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अद्भुत हिमाचल: पानी में उल्टा तैरता है ये पत्थर! लोगों की हर मनोकामना करता है पूरी

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Published : Aug 3, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Aug 3, 2020, 5:27 PM IST

हिमाचल में ऐसा बहुत कुछ है जो अद्भुत है. कई कोने अपने अंदर अद्भुत राज समेटे हुए हैं. जिनसे अधिकतर लोग वाकिफ नहीं है. हिमाचल सिर्फ अलग-अलग परंपराओं, रीति रिवाजों के साथ एक अद्भुत प्रदेश है. यहां ऐसी अद्भुत कहानियां हैं जो आपको चौंकाती हैं. ये कहानियां अकल्पनीय और अद्भुत हैं.

adhbhut himachal
अद्भुत हिमाचल

पांवटा साहिब: सिरमौर के गिरीपार की टिंबी पंचायत में अद्भुत रहस्यमयी पत्थर है. इस पत्थर में लोगों की गहरी आस्था है. कहा जाता है कि इस पत्थर ने विज्ञान को चुनौती दी है. लोग इसे चमत्कारी पत्थर मानकर पूजते हैं. बुजुर्गों और स्थानीय लोगों के अनुसार इस पत्थर की मूर्ति से जुड़ा पूरा एक अद्भुत किस्सा है.

कहा जाता है कि टिंबी पंचायत में बहने वाली नेड़ा खड्ड में एक बार भयंकर बाढ़ आई. पानी में बड़े-बड़े पत्थर नीचे की ओर बह रहे थे, लेकिन एक मूर्तिनुमा पत्थर पानी की विपरीत दिशा में ऊपर की ओर बह रहा था.

वीडियो.

एक बुजुर्ग ने पत्थर को ऊपर की ओर तैरते हुए देखा. बुजुर्ग इस पत्थर को खड्ड से निकालकर गांव में ले आया. इसके बाद एक पेड़ के नीचे मंदिर बनाकर इस मूर्तिनुमा पत्थर की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई. लोग इसे कोइली महाराज मंदिर के नाम से जानते हैं. अब ये मंदिर कई दशकों से यहां के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. शुभ कार्य से पहले लोग मंदिर में देवता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.

इसके साथ ही लोगों का कहना है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद यहां मंदिर के साथ लगे पेड़ पर चुनरी बांधते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि एक बार अगर देवता की कृप्पा हो जाए तो उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

लोगों का मानना है कि यहां एक पूरी रात गुजारने पर मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. लोगों का ये भी कहना है कि यहां मंदिर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है. मंदिर की रखवाली सांप करते हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि एक बार मंदिर के ढांचे के पुन:निर्माण के दौरान खुदाई का काम चल रहा था. खुदाई के दौरान एक शिला पर सफेद सांप कुंडली मार कर बैठा था. इसके बाद काम को रोक दिया गया.

हमने इस पत्थर के बारे में पूरी पड़ताल की, बुजुर्गों से लकर युवाओं से भी इस पत्थर के बारे में बात की. हमने ऐसे व्यक्ति को ढूंढने की कोशिश भी की जिसने इस पत्थर को तैरते हुए देखा हो, लेकिन ऐसा कोई व्यक्ति हमे नहीं मिला जिसने इस पत्थर को उल्टा तैरते देखा हो, लेकिन 70-80 साल के बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने पत्थर के तैरने की कहानी अपने दादा पड़ादादा से सुनी हैं. यही कहानी आगे भी प्रचलित है.

ये भी पढ़ें: अनोखी है यहां की परंपरा, राखी पर रहती है साली की नजर

पांवटा साहिब: सिरमौर के गिरीपार की टिंबी पंचायत में अद्भुत रहस्यमयी पत्थर है. इस पत्थर में लोगों की गहरी आस्था है. कहा जाता है कि इस पत्थर ने विज्ञान को चुनौती दी है. लोग इसे चमत्कारी पत्थर मानकर पूजते हैं. बुजुर्गों और स्थानीय लोगों के अनुसार इस पत्थर की मूर्ति से जुड़ा पूरा एक अद्भुत किस्सा है.

कहा जाता है कि टिंबी पंचायत में बहने वाली नेड़ा खड्ड में एक बार भयंकर बाढ़ आई. पानी में बड़े-बड़े पत्थर नीचे की ओर बह रहे थे, लेकिन एक मूर्तिनुमा पत्थर पानी की विपरीत दिशा में ऊपर की ओर बह रहा था.

वीडियो.

एक बुजुर्ग ने पत्थर को ऊपर की ओर तैरते हुए देखा. बुजुर्ग इस पत्थर को खड्ड से निकालकर गांव में ले आया. इसके बाद एक पेड़ के नीचे मंदिर बनाकर इस मूर्तिनुमा पत्थर की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई. लोग इसे कोइली महाराज मंदिर के नाम से जानते हैं. अब ये मंदिर कई दशकों से यहां के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. शुभ कार्य से पहले लोग मंदिर में देवता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.

इसके साथ ही लोगों का कहना है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद यहां मंदिर के साथ लगे पेड़ पर चुनरी बांधते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि एक बार अगर देवता की कृप्पा हो जाए तो उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

लोगों का मानना है कि यहां एक पूरी रात गुजारने पर मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. लोगों का ये भी कहना है कि यहां मंदिर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है. मंदिर की रखवाली सांप करते हैं. मंदिर के पुजारी ने बताया कि एक बार मंदिर के ढांचे के पुन:निर्माण के दौरान खुदाई का काम चल रहा था. खुदाई के दौरान एक शिला पर सफेद सांप कुंडली मार कर बैठा था. इसके बाद काम को रोक दिया गया.

हमने इस पत्थर के बारे में पूरी पड़ताल की, बुजुर्गों से लकर युवाओं से भी इस पत्थर के बारे में बात की. हमने ऐसे व्यक्ति को ढूंढने की कोशिश भी की जिसने इस पत्थर को तैरते हुए देखा हो, लेकिन ऐसा कोई व्यक्ति हमे नहीं मिला जिसने इस पत्थर को उल्टा तैरते देखा हो, लेकिन 70-80 साल के बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने पत्थर के तैरने की कहानी अपने दादा पड़ादादा से सुनी हैं. यही कहानी आगे भी प्रचलित है.

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Last Updated : Aug 3, 2020, 5:27 PM IST
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