड्स, अल्सर, किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए ऊंटनी का दूध लाभकारी है.
  • ऊंटनी के दूध में शर्करा, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्निशियम, विटामिन-ए, कार्बोहाइड्रेट,सुगर, फाइबर ,लैक्टिक अम्ल जैसे बहुत सारे तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर को सुंदर और निरोगी बनाते हैं.
  • ऊंटनी के दूध में भारी मात्रा में प्रोटीन होता है. ये दिमाग के सेल्स को विकसित करने में मदद करता है. रोजाना एक गिलास ये दूध पीने से स्मरण शाक्ति मजबूत होती है.
  • ऊंटनी का दूध खून से शुगर लेवल कम करने में भी लाभकारी होता है और इंसुलिन की मात्रा को बैलेंस करता है.
  • ऊंटनी का दूध इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और संक्रामक रोगों का खतरा कम हो जाता है.
  • ऊंटनी के दूध का प्रयोग पीलिया, टीबी, दमा, खून की कमी और बवासीर जैसी खतरनाक बीमारियों से निपटने में भी फायदेमंद साबित होता है.
  • ऊंटनी के दूध में पायाय जाने वाला कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है. साथ ही ये लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है.
  • जिन महिलाओं को पीरियड्स में दिक्कत होती है उन्हें कनकायान वटी को ऊंटनी के दूध के साथ लेना चाहिए.
  • ऊंटनी के दूध में पाए जाने वाले अल्फा हाइड्रोक्सिल त्वचा को सुंदर और गोरा रखते हैं.

पाश्चुरीकरण प्लांट की सुविधा देने का प्रयास
डीसी सिरमौर ने कहा कि मेहर के आने से भेड़ों गांव के लोगों की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आएगा और ऊंटनी के दूध की मांग भी जिला के अतिरिक्त पड़ोसी राज्य से भी आने लगेगी. दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए गांव में एक छोटे से पाश्चुरीकरण प्लांट की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे. डीसी ने जिला आयुर्वेद अधिकारी को निर्देश दिए कि जिला में मधुमेह रोगियों पर ऊंटनी का दूध का प्रयोग किया जाए, ताकि मधुमेह के रोगियों को लाभ मिल सके.

नाहन: सिरमौर जिला के विकास खंड नाहन में स्थित भेड़ों गांव में पहली बार मेहर ने अपने नवजात बच्चे के साथ कदम रखा. गांव के लोगों ने मेहर का स्वागत एक मेहमान की तरह किया. सिरमौर के डीसी ललित स्वयं मेहर का स्वागत करने भेड़ों गांव पहुंचे.

दरअसल मेहर एक ऊंटनी का नाम है. ऊंटनी के दूध के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सिरमौर जिला प्रशासन स्वयं मेहर को राजस्थान के बीकानेर से लाया है. डीसी सिरमौर ने कहा कि मादा ऊंट के दूध का उत्पादन उतराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसी भी स्थान पर नहीं होता है. अब हिमाचल के सिरमौर में मादा ऊंट के दूध व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाएगा.

नहीं थी मादा ऊंट
डीसी ने कहा कि मेहर ( सिरमौर लाई गई मादा ऊंट) ने तीन दिन लगातार सफर करने के बाद भी दो किलोग्राम दूध दिया. दूध की गुणवत्ता और स्वाद को उन्होंने खुद टेस्ट किया है. डीसी सिरमौर ललित जैन ने कहा कि नाहन के कुछ गांवों जैसे मातर-भेड़ों, बर्मा-पापड़ी इत्यादि क्षेत्रों में बोझा ढोने के लिए लोगों ने ऊंट पाले हैं, लेकिन किसी भी गांव में मादा ऊंट नहीं थी. उन्होने पशुपालन विभाग की टीम के साथ बैठक कर इन क्षेत्रों में ऊंटनी के दूध उत्पादन की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा था.

मेहर के साथ डीसी ललित जैन और ग्रामीण
मेहर के साथ डीसी ललित जैन और ग्रामीण

इसके बाद पशुपालन विभाग ने भेड़ों गांव की जलवायु को मादा ऊंट के पालन के लिए उपयुक्त पाया. इसके बाद सिरमौर जिला प्रशासन ने राजस्थान स्थित बीकानेर जिले के कलेक्टर के साथ इस मसले पर बातचीत की थी. दो महीने तक हुई बातचीत के बाद पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन सिरमौर के सहयोग से मादा ऊंट को राजस्थान के बीकानेर से भेड़ों गांव लाया गया. मेहर को भेड़ों गांव के मौलाना अब्दुल हुसैन को पालने के लिए दिया गया है. मौलाना अब्दुल हुसैन कई सालों से ऊंट पालन व्यवसाय कर रहे है.

ग्रामीणों के साथ डीसी ललित जैन
ग्रामीणों के साथ डीसी ललित जैन

लोगों को किया जाएगा जागरुक
डीसी सिरमौर ललित जैन ने कहा कि जिला में मादा ऊंट के दूध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए मेहर को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर सिरमौर लाया गया है. प्रोजेक्ट के सफल होने पर जिले भर में मादा ऊंट को पालने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा, ताकि सिरमौर जिला को ऊंटनी का दूध उत्पादित करने का गौरव हासिल हो सके.

ऊंटनी के दूध के फायदे

  • ऊंटनी के दूध में लेक्टोफेरिन नामक तत्व पाया जाता है. ये कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की मदद करता है.
  • ब्लड शुगर, इंफेक्शन, तपेदिक, हृदय रोग, गैंगरीन, आंत में जलन, गैस्ट्रिक कैंसर, हैपेटाइटिस सी, एड्स, अल्सर, किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए ऊंटनी का दूध लाभकारी है.
  • ऊंटनी के दूध में शर्करा, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्निशियम, विटामिन-ए, कार्बोहाइड्रेट,सुगर, फाइबर ,लैक्टिक अम्ल जैसे बहुत सारे तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर को सुंदर और निरोगी बनाते हैं.
  • ऊंटनी के दूध में भारी मात्रा में प्रोटीन होता है. ये दिमाग के सेल्स को विकसित करने में मदद करता है. रोजाना एक गिलास ये दूध पीने से स्मरण शाक्ति मजबूत होती है.
  • ऊंटनी का दूध खून से शुगर लेवल कम करने में भी लाभकारी होता है और इंसुलिन की मात्रा को बैलेंस करता है.
  • ऊंटनी का दूध इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और संक्रामक रोगों का खतरा कम हो जाता है.
  • ऊंटनी के दूध का प्रयोग पीलिया, टीबी, दमा, खून की कमी और बवासीर जैसी खतरनाक बीमारियों से निपटने में भी फायदेमंद साबित होता है.
  • ऊंटनी के दूध में पायाय जाने वाला कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है. साथ ही ये लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है.
  • जिन महिलाओं को पीरियड्स में दिक्कत होती है उन्हें कनकायान वटी को ऊंटनी के दूध के साथ लेना चाहिए.
  • ऊंटनी के दूध में पाए जाने वाले अल्फा हाइड्रोक्सिल त्वचा को सुंदर और गोरा रखते हैं.

पाश्चुरीकरण प्लांट की सुविधा देने का प्रयास
डीसी सिरमौर ने कहा कि मेहर के आने से भेड़ों गांव के लोगों की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आएगा और ऊंटनी के दूध की मांग भी जिला के अतिरिक्त पड़ोसी राज्य से भी आने लगेगी. दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए गांव में एक छोटे से पाश्चुरीकरण प्लांट की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे. डीसी ने जिला आयुर्वेद अधिकारी को निर्देश दिए कि जिला में मधुमेह रोगियों पर ऊंटनी का दूध का प्रयोग किया जाए, ताकि मधुमेह के रोगियों को लाभ मिल सके.

Intro:मेहर मादा ऊंट के आने से ऊंटनी के दूध का सिरमौर में हुआ प्रादुर्भाव, डीसी ने चखा दूध का स्वाद
-मेहर का उपायुक्त सिरमौर ने भेड़ों गांव में किया स्वागत और दूध का स्वाद भी चखा
-जिला प्रशासन द्वारा राजस्थान के बीकानेर से लाई गई मेहर
-ऊंटनी का दूध उत्पादित करने वाला उत्तर भारत का पहला जिला बना सिरमौर
नाहन। विकास खंड नाहन के भेड़ों गांव में मेहर के पहली बार पदार्पण करने पर स्थानीय लोगों द्वारा एक अतिथि के रूप में भव्य स्वागत किया गया और मेहर के आगमन पर भेड़ों गांव का वातावरण किसी पर्व से कम नहीं था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि लोग किसी अपने खास का इंतजार वर्षो से कर रहे थे। डीसी सिरमौर ललित जैन द्वारा बुधवार को स्वयं भेड़ों पहुंचकर मेहर (ऊंटनी) का स्वागत किया और लोगों को बधाई दी।
Body:दरअसल मेहर एक ऊंटनी का नाम है, जिसे जिला प्रशासन द्वारा राजस्थान के बीकानेर से लाया गया है, ताकि जिला में ऊंटनी के दूध को बढ़ावा मिल सके। डीसी सिरमौर ने कहा कि मेहर ऊंटनी के आने से जिला सिरमौर ऊंटनी का दूध उत्पादित करने वाला उतरी भारत में पहला जिला बन गया है। उन्होंने कहा कि उतराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के किसी भी स्थान पर मादा ऊंट का दूध उत्पादित नहीं किया जाता है। डीसी ने कहा कि मेहर ने तीन दिन से लगातार सफर करने के बावजूद भी भेड़ों गांव पहुंचकर दो किलोग्राम दूध दिया, जिसकी गुणवता व स्वाद का टेस्ट उनके द्वारा भी किया गया। उन्होंने बताया कि मेहर मादा ऊंट के साथ नवजात मादा बच्चा भी है।
डीसी ने कहा कि नाहन के कुछ गांव मातर-भेड़ों, बर्मा-पापड़ी इत्यादि क्षेत्रों में लोगों द्वारा बोझा ढोने इत्यादि कार्य के लिए ऊंट रखे है, परंतु मादा ऊंट नहीं थी। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पशुपालन विभाग की टीम के साथ बैठक करके इन क्षेत्रों में ऊंटनी के दूध उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाने को कहा गया और पशुपालन विभाग द्वारा भेड़ों का जलवायु मादा ऊंट को रखने के लिए काफी उपयुक्त पाया गया। डीसी ने कहा कि मादा ऊंट को लाने के लिए उनके द्वारा राजस्थान के बीकानेर के जिला कलैक्टर के साथ मामला उठाया गया और लगभग दो मास से लगातार संपर्क बनाए रखने के बावजूद पशुपालन विभाग जिला प्रशासन के सहयोग से मादा ऊंट को राजस्थान के बीकानेर से लाने में सफल हुआ। उन्होंने कहा कि जिला में ऊंटनी के दूध को बड़े पैमाने पर उत्पादित करने के दृष्टिगत मेहर को पायलट के आधार पर लाया गया है और इस मेहर मादा ऊंट की बेहतरीन उपलब्धि मिलने के उपरांत जिला के उपयुक्त स्थानों पर मादा ऊंट को पालने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा, ताकि सिरमौर जिला को ऊंटनी का दूध उत्पादित करने का गौरव हासिल हो सके। डीसी ने कहा कि मेहर मादा ऊंट को भेड़ों गांव के मौलाना अब्दुल हुसैन को पालने के लिए दिया गया है, चूंकि वह काफी वर्षो से ऊंट पालन व्यवसाय कर रहे है। उन्होंने बताया कि ऊंटनी का दूध बहुत पौष्टिक गुणों से भरपूर है और मधुमेह इत्यादि रोगों के उपचार के लिए काफी लाभदायक माना जाता है। उन्होंने कहा कि अमूल कंपनी द्वारा गुजरात के अहमदाबाद में ऊंटनी के दूध को कम मात्रा में विपणन किया जा रहा है। डीसी ने कहा कि मेहर के आने से भेड़ों गांव लोगों की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आएगा और ऊंटनी के दूध की मांग भी जिला के अतिरिक्त पड़ोसी राज्य से भी आने लगेगी। उन्होंने कहा कि दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए गांव में एक छोटे से पाश्चुरीकरण की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। डीसी ने जिला आयुर्वेद अधिकारी को निर्देश दिए कि जिला में मधुमेह रोगियों पर ऊंटनी का दूध का प्रयोग किया जाए, ताकि मधुमेह के रोगियों को लाभ मिल सके।
Conclusion:
Last Updated : Jul 4, 2019, 4:22 PM IST
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