शिमला: हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खूबसूरत घाटियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. देश-विदेश से हर साल लाखों पर्यटक यहां घूमने आते हैं. वहीं, हिमाचल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शिमला भी एक प्रमुख जगह हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि शिमला शहर के आसपास कई ऐसे टूरिस्ट प्लेस हैं, जहां कुदरत और प्रकृित का खूबसूरत संगम देखने को मिलता है. अगर आप भी हिमाचल में पर्यटन स्थल के रूप में सिर्फ शिमला, मनाली और कल्लू के बारे में जानते हैं तो आइए हम आपकों शिमला के आसपास के कुछ पर्यटन स्थलों से रूबरू करवाते हैं, जिसके बारे में जानने के बाद आप खुद को यहां आने से रोक नहीं पाएंगे.
छुट्टियां बिताने के कुफरी काफी अच्छी जगह: राजधानी शिमला से कुफरी के बीच की दूरी करीब 10 किमी है. यहां पर गर्मियों में भी बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. यही नहीं सर्दियों में आने वाले सैलानियों की संख्या भी यहां बहुत ज्यादा है. सर्दियों में यहां चारों ओर बर्फ ही बर्फ देखने को मिलती हैं. कुफरी में आप ट्रैकिंग, प्राचीन मंदिर सहित कई जगहों पर घूम सकते हैं. यह जगह घूमने के लिए हिमाचल की सबसे अच्छी जगहों में एक हैं. बहुत से लोग यहां छुट्टियों के समय में अपने परिवार के साथ घूमने के लिए आते हैं. कुफरी में भारत का सबसे बड़ा हिमालयन नेचर पार्क बना हुआ हैं. इस पार्क के अंदर कई सारी हिमालयन वनस्पति और जीव जंतु पाए जाते हैं. यहां पर कस्तूरी मृग, भूरे भालू, तेंदुए और हिरण हैं. इसके अलावा यहां करीब पक्षियों की करीब 180 से अधिक की प्रजाति पाई जाती हैं. कुफरी में फनवर्ड भी है, अगर आप कुफरी घूमने के लिए जाते है तो यह बच्चों और बड़ों के लिए एक बहुत ही सुंदर पार्क हैं, जहां पर छोटे बच्चों के लिए कई सारी राइड्स उपलब्ध हैं. कुफरी की एक अहम जगह महासू पीक है, जो कुफरी की सबसे बड़ी चोटी हैं. यहां बड़े-बड़े देवदार के पेड़ और घने जंगल से होकर पहुंचा जाता है. यहां के लिए अधिकतर सैलानी घोड़े पर ही जाते हैं. नेचर पार्क से हिमालयन श्रेणी के मनमोहक दृश्य को देखा जा सकता है.
खूबसूरत पर्यटन स्थलों में शुमार नालदेहरा: नालदेहरा शिमला के समीप एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो शिमला से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां का सबसे बड़ा आकर्षण गोल्फ कोर्स है, जिसकी स्थापना लॉर्ड कर्जन ने की थी. देवदार के घने पेड़ और हरियाली इस नालदेहरा के आकर्षण को बढ़ा देती है. यहां पर सैलानी घोड़े की सवारी भी कर सकते हैं. नालदेहरा उन सैलानियों के लिए सही जगह है जो कि प्राकृतिक सुंदरता और अकेलेपन को पसंद करते हैं. नालदेहरा अपनी हरियाली, गोल्फ कोर्स और देवदार, देवदार के पेड़ों से भरे पहाड़ों के दृश्य के लिए प्रसिद्ध है. पहाड़ों की पृष्ठभूमि और बहती सतलुज नदी के साथ, नालदेहरा मनमोहक पर्यटन स्थल है. शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए नालदेहरा एक अवश्य घूमने योग्य स्थान है.
खूबसूरत हिल स्टेशन देखने के लिए आइए नारकंडा: शिमला का एक और पर्यटन स्थल नारकंडा है. यह देश दुनिया में भी अपना एक अलग स्थान रखता है. नारकंडा शिमला से 65 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां पर गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसम में घूमने के लिए जा सकते हैं. यह शिमला के एक खूबसूरत हिल स्टेशनों से एक हैं. शिमला घूमने आने वाले कई सैलानियों को इसकी जानकारी नहीं रहती, जिससे वे यहां बिना घूमे ही वापस चले जाते हैं. वहीं, अगर एक बार यहां कोई पहुंच जाए फिर उसको बार-बार यहां जान का मन करता है. यहां कई सारी जगह और प्राचीन मंदिर हैं, जहां पर घूम सकते हैं. यहां प्रसिद्ध हाटू माता का मंदिर मंदिर है, जो यहां की सबसे प्रसिद्ध मंदिर हैं. हाटू पीक स्थित इस विशाल मंदिर में माता की बड़ी प्रतिमा स्थापित हैं. लोगों की मान्यता है कि माता की जो कोई भी सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, माता उसकी इच्छा पूरी करती हैं. ऐसा कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी माता हाटू की बहुत बड़ी भक्त थी. इस मंदिर का निर्माण मंदोदरी ने ही करवाया था. नारकंडा में कैंपिंग भी की जा सकती है. नारकंडा चारों तरफ से हरे भरे जंगल से घिरा हुआ हैं. घूमने के लिए गर्मी के मौसम में मई से लेकर जून तक और सर्दियों के मौसम में दिसंबर महीने से लेकर फरवरी तक जा सकते हैं, यहां सर्दियों में स्कीइंग भी करवाई जाती है.
चायल पैलेस अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध: चायल हिमाचल का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. चायल सोलन के साथ-साथ शिमला जिला मुख्यालय के साथ जुड़ा हुआ है. यह शिमला से 49 किमी और सोलन से 38 किमी दूर है. यह एक शांत हिल स्टेशन है, जो आरामदायक छुट्टियों के लिए सबसे अच्छी जगह है. बताया जा रहा है कि पटियाला के महाराजा महाराजा भूपेंदर सिंह चायल के संस्थापक है, जो स्वतंत्र भारत के पूर्व के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा शिमला से निर्वासित किए जाने के बाद चायल चले गए थे. यहां दुनिया के सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान है. चायल की पहचान इसकी ऐतिहासिक इमारत चायल पैलेस से होती है. यह पटियाला के महाराजा का था और इसे 1871 में बनाया गया था. यह अभी भी अपनी पूरी भव्यता के साथ खड़ा है. चायल पैलेस अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. चायल में के खूबसूरत चीड़ और देवदार के जंगल देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. सैलानी यहां पर पगडंडियों में घूमते हैं. चायल में वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी भी है. चायल में काली माता टिब्बा भी है. मूल रूप से यह मंदिर युद्ध और विनाश की हिंदू देवी काली को समर्पित है. यह एक प्राचीन पहाड़ी के ऊपर स्थित है. यह बहुत ऊंची जगह पर है और यहां से चारों का दृश्य दिखता है. काली का टिब्बा के पास, घुड़सवारी करना और मछली पकड़ना का पर्यटक आंनद ले सकते हैं.
प्राचीन सुंदरता और प्राकृतिक आकर्षणों का केंद्र कसौली: कसौली प्रदेश का एक सुंदर पर्यटन स्थल है. यह सोलन से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में हरियाणा में रेवाड़ी के कुछ राजपूत परिवारों ने प्रचलित राजनीतिक परिस्थितियों के चलते ‘कसूल’ क्षेत्र में जाने का फैसला लिया, लेकिन जब अंग्रेजों ने इस जगह की प्राकृतिक खूबसूरती, गौरव और वातावरण को देखा तो उन्होंने इसे स्थानीय राणा से इसे खरीद लिया और चौकी दलों में बदल दिया. अंग्रेजों ने इसके चारों ओर हिल स्टेशन विकसित किया. कसौली अपनी प्राचीन सुंदरता और प्राकृतिक आकर्षणों के लिए जाना-जाता है. माल रोड कसौली की एक खास जगहों में से एक है, जहां पर शहर का मुख्य शॉपिंग बाजार है. कसौली का प्रमुख आकर्षण मंकी प्वाइंट है. मंकी प्वाइंट कसौली का सबसे ऊंचा स्थान और एक खास पर्यटन स्थल है. इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहां पर हनुमान जी ने भारतीय महाकाव्य रामायण में घायल लक्ष्मण के लिए औषधीय जड़ी बूटियों खोज करते समय अपना पैर रखा था. मंकी प्वाइंट पूरी घाटी के सबसे आकर्षक दृश्य और हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों के मनमोहक दृश्यों को दिखाता है.
शिवालिक पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार: सिरमौर में 11,965 फीट की ऊंचाई पर शिवालिक पर्वतमाला की सबसे ऊंची चूड़धार चोटी शिरगुल महाराज की तपोभूमि है. चूड़धार, जिसे आमतौर पर चुरीचंदनी (बर्फ की चूड़ी) के रूप में जाना जाता है. यह चोटी सुंदरता के साथ ही जड़ी-बूटियों का भी खजाना है. यहां सुंदर अल्पाइन वनस्पतियां इन हिमालयी ढलानों को कवर करती हैं. कैनाइन-दांतेदार कस्तूरी मृग और लुप्तप्राय हिमालयी काले भालू यहां के जंगलों में निवास करते हैं. इस शिखर पर एक मंजिला चौकोर मंदिर है, जो शिव (चूडे़श्वर महादेव) को समर्पित है. नवरात्रों के दौरान इस प्राचीन मंदिर में मेले के दौरान नृत्य भी करते हैं. इस जगह की सुंदरता जंगलों और वन्यजीवों के कारण बढ़ जाती है, जो इसमें निवास करते हैं. चूड़धार कई लोगों के लिए प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल भी है. ट्रेकर्स चूड़धार शिखर के रास्ते में छोटे ग्लेशियरों पर चलते हैं. यहां पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी होती है. यहां भगवान शिव के अंशावतार शिरगुल महाराज की यात्रा हर वर्ष वैशाख संक्रांति (14 अप्रैल) से शुरू होकर मार्गशीर्ष संक्रांति (15 नवंबर) तक चलती है. बर्फबारी के बाद नवंबर से 14 अप्रैल तक यात्रा पर प्रतिबंध रहता है. कई पर्यटक अप्रैल से लेकर नवंबर तक ट्रेकिंग के लिए यहां पहुंचते हैं. पर्यटन की दृष्टि से यहां विकास की बहुत संभावना है. यहां कई पक्षियों के अलावा तेंदुआ, काला भालू और दुर्लभ कस्तूरी मृग भी पाए जाते हैं.
साहसिक खेल और ट्रेकिंग के लिए आइए चांशल: शिमला आने वाली बाहरी पर्यटकों के लिए चांशल एक अज्ञात पर्यटन स्थल के समान है. यह शिमला से 150 किमी और रोहड़ू से करीब 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. चांशल साहसिक खेलों की संभावना वाला स्थान है. इसकी प्राकृतिक सुंदरता साहसिक खेलों वाले युवाओं और ट्रेकर को अपनी ओर आकर्षित करती है. हालांकि अभी यह पर्यटन के लिए अनछुआ है, लेकिन यहां भी अब काफी संख्या में युवा पहुंचने लगे हैं. चांशल घाटी के लिए ट्रेक मई के अंत से अक्टूबर तक ही खुला रहता है. मनाली के सोलंग ही तरह ही यहां पर भी स्कीइंग की संभावना है. चांशल को अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग साइट करने के साथ ही ईको टूरिज्म के तहत विकसित किया जा सकता है. घाटी सर्दियों में स्कीइंग के लिए और गर्मियों में अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों के लिए बेहतर जगह बन सकती है. कर्मियो में काफी संख्या में लोग यहां पहुंचने लगे हैं. हालांकि यह आम लोग नहीं जा सकते. यहां केवल वही जा सकते हैं जो कि ट्रेकिंग करने में सक्षम है.
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