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लहसुन के सही दाम मिलने के इंतजार में राजगढ़ के किसान, जानिए अभी क्या है रेट

कोरोना काल के दौरान किसानों ने अपनी फसल लहसुन को सूखा कर स्टोर कर दी है और अब अच्छे साइज के लहसुन के रेट में एक बार फिर उछाल आया है और अब लहसुन के सुपर क्वालिटी के दाम 110-120 रुपए तक व्यापारी देने को तैयार हैं लेकिन किसान अभी दाम और बढ़ने की आस में बिक्री नहीं कर रहे हैं. लहसुन उत्पादक ने बताया कि ट्रिपल ए ग्रेड के लहसुन के दाम 110 से 120 रुपए, ए ग्रेड 90 से 100 रुपए तक है.

Farmers of Rajgarh wait for the price of garlic to increase
फोटो.
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Published : Jun 15, 2021, 3:59 PM IST

राजगढ़: कोरोना काल के दौरान किसानों ने अपनी प्रमुख नकदी फसल लहसुन को निकालकर व सूखा कर स्टोर कर दी है. भले ही अच्छे साइज के लहसुन का रेट 110-120 रुपए किलो तक पहुंच गया है लेकिन किसान इस दाम पर भी लहसुन बेचने को तैयार नहीं हैं. इसका प्रमुख कारण पिछले वर्ष किसानों को मिले 180-190 रुपए किलो दाम है. किसान इस वर्ष भी रेट 150 रुपए किलो तक जाने की आस लगाए हुए हैं.

किसानों को लहसुन के दाम में बढ़ोतरी का इंतजार

किसानों को पहले लहसुन के दाम खेतों से ही 100 रुपये प्रति किलो तक मिले जोकि बाद में 80-90 रुपए तक कम हो गए थे लेकिन इसमें अब एक बार फिर उछाल आया है और अब अच्छे साइज के सुपर क्वालिटी के दाम 110-120 रुपए तक व्यापारी देने को तैयार हैं लेकिन किसान अभी दाम और बढ़ने की आस में बिक्री नहीं कर रहे हैं. लहसुन उत्पादक ने बताया कि ट्रिपल ए ग्रेड के लहसुन के दाम 110 से 120 रुपए, ए ग्रेड 90 से 100 रुपए तक है.

बरसात के बाद लहसुन की बिक्री करते हैं किसान

जानकारी के अनुसार यहां पूरे क्षेत्र में लहसुन की बंपर फसल होती है और यहां के किसान सबसे आखिर में बरसात के बाद लहसुन की बिक्री करते हैं. पिछले साल भले ही यहां किसानों को लहसुन के दाम प्रति किलो 190 रुपए तक मिले हों लेकिन व्यापारियों को सीजन के अंत में नुकसान होने से किसानों के लाखों रुपए नहीं मिल पाए. इसलिए वह नकद पैसा देने वालों को ही इस बार फसल बेचने की तैयारी में हैं.

चीन व अफगानिस्तान से भी आता है लहसुन

आढ़ती पृथ्वीराज व यशवंत सिंह ने बताया कि यदि चीन व अफगानिस्तान से लहसुन आता है तो दामों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. किसानों को 100 से 120 प्रति किलो दाम ही मिल पाएंगे लेकिन यदि नहीं आया तो थोड़ा दाम बढ़ सकता है.

72 हेक्टयर भूमि पर लगता है लहसुन

विषय विशेषज्ञ कृषि एस एस राणा ने बताया कि राजगढ़ क्षेत्र में ही करीब 72 हेक्टयर भूमि पर किसान लहसुन की खेती करते हैं. जिसका उत्पादन करीब 8 से 11 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होता है. औसतन 650-700 मीट्रिक टन उत्पादन यहां होता है.

यह भी पढ़ें :- गुड़िया रेप और हत्या मामला: CBI ने की फांसी की मांग, 18 जून को होगा सजा का ऐलान

राजगढ़: कोरोना काल के दौरान किसानों ने अपनी प्रमुख नकदी फसल लहसुन को निकालकर व सूखा कर स्टोर कर दी है. भले ही अच्छे साइज के लहसुन का रेट 110-120 रुपए किलो तक पहुंच गया है लेकिन किसान इस दाम पर भी लहसुन बेचने को तैयार नहीं हैं. इसका प्रमुख कारण पिछले वर्ष किसानों को मिले 180-190 रुपए किलो दाम है. किसान इस वर्ष भी रेट 150 रुपए किलो तक जाने की आस लगाए हुए हैं.

किसानों को लहसुन के दाम में बढ़ोतरी का इंतजार

किसानों को पहले लहसुन के दाम खेतों से ही 100 रुपये प्रति किलो तक मिले जोकि बाद में 80-90 रुपए तक कम हो गए थे लेकिन इसमें अब एक बार फिर उछाल आया है और अब अच्छे साइज के सुपर क्वालिटी के दाम 110-120 रुपए तक व्यापारी देने को तैयार हैं लेकिन किसान अभी दाम और बढ़ने की आस में बिक्री नहीं कर रहे हैं. लहसुन उत्पादक ने बताया कि ट्रिपल ए ग्रेड के लहसुन के दाम 110 से 120 रुपए, ए ग्रेड 90 से 100 रुपए तक है.

बरसात के बाद लहसुन की बिक्री करते हैं किसान

जानकारी के अनुसार यहां पूरे क्षेत्र में लहसुन की बंपर फसल होती है और यहां के किसान सबसे आखिर में बरसात के बाद लहसुन की बिक्री करते हैं. पिछले साल भले ही यहां किसानों को लहसुन के दाम प्रति किलो 190 रुपए तक मिले हों लेकिन व्यापारियों को सीजन के अंत में नुकसान होने से किसानों के लाखों रुपए नहीं मिल पाए. इसलिए वह नकद पैसा देने वालों को ही इस बार फसल बेचने की तैयारी में हैं.

चीन व अफगानिस्तान से भी आता है लहसुन

आढ़ती पृथ्वीराज व यशवंत सिंह ने बताया कि यदि चीन व अफगानिस्तान से लहसुन आता है तो दामों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. किसानों को 100 से 120 प्रति किलो दाम ही मिल पाएंगे लेकिन यदि नहीं आया तो थोड़ा दाम बढ़ सकता है.

72 हेक्टयर भूमि पर लगता है लहसुन

विषय विशेषज्ञ कृषि एस एस राणा ने बताया कि राजगढ़ क्षेत्र में ही करीब 72 हेक्टयर भूमि पर किसान लहसुन की खेती करते हैं. जिसका उत्पादन करीब 8 से 11 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होता है. औसतन 650-700 मीट्रिक टन उत्पादन यहां होता है.

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