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रामपुर में कामकाजी महिलाओं का धरना प्रदर्शन, बढ़ते अत्याचार को लेकर जताई चिंता

सीटू समन्वय समिति का कहना है कि पिछले एक हफ्ते में देश में अलग-अलग जगहों पर महिलाओं के खिलाफ कुछ सबसे जघन्य अपराध हुए. पीड़ितों में 90 साल की महिलाओं के साथ 3 महीने की नवजात लड़कियां शामिल हैं, उनके घरों के भीतर, उच्च सुरक्षा कार्यस्थलों पर बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है और उनकी हत्या कर दी जाती है.

News of working women in Rampur, रामपुर में कामकाजी महिलाओं का धरना न्यूज
सीटू समन्वय समिति रामपुर के बैनर तले कामकाजी महिलाओं का धरना प्रदर्शन
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Published : Dec 16, 2019, 2:56 PM IST

रामपुर: सीटू समन्वय समिति रामपुर के बैनर तले महिलाओं और बच्चों पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ कामकाजी महिलाओं ने रामपुर में विरोध प्रदर्शन किया. इस धरने को सम्बोधित करते हुए कामकाजी महिलाओं की राज्य समिति सदस्य सीमा, सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी ने कहा कि सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर सदमे और चिंता व्यक्त करता है.

सीटू समन्वय समिति का कहना है कि पिछले एक हफ्ते में देश में अलग-अलग जगहों पर महिलाओं के खिलाफ कुछ सबसे जघन्य अपराध हुए. पीड़ितों में नब्बे साल की महिलाओं के साथ 3 महीने की नवजात लड़कियां शामिल हैं, उनके घरों के भीतर, उच्च सुरक्षा कार्यस्थलों पर बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है और उनकी हत्या कर दी जाती है.

वीडियो.

सीटू समन्वय समिति का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ राक्षसी अत्याचारों की कड़ी निंदा करता है और सरकार से महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने की मांग करता है. यह सरकार से समाज में प्रचलित महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण और पितृसत्तात्मक रवैये को समाप्त करने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू करने की मांग करता है.

ये भी पढ़ें- स्कूलों में दूसरी कक्षा से जल्द शुरू होगी संस्कृत की पढ़ाई: सुरेश भारद्वाज

रामपुर: सीटू समन्वय समिति रामपुर के बैनर तले महिलाओं और बच्चों पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ कामकाजी महिलाओं ने रामपुर में विरोध प्रदर्शन किया. इस धरने को सम्बोधित करते हुए कामकाजी महिलाओं की राज्य समिति सदस्य सीमा, सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी ने कहा कि सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर सदमे और चिंता व्यक्त करता है.

सीटू समन्वय समिति का कहना है कि पिछले एक हफ्ते में देश में अलग-अलग जगहों पर महिलाओं के खिलाफ कुछ सबसे जघन्य अपराध हुए. पीड़ितों में नब्बे साल की महिलाओं के साथ 3 महीने की नवजात लड़कियां शामिल हैं, उनके घरों के भीतर, उच्च सुरक्षा कार्यस्थलों पर बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है और उनकी हत्या कर दी जाती है.

वीडियो.

सीटू समन्वय समिति का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ राक्षसी अत्याचारों की कड़ी निंदा करता है और सरकार से महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने की मांग करता है. यह सरकार से समाज में प्रचलित महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण और पितृसत्तात्मक रवैये को समाप्त करने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू करने की मांग करता है.

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Intro:रामपुर Body: सीटू समन्वय समिति रामपुर के बैनर तले महिलाओं और बच्चों पर बढ़ते अत्याचार के खिलाफ कामकाजी महिलाओं ने रामपुर में विरोध प्रदर्शन किया।

इस धरने को सम्बोधित करते हुए कामकाजी महिलाओं की राज्य समिति सदस्य सीमा, सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह व राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी ने कहा कि सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर सदमे और चिंता व्यक्त करता है। यह चौंकाने वाली बात है कि जब पूरा देश इन अपराधों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था और उन्नाव में एक लड़की के बलात्कारियों सहित पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहा था, जो जमानत पर छूट गए थे, उन्होंने पीड़िता का अपहरण कर लिया था।
 
चूंकि मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार, जो सख्ती से नवउदारवादी विचारधारा का अनुसरण कर रही है और आरएसएस द्वारा निर्देशित है, मनुवादी ’विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध है, महिलाओं के खिलाफ हिंसा खतरनाक अनुपात तक पहुंच गई है। पिछले एक हफ्ते में देश में अलग-अलग जगहों पर महिलाओं के खिलाफ कुछ सबसे जघन्य अपराध हुए। पीड़ितों में नब्बे साल की महिलाओं के साथ 3 महीने की नवजात लड़कियां शामिल है, उनके घरों के भीतर, उच्च सुरक्षा कार्यस्थलों पर बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है और उनकी हत्या कर दी जाती है इस प्रकार की घटना महानगरीय शहरों से दूर के गाँवों तक फैल रही है ये समाज के भीतर पतन की सड़ांध को दर्शाता है जो आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संकट में है।
 
आये दिन दोषियों के समर्थन में कुछ विधायकों के बयान और उनके द्वारा विस्तारित संरक्षण, विशेष रूप से सत्ता में उन लोगों द्वारा ऐसे अपराधों के अपराधियों के बचाव किया जा रहा है जससे इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले को होंसले बड़ते है। केंद्र सरकार द्वारा निर्भया फंड का कम आवंटन और इसका गैर-उपयोग केंद्र सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशें कई जगहों पर कागजों में हैं। आगे इस मुद्दे को महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए समाज के विभिन्न स्तरों पर कई कदम उठाए जाने की आवश्यकता है जिस पर सरकार का रवैया उदासीन है
 
निर्भया मामले में, हैदराबाद में हुए बलात्कार और हत्या ने महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे को समाज में मुख्यधारा की बहस में ला दिया था ।
 
#CITU महिलाओं के खिलाफ राक्षसी अत्याचारों की कड़ी निंदा करता है और सरकार से महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने की मांग करता है। यह सरकार से समाज में प्रचलित महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण और पितृसत्तात्मक रवैये को समाप्त करने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू करने की मांग करता है।
महिलाओं के बढ़ रही योन हिंसा की लड़ाई सिर्फ महिलाओं की नहीं है बल्कि इस समाज को भी इस जम्मेबारी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी पड़ेगी ये मुद्दा समाजिक मुदा है इसलिए समाज को भी इसमें भूमिका निभानी है।

इस धरने में ललिता, मंजू, नीमू सुनामनी, सेवा दासी, कमला, रजनी, गंगू, सुमन, गीता, ममता, श्यामा, उषा, जगदीश, पूरन, दयाल, प्रेम, दिनेश आदि उपस्थित रहे।

Conclusion: सीटू समन्वय समिति रामपुर में किया धरना प्रदर्शन

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