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21वीं सदी में भी 'आदि मानव' की तरह जी रहा ये परिवार, दीए की लौ में पढ़ाई करते हैं बच्चे

पांवटा साहिब में कोटी भोछ गांव का एक परिवार आज के दौर में भी दिए की रोशनी में जीवन गुजारने पर मजबूर है. इस परिवार के पास घर के नाम मिट्टी का मकान है. इसमे बिजली-पानी की सुविधा नहीं है. शौचालय की बात करना तो बेईमानी होगी.

Neither Bijli nor water in the family's house in Paonta Sahib
फरियाद सिर्फ फरियाद बनकर रह गई
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Published : Jun 3, 2020, 10:55 PM IST

पांवटा साहिब: सरकार हर मंच पर बिजली-पानी और घर देने की मुनादी करवाकर वाहवाही लूटती है, लेकिन पांवटा साहिब में कोटी भोछ गांव का एक परिवार आज के दौर में भी दिए की रोशनी में जीवन गुजारने पर मजबूर है. इस परिवार के पास घर के नाम मिट्टी का मकान है. इसमे बिजली-पानी की सुविधा नहीं है. शौचालय की बात करना तो बेईमानी होगी.

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की मार इस परिवार पर ऐसी पड़ी की दो वक्त की रोटी को परिवार तरस गया.लॉकडाउन के दौरान भी इस परिवार को राशन किट तक प्रशासन नहीं पहुंचा पाया. ऐसा नहीं की जनप्रतिनिधियों से परिवार ने फरियाद नहीं की,लेकिन हमेशा फरियाद सिर्फ फरियाद बनकर रह गई. परिवार के मुखिया बलवीर के मुताबिक 20 सालों से उसे सरकार और प्रशासन से कुछ नहीं मिला. परिवार में पत्नी और बेटियां खुले में शौच करने पर मजबूर है.

वीडियो

बलवीर को बचपन से ही घुटने में परेशानी होने के कारण काम करने में परेशानी है. दो लाख रुपया डॉक्टरों ने इलाज के लिए बताया. कोरोना की मार ऐसी पड़ी की दिहाड़ी तक नहीं हो पाई. राशन तक नहीं मिला. अब इस परिवार ने सुविधाओं की उम्मीद करना ही छोड़ दिया है.

भूखा रहना पड़ता
सोमा देवी ने बताया बारिश में ज्यादा परेशानियां होती है. पानी के टपकने से नींद नहीं आती. बीपीएल परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद उन्हें सहायता नहीं मिली. पति काम करने में असमर्थ है.अब तो आधे समय भूखा रहकर ही काम चलाना पड़ता है. वहीं ,बच्चों का कहना है कि पढ़ाई करकर परिवार का साथ देना चाहते है,लेकिन सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही.

प्रयास किया जाएगा

इस मामले में खंड विकास अधिकारी कुंवर सिंह ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है. मनरेगा के तहत मकान देने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

ये भी पढ़ें:श्री रेणुका जी झील की स्वच्छता पर विधायक विनय हुए प्रसन्न, लोगों से मांगा ये सहयोग


पांवटा साहिब: सरकार हर मंच पर बिजली-पानी और घर देने की मुनादी करवाकर वाहवाही लूटती है, लेकिन पांवटा साहिब में कोटी भोछ गांव का एक परिवार आज के दौर में भी दिए की रोशनी में जीवन गुजारने पर मजबूर है. इस परिवार के पास घर के नाम मिट्टी का मकान है. इसमे बिजली-पानी की सुविधा नहीं है. शौचालय की बात करना तो बेईमानी होगी.

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की मार इस परिवार पर ऐसी पड़ी की दो वक्त की रोटी को परिवार तरस गया.लॉकडाउन के दौरान भी इस परिवार को राशन किट तक प्रशासन नहीं पहुंचा पाया. ऐसा नहीं की जनप्रतिनिधियों से परिवार ने फरियाद नहीं की,लेकिन हमेशा फरियाद सिर्फ फरियाद बनकर रह गई. परिवार के मुखिया बलवीर के मुताबिक 20 सालों से उसे सरकार और प्रशासन से कुछ नहीं मिला. परिवार में पत्नी और बेटियां खुले में शौच करने पर मजबूर है.

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बलवीर को बचपन से ही घुटने में परेशानी होने के कारण काम करने में परेशानी है. दो लाख रुपया डॉक्टरों ने इलाज के लिए बताया. कोरोना की मार ऐसी पड़ी की दिहाड़ी तक नहीं हो पाई. राशन तक नहीं मिला. अब इस परिवार ने सुविधाओं की उम्मीद करना ही छोड़ दिया है.

भूखा रहना पड़ता
सोमा देवी ने बताया बारिश में ज्यादा परेशानियां होती है. पानी के टपकने से नींद नहीं आती. बीपीएल परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद उन्हें सहायता नहीं मिली. पति काम करने में असमर्थ है.अब तो आधे समय भूखा रहकर ही काम चलाना पड़ता है. वहीं ,बच्चों का कहना है कि पढ़ाई करकर परिवार का साथ देना चाहते है,लेकिन सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही.

प्रयास किया जाएगा

इस मामले में खंड विकास अधिकारी कुंवर सिंह ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है. मनरेगा के तहत मकान देने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

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