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राजकीय सम्मान के साथ हुआ शहीद अंचित का अंतिम संस्कार, अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब - Shaheed Anchit rajgarh news

सिरमौर जिले के राजगढ़ उपमंडल के घार पजेरा गांव के 22 साल की उम्र में शहादत पाने वाले अंचित कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार उनके पैतृक गांव पहुंचा. जहां उसका पूरे सैन्य के साथ अंतिम संस्कार किया गया. अंचित की शव यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया और उनको अंतिम श्रंद्धाजली दी गत 24 नवंबर को अंचित कुमार अरुणाचल मे एल ओ सी पर वीर गति को प्राप्त हो गया था.

martyr Anchit Rajgarh
अरुणाचल में शहीद राजगढ़ के 22 वर्षीय अंचित का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
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Published : Nov 28, 2020, 9:32 PM IST

राजगढ: सिरमौर जिले के राजगढ़ उपमंडल के घार पजेरा गांव के 22 साल की उम्र में शहादत पाने वाले अंचित का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा. जहां शहीद का राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. अंचित की शव यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया और उनको अंतिम श्रद्धांजली दी गत 24 नवंबर को अंचित अरुणाचल में एलओसी पर वीर गति को प्राप्त हो गया था.

इससे पहले अंचित की पार्थिव देह को अरुणाचल के डिब्रूगढ़ से हवाई मार्ग से चंडीगढ़ लाया गया और शनिवार सुबह चंडी मंदिर से सड़क मार्ग से सोलन होते हुए राजगढ़ लाया गया और यहां उनके गांव धार पजेरा में पूरे सैन्य सम्मान दिया गया.

इससे पहले राजगढ़ पहुंचने पर हजारों लोगों ने फूल बरसा कर शहीद अंचित को अंतिम श्रद्धांजलि दी. जैसे ही अंचित शर्मा का पार्थिव शरीर राजगढ़ पहुंचा. पूरा इलाका वंदे मातरम व अंचित अमर रहे के नारों से गूंज उठा. उनके पेतृक गांव धार पजेरा में भी हजारों लोग उन्हे श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे.

वीडियो.

राजनेताओं ने भी श्रंदाजली

यहां पूर्वसैनिक वेलफैयर बोर्ड के उप निदेशक मेजर दीपक धवन, सांसद सुरेश कश्यप, विधायक रीना कश्यप, प्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष जी आर मुसाफिर, एसडीएम राजगढ़ नरेश वर्मा, उप पुलिस अधीक्षक भीष्म ठाकुर सहित हजारों लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में भाग लेकर उन्हें श्रंदाजली दी. इससे पहले सेना व पुलिस के जवानों ने शहीद के पार्थिव शरीर को सलामी दी.

एक साल पहले 21 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुआ था अंचित

अंचित मात्र एक साल पहले ही 21 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुआ था. उसे बचपन से ही सैनिक बनने का शौक था. वह अपने माता पिता का इकलौता बेटा था. अंचित कुमार गत 24 अक्टूबर को ही छुट्टी काट कर वापस डियूटी पर जाते समय घर पर अपने परजनों से जल्द घर आने का वादा करके गया था. मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. घर पर अंचित के परिजनों का रो-रो कर बूरा हाल है. मगर उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके बेटे ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.

पढ़ें: कामयाबी: चाय वाले की दो बेटियों के साथ बेल्डर के दोनों बेटों ने पहनी खाकी

पढ़ें: प्रदेश सरकार ने बढ़ाई और सख्ती, सामाजिक समारोह में अब शामिल हो सकेंगे सिर्फ 50 लोग

राजगढ: सिरमौर जिले के राजगढ़ उपमंडल के घार पजेरा गांव के 22 साल की उम्र में शहादत पाने वाले अंचित का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा. जहां शहीद का राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. अंचित की शव यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया और उनको अंतिम श्रद्धांजली दी गत 24 नवंबर को अंचित अरुणाचल में एलओसी पर वीर गति को प्राप्त हो गया था.

इससे पहले अंचित की पार्थिव देह को अरुणाचल के डिब्रूगढ़ से हवाई मार्ग से चंडीगढ़ लाया गया और शनिवार सुबह चंडी मंदिर से सड़क मार्ग से सोलन होते हुए राजगढ़ लाया गया और यहां उनके गांव धार पजेरा में पूरे सैन्य सम्मान दिया गया.

इससे पहले राजगढ़ पहुंचने पर हजारों लोगों ने फूल बरसा कर शहीद अंचित को अंतिम श्रद्धांजलि दी. जैसे ही अंचित शर्मा का पार्थिव शरीर राजगढ़ पहुंचा. पूरा इलाका वंदे मातरम व अंचित अमर रहे के नारों से गूंज उठा. उनके पेतृक गांव धार पजेरा में भी हजारों लोग उन्हे श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे.

वीडियो.

राजनेताओं ने भी श्रंदाजली

यहां पूर्वसैनिक वेलफैयर बोर्ड के उप निदेशक मेजर दीपक धवन, सांसद सुरेश कश्यप, विधायक रीना कश्यप, प्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष जी आर मुसाफिर, एसडीएम राजगढ़ नरेश वर्मा, उप पुलिस अधीक्षक भीष्म ठाकुर सहित हजारों लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में भाग लेकर उन्हें श्रंदाजली दी. इससे पहले सेना व पुलिस के जवानों ने शहीद के पार्थिव शरीर को सलामी दी.

एक साल पहले 21 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुआ था अंचित

अंचित मात्र एक साल पहले ही 21 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुआ था. उसे बचपन से ही सैनिक बनने का शौक था. वह अपने माता पिता का इकलौता बेटा था. अंचित कुमार गत 24 अक्टूबर को ही छुट्टी काट कर वापस डियूटी पर जाते समय घर पर अपने परजनों से जल्द घर आने का वादा करके गया था. मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. घर पर अंचित के परिजनों का रो-रो कर बूरा हाल है. मगर उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके बेटे ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.

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