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सिरमौर में बूढ़ी दिवाली का समापन, लोगों में दिखा खासा उत्साह

जौनसार क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गुरुवार को काठ के हिरन और हाथी नृत्य संग बूढ़ी दिवाली का समापन हुआ. क्षेत्र के कई गांवों में शुक्रवार शाम बूढ़ी दिवाली को विदा किया जाएगा.

Badhi Diwali concludes in Sirmaur
फोटो.
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Published : Dec 17, 2020, 6:35 PM IST

शिलाई: जौनसार क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गुरुवार को काठ के हिरन और हाथी नृत्य संग बूढ़ी दिवाली का समापन हुआ. पंचायती आंगनों में एकत्र ग्रामीणों ने ढोल की थाप पर नृत्य कर दिवाली की खुशियां बांटी. क्षेत्र के कई गांवों में शुक्रवार शाम बूढ़ी दिवाली को विदा किया जाएगा.

जौनसार के कोरूबा, हाजा, सकनी, पानुवा, नेवी, समाल्टा, डामटा, अलसी, बडनू, कनबुआ, गोथान, बसाया, मसराड़, कुरोली, पंजिया, डामटा, उपरोली, बोहरी, खतासा आदि गांवों में गुरुवार को दिवाली के समापन की अनूठी छटाएं देखने को मिली.

वीडियो.

नृत्य कर पर्व की खुशियां बांटी गई

दोपहर होते ही पंचायती आंगनों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. काठ से बनाये गये हिरन और हाथी के साथ गांवों के स्याणाओं ने नृत्य कर पर्व की खुशियां बांटी. इसके बाद शाम होते ही गांवों के नौजवानों ने पंचायती आंगन में लकड़ियां एकत्र कर खरोड़ा जलाया.

मेहमानों की खूब आव भगत

ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से अपने पारम्परिक वाद्य यंत्रों ढोल, दमाऊ, रणसिंगा की थाप पर नृत्य किया. गांवों में देर शाम तक दावतों का दौर भी चलता रहा. ग्रामीणों ने घरों में पहुंचे मेहमानों की खूब आव भगत की. कुल मिलाकर बूढ़ी दिवाली के समापन पर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला.

शिलाई: जौनसार क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गुरुवार को काठ के हिरन और हाथी नृत्य संग बूढ़ी दिवाली का समापन हुआ. पंचायती आंगनों में एकत्र ग्रामीणों ने ढोल की थाप पर नृत्य कर दिवाली की खुशियां बांटी. क्षेत्र के कई गांवों में शुक्रवार शाम बूढ़ी दिवाली को विदा किया जाएगा.

जौनसार के कोरूबा, हाजा, सकनी, पानुवा, नेवी, समाल्टा, डामटा, अलसी, बडनू, कनबुआ, गोथान, बसाया, मसराड़, कुरोली, पंजिया, डामटा, उपरोली, बोहरी, खतासा आदि गांवों में गुरुवार को दिवाली के समापन की अनूठी छटाएं देखने को मिली.

वीडियो.

नृत्य कर पर्व की खुशियां बांटी गई

दोपहर होते ही पंचायती आंगनों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. काठ से बनाये गये हिरन और हाथी के साथ गांवों के स्याणाओं ने नृत्य कर पर्व की खुशियां बांटी. इसके बाद शाम होते ही गांवों के नौजवानों ने पंचायती आंगन में लकड़ियां एकत्र कर खरोड़ा जलाया.

मेहमानों की खूब आव भगत

ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से अपने पारम्परिक वाद्य यंत्रों ढोल, दमाऊ, रणसिंगा की थाप पर नृत्य किया. गांवों में देर शाम तक दावतों का दौर भी चलता रहा. ग्रामीणों ने घरों में पहुंचे मेहमानों की खूब आव भगत की. कुल मिलाकर बूढ़ी दिवाली के समापन पर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला.

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